नागोर्नो काराबाख पर अजरबाइजान के तुरतफुरत कब्जा कर लेने के बाद अर्मेनियाई बहुल इलाके से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं. उधर अजरबाइजान और अर्मेनिया के दूत मंगलवार को ब्रसेल्स में मुलाकात कर रहे हैं.पिछले हफ्ते सेना की कार्रवाई के बाद अजरबाइजान ने इलाके का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और अर्मेनियाई लड़ाकों को हथियार डालने पड़े. इस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के दूतों के मंगलवार को पहली मुलाकात होगी. हालांकि दोनों देशों के नेता अगले महीने मिल कर बातचीत करेंगे.
मंगलवार की मुलाकात में अजरबाइजान और अर्मेनिया के अलावा जर्मनी और फ्रांस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी शामिल होंगे. इस बैठक की अध्यक्षता यूरोपीयन काउंसिल के प्रेसीडेंट चार्ल्स मिशेल के मुख्य कूटनीतिक सलाहकार सिमो मोर्डू करेंगे.
बड़ी संख्या में पलायन
लड़ाई के कई दिनों के बाद शरणार्थियों का पहला जत्था रविवार को अर्मेनिया पहुंचा. अब तक 6,650 लोग अर्मेनिया में दाखिल हो चुके हैं. समाचार एजेंसी एएफपी के पत्रकारों ने शरणार्थियों को गोरिस शहर के थिएटर में बने मानवीय सहायता केंद्रों पर भीड़ के रूप में देखा. यहां इन लोगों के नाम परिवहन और आवास के लिए यहां दर्ज किए जा रहे हैं. 41 साल की अनाबेल गुलस्यान रेव गांव से यहां पहुंची हैं. उन्होंने बताया, "हमने भयानक दिनों का सामना किया." गुलस्यान मिनीबस में अपने परिवार के साथ बैग में अपना सामान लेकर यहां पहुंची हैं.
54 साल की वैलेंटीना अस्रयान अपने नाती पोतों के साथ भाग कर आई हैं. उन्होंने बताया कि अजरबाइजान की गोलीबारी में उनके एक रिश्तेदार की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं. अजरबाइजानी सेना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "किसने सोचा था कि ऐतिहासिक अर्मेनियाई गांव में तुर्क आ जाएंगे? यह अविश्वसनीय है." फिलहाल उन्हें एक होटल में रखा गया है और उन्हें नहीं पता कि वो कहां जाएंगी.
इलाका छोड़ कर जाने वालों को अर्मेनियाई अलगाववादी पेट्रोल और डीजल की सप्लाई दे रहे हैं. ऐसे ही एक फ्यूल डिपो पर धमाके में 200 लोग घायल हो गए. घायलों में ज्यादातर की स्थिति गंभीर है. इलाज के पर्याप्त साधन वहां मौजूद नहीं हैं, ऐसे में अलगाववादी प्रशासन ने एयर एंबुलेंस को उतारने की इजाजत मांगी है.
तुरतफुरत की कार्रवाई में कब्जा
पिछले तीन दशकों में अर्मेनिया और अजरबाइजान नागोर्नो काराबाख को लेकर तीन लड़ाइयां लड़ चुके हैं. अर्मेनियाई मूल के बहुतायत वाला यह इलाका अजरबाइजान की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमारेखा पर है. 19 सितंबर को अजरबाइजान ने इस इलाके पर हमला बोला और एक दिन बाद ही अलगाववादियों को संघर्षविराम की शर्त पर हथियार डालने पड़े.
अलगाववादियों का कहना है कि पिछले हफ्ते की लड़ाई में 200 लोगों की मौत हुई. अजरबाइजान का कहना है कि उसके दो सैनिकों की इस अभियान में मौत हुई. इसके पहले 9 महीने से अजरबाइजान ने इलाके की सप्लाई लाईन को बंद कर रखा था. इसकी वजह से यहां रोजमर्रा के अहम चीजों की भारी किल्लत हो गई थी.
अजरबाइजान की सरकारी मीडिया का कहना है कि अधिकारियों ने नागोर्नो काराबाख के अर्मेनियाई समुदाय के साथ उनके एकीकरण पर दूसरे दौर की शांतिवार्ता की है. हालांकि अर्मेनिया को जाने वाली सड़क पर बड़ी संख्या में लोगों को पलायन करते देखा जा सकता है. चश्मदीदों के मुताबिक वहां गाड़ियों की लंबी कतार लग गई है.
एनआर/ओएसजे (एएफपी)