UN मानवाधिकार एक्सपर्ट्स ने कश्मीर में संचार सेवा बहाल करने की अपील, ब्लैकआउट को बताया सामूहिक सजा का एक रूप, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

भारत द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के कुछ दिनों बाद संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से कहा है कि वह अभिव्यक्ति की आजादी, सूचना तक पहुंच और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार पर लगी पाबंदियों को खत्म करे.

UN मानवाधिकार एक्सपर्ट्स ने कश्मीर में संचार सेवा बहाल करने की अपील, ब्लैकआउट को बताया सामूहिक सजा का एक रूप, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर | फाइल फोटो | (Photo Credits: IANS)

भारत (India) द्वारा अनुच्छेद 370 (Article 370) के प्रावधानों को निरस्त कर जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) का विशेष दर्जा खत्म करने के कुछ दिनों बाद संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों (UN Human Rights Experts) ने भारत से कहा है कि वह अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Expression), सूचना तक पहुंच और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार पर लगी पाबंदियों को खत्म करे. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने जम्मू और कश्मीर में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर चिंता जाहिर की.

भारत सरकार से संचार सेवाओं पर लगी पाबंदियों को खत्म करने की अपील करते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि बिना किसी औचित्य के सरकार की ओर से इंटरनेट और दूरसंचार नेटवर्क को बंद करना, जरूरत और आनुपातिकता के बुनियादी मानदंडों के साथ असंगत हैं. ये ब्लैकआउट बिना किसी प्रबल गुनाह करने के बावजूद जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए सामूहिक सजा का एक रूप है. यहां पढ़ें- जम्मू और कश्मीर पर यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि हम भारतीय प्रशासन को याद दिलाते हैं कि भारत सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध आंतरिक रूप से असंगत हैं. इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक नेताओं, अलगाववादियों, स्थानीय पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के 'हाउस अरेस्ट' पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध गंभीर मानव अधिकारों के उल्लंघन का कारण बन सकते हैं. यह भी पढ़ें- भारत के समर्थन में खुलकर सामने आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, कहा- आतंक से मिलकर लड़ेंगे, कश्मीर मुद्दे पर तीसरा पक्ष ना दे दखल

विशेषज्ञों ने उन रिपोर्ट्स पर भी चिंता जाहिर कि जिसमें कहा गया था कि सुरक्षा बल लोगों के घरों पर रात को छापेमारी कर रहे थे, जहां से नौजवानों की गिरफ्तारी हो रही थी. विशेषज्ञों ने कहा कि आरोपों की पूरी जांच होनी चाहिए और अगर पुष्टि होती है तो जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.


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