हिंद महासागर में किसी भी देश को हावी होने देने के खिलाफ है श्रीलंका: राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है कि उनका देश हिंद महासागर में किसी भी देश को हावी होने देने के खिलाफ है. 2009 में हुए गृहयुद्ध के अंत में हजारों तमिल नागरिकों की हत्या के कारण संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार निकायों और अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने श्रीलंका की आलोचना की है.
संयुक्त राष्ट्र, 23 सितंबर: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने कहा है कि उनका देश हिंद महासागर में किसी भी देश को हावी होने देने के खिलाफ है. मंगलवार को महासभा में रिकॉर्डेड भाषण में उन्होंने कहा, "हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से अहम जगह पर स्थित देश होने के कारण यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है कि हिंद महासागर के क्षेत्र में शांति बनाकर रखी जाए. वहां कोई भी देश किसी पर हावी न हो, न उसका फायदा उठाए. श्रीलंका तटस्थ विदेश नीति का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है."
उन्होंने कहा कि कई देशों के लिए आर्थिक तौर पर महत्वपूर्ण समुद्री लेन होने के कारण 'शक्तिशाली देशों' को हिंद महासागर की तटस्थता का समर्थन करना चाहिए और इसके कीमती समुद्री संसाधनों की रक्षा करनी चाहिए. हालांकि चीन के कर्ज के जाल में फंसकर श्रीलंका हिन्द महासागर का एक रणनीतिक और अहम बंदरगाह हम्पानाकोटा चीन को सौंप चुका है. 2009 में हुए गृहयुद्ध के अंत में हजारों तमिल नागरिकों की हत्या के कारण संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार निकायों और अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने श्रीलंका की आलोचना की है.
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संयुक्त राज्य अमेरिका ने श्रीलंका में हुए तमिलों की हत्या की जांच करने के लिए भी कहा लेकिन श्रीलंका ने इसका विरोध किया. गोतबाया राजपक्षे ने मंगलवार को कहा, "संगठन की स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए सदस्य देशों को संदिग्ध उद्देश्यों के जरिए राजनैतिक शिकार बनाना भी बंद होना चाहिए."
तमिल टाइगर्स का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "श्रीलंकाई धरती से इसके खात्मे के बावजूद इस आतंकवादी संगठन का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क बना हुआ है. वह अपनी निर्मम विचारधारा को आगे बढ़ा रहा है. हम उम्मीद करते हैं कि कोई भी देश इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा जो अपनी हिंसक विचारधारा को फैला रहा है."