बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों की फिर भड़की आग, 24 लोगों की मौत
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

बांग्लादेश में रविवार को विरोध प्रदर्शनों ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है. इस दौरान डंडे, चाकू और बंदूकों से हुई हिंसा में कम से कम 24 लोगों के मरने की बात कही जा रही है. मोबाइल इंटरनेट पर भी पाबंदी है.अपुष्ट खबरों में मरने वालों की संख्या 30 और 50 भी बताई जा रही है. धानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा मांग रहे हजारों लोगों ने रविवार को बांग्लादेश की सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी बख्तरबंद गाड़ियों की छत पर चढ़ कर नाच रहे थे. पिछले महीने से अलग इस बार पुलिस और सुरक्षाबलों ने उनके प्रदर्शनों में कई जगहों पर दखल नहीं दिया. हालांकि कुछ जगहों पर पुलिस के आंसू गैस के इस्तेमाल और दूसरे तरीकों से उन्हें रोकने की बातें सामने आई हैं. पिछली बार सेना और सुरक्षाबलों की कार्रवाई से हिंसा भड़क उठी थी और कई छात्रों की जान गई.

सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो में ढाका की सड़कों पर बख्तरबंद गाड़ी की छत पर बांग्लादेश का झंडा लेकर नाचते युवा दिखाई दिए. समाचार एजेंसी एएफपी ने इन वीडियो की सत्यता की पुष्टि की है. बांग्लादेश की सेना के एक सम्मानित और पूर्व प्रमुख ने भी सरकार से मांग की है कि वह सेना को हटा लें और प्रदर्शनों को होने दें.

जुलाई में बांग्लादेश की सड़कों पर जम कर विरोध प्रदर्शन हुए. इस दौरान हुई हिंसा में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और इसे प्रधानमंत्री शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल का सबसे बड़ा उपद्रव कहा गया. सेना और सुरक्षाबलों ने तुरंत कानून व्यवस्था बहाल कर दी लेकिन लोगों की भीड़ एक बार फिर इस महीने सड़कों पर आ गई है. लोगों ने असहयोग आंदोलन छेड़ दिया है, जिसका मकसद सरकार को पंगु करना बताया जा रहा है.

पुलिस का कहना है कि हाथ में डंडे लहराते बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के दल ने ढाका के केंद्रीय शाहबाग चौरे के इलाके को जाम कर दिया. कई जगहों पर इस दौरान झड़पें हुई हैं. पुलिस ने शाम छह बजे से पूरे देश में कर्फ्यू लगाने का एलान किया है. इस बीच मोबाइल इंटरनेट पर भी पाबंदियां लगाई गई हैं.

अब तक के प्रदर्शनों में 230 लोगों की मौत

रविवार की हिंसा के बाद इस पूरे मामले में मरने वालों की संख्या अब 230 तक पहुंच गई है. पुलिस इंस्पेक्टर अल हिलाल ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा है, "छात्रों और सत्ताधारी दल के लोगों के बीच झड़पें हुई हैं." ढाका के मुंशीगंज जिले में दो युवकों की मौत हुई है. हिलाल ने बताया, "मरने वालों में से एक का गला घोंटा गया था, जबकि दूसरे को गोली लगी थी." एक और पुलिसकर्मी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "पूरा शहर जैसे जंग का मैदान बन गया है."

किशोरी गंज में प्रदर्शनकारियों ने सत्ताधारी दल के दफ्तर में आग लगा दी. यहां भी दो लोगों की मौत हुई है. पुलिस और डॉक्टरों ने ढाका के बाहर भी लोगों के मरने की बात कही है. उत्तर में बोगरा, पाबना, रंगपुर और सिलहट के साथ ही पश्चिम में मागुरा और पूर्व में कोमिला और बारिसाल जबकि दक्षिण में फेनी जिले में ज्यादा अशांति की खबरें आ रही हैं.

देश भर में नागरिक अवज्ञा अभियान का नेतृत्व कर रहे आसिफ मोहम्मद ने पिछले महीने ही पुलिस की कार्रवाई के बाद अपने समर्थकों से तैयार रहने के लिए कहा था. रविवार को मोहम्मद ने फेसबुक पर लिखा, "बांस का डंडा तैयार करो और बांग्लादेश को आजाद करो."

सेना का समर्थन या विरोध

सेना के कुछ पूर्व अधिकारी भी छात्रों के इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. सेना के पूर्व प्रमुख जनरल इकबाल करीम भुइयां ने फेसबुक पर अपनी तस्वीर को लाल कर आंदोलन के प्रति समर्थन जताया है. रविवार को भुइयां ने कुछ और वरिष्ठ पूर्व सैन्य अधिकारियों के साथ मिल कर पत्रकारों को दिए संयुक्त बयान में कहा, "पिछले तीन हफ्तों में जिस तरह से लोगों की हत्याएं, यातना, गायब होने और बड़ी संख्या में गिरफ्तारी बांग्लादेश के लिए अभिशाप रही है जिससे हम बहुत चिंतित, मुश्किल में और उदास हैं." भुइयां ने सरकार से मांग की, "सरकार सड़कों से तुरंत सेना को हटाए." उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को, "अपना जीवन कुर्बान करने का अब डर नहीं होना चाहिए."

मौजूदा सेना प्रमुख वाकर-उज-जमन ने ढाका के सैन्य मुख्यालय में शनिवार को अधिकारियों से कहा, "बांग्लादेश की सेना लोगों के भरोसे का प्रतीक है." सेना की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक उन्होंने कहा," यह हमेशा लोगों के साथ खड़ी रहेगी और हम ऐसा लोगों के लिए और देश की जरूरतों के लिए करेंगे." इस बयान में और ब्यौरा नहीं है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि सेना प्रदर्शनों को सेना का समर्थन है या नहीं.

विरोध प्रदर्शन का बढ़ता दायरा

17 करोड़ की आबादी वाले बांग्लादेश में धीरे धीरे यह विरोध प्रदर्शन सरकार के खिलाफ अभियान बनता जा रहा है. नौकरी में कोटे को लेकर शुरू हुए प्रदर्शन ने अब सरकार के विरोध का रुख मजबूती से अपना लिया है. बड़े पैमाने पर हो रहे इन प्रदर्शनों में समाज के सभी वर्ग शामिल हो रहे हैं. यहां तक कि फिल्म सितारे, संगीतकार और गायक भी साथ आए हैं. सोशल मीडिया पर इसके लिए बना रैप सॉन्ग तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.

बांग्लादेश के गारमेंट सेक्टर के 47 कंपनियों के एक गुट ने भी रविवार को कहा कि वे प्रदर्शनकारियों के समर्थन में खड़े हैं. उधर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल क्वादर ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वो पूरे देश के सभी जिलों में एकजुट होकर सरकार के लिए समर्थन का प्रदर्शन करें.

76 साल की शेख हसीना 2009 से ही देश पर शासन कर रही हैं. इस साल जनवरी में उन्होंने चौथी बार चुनाव में जीत हासिल की. हालांकि इस चुनाव में विपक्ष की कोई स्पष्ट भागीदारी नहीं थी.

एनआर/एसके (एएफपी, एपी)