जर्मनी में शादी-शुदा जोड़ों को मिलने वाली टैक्स छूट खत्म करने का प्रस्ताव
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी शादीशुदा जोड़ों को टैक्स में राहत देता है. आलोचकों का कहना है कि इससे औरतों और मर्दों के बीच असमानता को बढ़ावा मिलता है.जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) ने 1950 के उस टैक्स कानून को खत्म करने का प्रस्ताव तैयार किया है जो शादीशुदा लोगों को कर में छूट देता है. इस कानून की लंबे समय से आलोचना हो रही है कि यह परंपरागत जेंडर भूमिकाओं को गलत तरीके से आगे बढ़ाता है. शादी के नाम पर दी जाने वाली यह सब्सिडी किसी बेहतर काम में खर्च की जा सकती है.

"इएगाटनस्प्लिटिंग" या "मैरिटल स्पिलिटिंग” कही जाने वाली इस व्यवस्था में एक जोड़े की कुल आमदनी को आधा किया जाता है और उस पर दोगुना टैक्स लगाया जाता है. इसका मतलब ये है कि दोनों की आमदनी में जितना ज्यादा अंतर होगा, कर में उतनी ही फायदा मिलेगा. चूंकि जर्मनी में मर्द औरतों के मुकाबले 18 फीसदी ज्यादा कमाते हैं, इस व्यवस्था का ज्यादा फायदा मर्दों को होता है जबकि औरतों को काम की बजाय पर घर पर रहने के लिए प्रेरित सा किया जाता है. सरकार इस सब्सिडी में जोड़ों को 31 बिलियन डॉलर दे रही है. जर्मनी की सरकार भारी कर्ज के ढेर पर बैठी है और सरकारी खजाने पर दबाव है. इस महीने की शुरूआत में सरकार ने विवादित फैसला सुनाया कि 2024 से उन परिवारों में माता-पिता को मिलने वाला भत्ता खत्म कर दिया जाएगा जिनकी आमदनी सालाना 1,50,000 यूरो है. अब सत्ताधारी एसडीपी के नेता कह रहे हैं कि उस भत्ते के बजाय विवाहितों को मिलने वाली टैक्स छूट कतर दी जाएगी.

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संविधान पर बहस

"मैरिटल स्पिलिटिंग” की शुरूआत 1958 में उस वक्त हुई जब संघीय संवैधानिक कोर्ट ने कहा कि "पहले से चल रही टैक्स व्यवस्था विवाहित लोगों को नुकसान पहुंचाती है. संविधान के आर्टिकल 6 के तहत शादी और परिवार राज्य व्यवस्था की विशेष सुरक्षा के दायरे में हैं”. शादी से जुड़ी टैक्स व्यवस्था को खत्म करने का प्रस्ताव पहली बार 1981 में आया था और तब से इस पर बहस जारी है.

इस प्रस्ताव के विरोधी कहते हैं कि जर्मनी का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता. हालांकि जर्मनी के एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर योआखिम वाइलैंड की राय इससे अलग है. वाइलांड कहते हैं, संघीय संवैधानिक कोर्ट ने अब तक सिर्फ यही कहा है कि मैरिटल स्पिलिटिंग की इजाजत है लेकिन यह अनिवार्य नहीं है. वाइलांड यह भी मानते हैं कि "शादी के नाम पर कर में छूट रूढ़िवादी है गलत धारणा पर आधारित भी क्योंकि कईं लोग बच्चे पैदा ही नहीं करते. वह कहते हैं, सब्सिडी बच्चों को दी जानी चाहिए क्योंकि उन पर पैसे खर्च होते हैं. अगर एक विवाहित जोड़े के बच्चे नहीं हैं तो उनके साथ बच्चों वाले अविवाहित लोगों से बेहतर व्यवहार क्यों होना चाहिए?”

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टैक्स छूट और मर्द-औरत की भूमिका

आलोचक इस बात की ओर ध्यान दिलाते हैं कि इस तरह से शादी को आधार बनाना, परंपरागत लैंगिक भूमिकाओं को मजबूत करता है. इस टैक्स व्यवस्था के चलते काम पर जाना आर्थिक तौर पर अनाकर्षक लग सकता है खासकर तब जब विवाहितों में एक की तनख्वाह दूसरे से कहीं ज्यादा हो. तनख्वाह में जितनी समानता होगी, टैक्स छूट का उतना ही कम फायदा होगा. जर्मन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च में जेंडर इकोनॉमिक्स रिसर्च ग्रुप की प्रमुख काथरीना व्रोलिष ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "जर्मनी में पार्ट-टाइम काम के पैसे काफी ज्यादा मिलते हैं और वेतन के मामले में लैंगिक असमानता भी बहुत ऊंची है. औरतों कम कमाती हैं और कम घंटे काम करती हैं इसलिए स्पिलिटिंग की व्यवस्था का नकारात्मक असर उन पर ज्यादा होता है”.

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2022 में जर्मनी की बेरोजगारी दर देखें तो औरतों में यह 7.3 फीसदी थी जबकि मर्दों में 8.0 फीसदी लेकिन आधे से ज्यादा महिलाएं पार्ट-टाइम काम करती हैं. इसका मतलब यह हुआ कि यह सब्सिडी औरतों को लगातार कम सैलरी पर काम करते रहने को बढ़ावा देती है.

इसके साथ ही तलाक की सूरत में औरतों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाने का पूरा जोखिम बना रहता है खासकर उन महिलाओं के लिए जिन्होंने पेंशन फंड में कम पैसे डाले हों. यही नहीं इस टैक्स छूट की वजह से उन शादी शुदा जोड़ों का टैक्स काफी कम हो सकता है जिनकी आमदनी काफी ज्यादा है जबकि व्यक्तिगत तौर पर वो ज्यादा टैक्स के दायरे में आते हैं. अगर ये छूट वापस ले ली जाती है तो ज्यादा महिलाओं को ऊंची तनख्वाह पर काम करने को प्रोत्साहन मिल सकता है जिससे वे करदाता की श्रेणी में आएंगी और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा.

प्रस्ताव नामंजूर होने की आशंका

हालांकि ये प्रस्ताव एसडीपी और ग्रीन पार्टी के चुनावी मैनिफेस्टो में शामिल था लेकिन इसके जल्द लागू होने की संभावना नहीं दिखती. गठबंधन सरकार में शामिल फ्री डेमोक्रैट्स पार्टी (एफडीपी) ने पहले ही इसका विरोध किया है. पारिवारिक नीतियों के पार्टी प्रवक्ता ने इसे बकवास करार देते हुए कहा है कि यह चुपचाप टैक्स बढ़ाने की तरकीब है.

यह प्रस्ताव गठबंधन समझौते का हिस्सा नहीं था और अगर इसे सांसदों के सामने रखा भी गया तब भी इसे 16 संघीय राज्यों की प्रतिनिधि सभा बुंडेसराट की मोहर लेनी होगी जो कांटों भरी राह है. विवाहित जोड़ों को वित्तीय फायदे देने वाले यूरोपीय देशों में जर्मनी काफी आगे है. 2021 में आई यूरोपीय कमीशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक शादी-शुदा जोड़ों का जीवन लक्जमबर्ग, जर्मनी, आयरलैंड, पोलैंड, स्पेन, चेक रिपब्लिक (चेकिया) और बेल्जियम काफी बेहतर है जबकि साइप्रस, माल्टा, इटली और ग्रीस में हालात अलग है जहां जरूरत के आधार पर मदद और पेंशन दी जाती है.

इसी रिपोर्ट के नतीजे में यह भी कहा गया कि शादी अपने आप में वित्तीय फायदों का आधार नहीं बन सकती क्योंकि केवल शादी से अतिरिक्त पैसों की जरूरत पैदा नहीं होती.