यूक्रेन और मोल्दोवा के ईयू में शामिल होने की प्रक्रिया आधिकारिक वार्ता के दौर में पहुंच गई है. 25 जून को लक्जेमबुर्ग में वार्ता शुरू हुई. हालांकि, यूक्रेन की सदस्यता को हंगरी से चुनौती मिलने की आशंका बनी हुई है.24 फरवरी 2022 को रूस के हमले के साथ शुरू हुए यूक्रेन युद्ध को करीब ढाई साल होने वाले हैं. युद्ध छिड़ने के बाद 2022 में ही कीव और मोल्दोवा ने ईयू की सदस्यता के लिए आवेदन किया था.
जून 2024 की शुरुआत में यूरोपीय आयोग ने यह कहकर हरी झंडी दी कि दोनों देश ईयू में शामिल होने की वार्ता प्रक्रिया शुरू करने की सभी शर्तें पूरी कर चुके हैं. इन शर्तों के तहत यूक्रेन और मोल्दोवा को भ्रष्टाचार रोकने, अल्पसंख्यकों के अधिकार सुनिश्चित करने और प्रेस की आजादी पर कई कदम उठाने थे.
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दोनों आवेदक देशों की सरकारों के साथ बातचीत शुरू करने के फ्रेमवर्क पर सभी 27 देशों की सहमति जरूरी थी. इस 'नेगोशिएशन फ्रेमवर्क' से जुड़े कागजात मार्च में ही सदस्य देशों को भेज दिए गए थे. 21 जून को सभी सदस्यों ने इसे मंजूरी दी, जिसके बाद तय हुआ कि 25 जून से वार्ता शुरू होगी.
क्या है ईयू का सदस्य बनने की प्रक्रिया
ईयू की सदस्यता हासिल करने की प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण हैं. पहला, उम्मीदवारी. सदस्य बनने का इच्छुक देश यूरोपीय परिषद में आवेदन देता है. फिर परिषद, यूरोपीय आयोग से समीक्षा करने को कहता है कि आवेदक देश सदस्यता की शर्तों को पूरा करने में समर्थ है कि नहीं. आयोग की अनुशंसा पर यूरोपीय परिषद आवेदन का स्टेटस तय करता है. इसके बाद ईयू में प्रवेश की आधिकारिक बातचीत शुरू होती है.
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यूक्रेन और मोल्दोवा के ईयू में प्रवेश की आधिकारिक वार्ता लक्जेमबुर्ग में शुरू हुई. यहां ईयू, यूक्रेन और मोल्दोवा की सरकार के साथ अलग-अलग बातचीत करेगा. इसे इंटरगवर्नमेंटल कॉन्फ्रेंस (आईजीसी) कहा जाता है.
आईजीसी में ईयू समीक्षा करेगा कि यूक्रेन और मोल्दोवा के मौजूदा कानून किस हद तक यूरोपीय संघ के मापदंडों के मुताबिक हैं और आगे कितना काम करना है. यह काम पूरा होने पर ईयू 35 विषयों पर बातचीत के लिए जरूरी शर्तें तय करना शुरू करेगा. इनमें टैक्स और पर्यावरण नीतियां शामिल हैं.
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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने वार्ता की शुरुआत को "सही मायने में ऐतिहासिक" बताया. जेलेंस्की ने कहा, "यूक्रेन एक संगठित यूरोप का हिस्सा है और हमेशा रहेगा." बीते हफ्ते जब वार्ता की शुरुआत पर सदस्य देशों ने मंजूरी दी, तब जेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "लाखों यूक्रेनी और हम लोगों की पीढ़ियां अपना यूरोपीय सपना साकार करने जा रही हैं. यूरोपीय समुदाय के सदस्य के तौर पर यूक्रेन की उस यूरोप में वापसी हो रही है, जिसका वह सदियों से हिस्सा रहा है."
मोल्दोवा की राष्ट्रपति मैया सैंडू ने भी खुशी जताते हुए कहा, "ईयू का सदस्य बनना हमारे लिए शांति, संपन्नता और सभी नागरिकों के लिए बेहतर जिंदगी का रास्ता है."
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यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने बातचीत की शुरुआत को "बहुत अच्छी खबर" बताया. एक्स पर एक पोस्ट में लाएन ने लिखा, "यह यूक्रेन, मोल्दोवा और पूरे यूरोपीय संघ के लोगों के लिए बहुत अच्छी खबर है. आगे की राह चुनौतीपूर्ण, लेकिन अवसरों से भरपूर होगी."
हंगरी से मिल सकती है बड़ी चुनौती
यूक्रेन और मोल्दोवा की ईयू सदस्यता को ना केवल रूस से, बल्कि ब्लॉक के भीतर से भी चुनौती मिल सकती है. इस मोर्चे पर हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान सबसे बड़ी अड़चन रहे हैं. ईयू में रूस के साथ सबसे दोस्ताना रिश्ते हंगरी के हैं. वह रूस पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्तावों और यूक्रेन की फंडिंग रोकने की भी धमकियां देते आए हैं.
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पॉलिटिको की एक खबर के मुताबिक, ईयू के अधिकारी और यूक्रेन ने वार्ता प्रक्रिया पर सहमति बनाने के लिए हंगरी की सरकार को राजी करने पर काफी मेहनत की. ईयू के पांच अधिकारियों ने पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर पॉलिटिको को बताया कि वे हर हाल में 25 जून से वार्ता शुरू करने की कोशिश कर रहे थे.
इसकी वजह यह हो सकती है कि 1 जुलाई से काउंसिल ऑफ द यूरोपियन यूनियन की अध्यक्षता हंगरी संभालेगा. वह छह महीने तक काउंसिल का अध्यक्ष रहेगा. अभी अध्यक्षता बेल्जियम के पास है. एक राजनयिक ने पॉलिटिको से कहा, "हमेशा की तरह यह अनुमान लगाना नामुमकिन है कि हंगरी क्या करेगा, जब तक कि हम खुद ओरबान के मुंह से ना सुन लें."
ईयू में हंगरी के मंत्री यानोस बोका का बयान भी इसी आशंका का संकेत देता है. यूक्रेन की सदस्यता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "अभी यह कहना बहुत मुश्किल है कि यूक्रेन की सदस्यता किस चरण में है. अभी मैं यहां जो देख रहा हूं, उसके मुताबिक वो अभी प्रवेश की पात्रता पूरी करने से काफी दूर हैं."