काबुल को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा तालिबान, स्थिति 'गंभीर': पेंटागन
पेंटागन ने कहा है कि अफगान तालिबान के आतंकवादी राजधानी काबुल को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं और जमीनी स्थिति 'गंभीर रूप से चिंताजनक' है. पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में संवाददाताओं से कहा, "तालिबान जिस गति से आगे बढ़ रहा है, उससे हम निश्चित रूप से चिंतित हैं.
वाशिंगटन, 14 अगस्त : पेंटागन ने कहा है कि अफगान तालिबान के आतंकवादी राजधानी काबुल को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं और जमीनी स्थिति 'गंभीर रूप से चिंताजनक' है. पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में संवाददाताओं से कहा, "तालिबान जिस गति से आगे बढ़ रहा है, उससे हम निश्चित रूप से चिंतित हैं. यह काफी चिंता का मामला है." समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि विद्रोही समूह काबुल को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है, हालांकि राजधानी शहर वर्तमान में 'खतरे के माहौल में' नहीं है. उन्होंने दोहराया कि अफगान सेनाएं, जिनका अमेरिका समर्थन करना जारी रखेगा, जमीनी स्तर पर बदलाव लाने में सक्षम हैं.
"यह अफगानों, नेतृत्व और सेना में एकजुट होने का पल है." पेंटागन ने गुरुवार को घोषणा की कि तीन पैदल सेना बटालियन, लगभग 3,000 सैनिकों को 48 घंटे के भीतर काबुल हवाई अड्डे पर तैनात किया जाएगा ताकि अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों और अफगान विशेष आप्रवासी वीजा (एसआईवी) आवेदकों को देश भर में तालिबान के तेजी से हमले को देखते हुए सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. किर्बी ने कहा, "मैरीन इंफैंट्री बटालियन में से कुछ काबुल में पहले से मौजूद हैं. और मुझे उम्मीद है कि सप्ताहांत के अंत तक 3,000 .. वहां तैनात हो जाएंगे." यह भी पढ़ें : COVID-19 Update: देश में कोविड-19 के के 38,667 नए मामले, 478 और संक्रमितों की मृत्यु
उन्होंने कहा, "हमारा इरादा रोजाना हजारों लोगों को स्थानांतरित करने में सक्षम करना है." तालिबान ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को अन्य तीन प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया. लोगर प्रांत की राजधानी पुल-ए-आलम, जिसे तालिबान ने दिन में पहले ही जब्त कर लिया था, काबुल से लगभग 60 किमी दूर है. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने गुरुवार को कहा कि आने वाले हफ्तों में काबुल में अमेरिकी कर्मियों की 'एक प्रमुख राजनयिक उपस्थिति' कम हो जाएगी. युद्धग्रस्त देश में स्थिति 1 मई से अमेरिकी नेतृत्व वाले सैनिकों की वापसी के बाद से खराब होती जा रही है.