कंगाल पाकिस्तान ने कोरोना से निपटने के लिए फिर मांगा IMF से लोन, मगर इस बार अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने रखी कड़ी शर्ते
पहले से ही आर्थिक बदहाली से कराह रहे पाकिस्तान के लिए अब कोरोना काल में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की शर्ते बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं. आईएमएफ ने पाकिस्तान पर आगामी बजट के लिए कुछ बेहद सख्त लक्ष्य निर्धारित कर भारी दबाव बना दिया है.
इस्लामाबाद: पहले से ही आर्थिक बदहाली से कराह रहे पाकिस्तान के लिए अब कोरोना काल में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की शर्ते बहुत बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं. आईएमएफ ने पाकिस्तान पर आगामी बजट के लिए कुछ बेहद सख्त लक्ष्य निर्धारित कर भारी दबाव बना दिया है. यह चुनौती दे दी गई है कि लक्ष्य पूरे नहीं हुए तो कर्ज कार्यक्रम का आगे जारी रहना शायद संभव नहीं होगा. पाकिस्तानी मीडिया में प्रक्राशित रिपोर्ट में आईएमएफ की तरफ से डाले जा रहे इस भारी दबाव की जानकारी दी गई है. गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के फैलने से पहले ही आर्थिक तबाही पर खड़े पाकिस्तान ने किसी तरह अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं व मित्र राष्ट्रों के और अधिक कर्ज की मदद से खुद को दिवालिया होने से बचाया था. आईएमएफ की शर्ते पहले भी पाकिस्तान के लिए आसान नहीं रही थीं और एक समय वह भी आया था जब इमरान सरकार ने साफ कर दिया था कि लोग अब बिजली को और महंगा किया जाना सहन नहीं करेंगे.
'जियो न्यूज उर्दू' ने सूत्रों के हवाले से प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आईएमएफ ने साफ कर दिया है कि वह अगले वित्तीय साल के लिए 5100 अरब पाकिस्तानी रुपये की टैक्स वसूली चाहता है. बजट में इस लक्ष्य को निर्धारित करना होगा और अगर पाकिस्तान सरकार इसे हासिल नहीं करती तो फिर आईएमएफ का कर्ज आगे मिलना बहुत मुश्किल होगा. सूत्रों ने बताया कि 5100 अरब रुपये के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पाकिस्तान सरकार को 800 अरब रुपये के और टैक्स लगाने पड़ेंगे. यह भी पढ़ें: कोरोना से परेशान पाकिस्तान में दावा घोटाला, भारत से आयात दवाओं में गड़बड़ी का आरोप
कर संग्रह का इतना बड़ा लक्ष्य पाकिस्तान के आम लोगों और कारोबारियों से वसूलना होगा जो कोरोना महामारी के बाद और टूट चुके हैं. ऐसे में इमरान सरकार के लिए आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने बजट लक्ष्य से संबंधित कोई भी फैसला करने से दूरी बना ली है. वित्त मंत्रालय खुद कोई लक्ष्य तय करने के बजाए इसे प्रधानमंत्री इमरान खान से तय करवाना चाहता है.