विमान और रेलकर्मियों की हड़ताल से अस्त व्यस्त हुआ जर्मनी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

गुरुवार को जर्मनी में हजारों विमान यात्री फंस गये क्योंकि तीन प्रमुख हवाई अड्डों पर हड़ताल है और चौथे पर शुक्रवार को होगी. इस दिन रेल कर्मचारी भी इसमें शामिल होंगे.वेतन वृद्धि को लेकर कोई समाधान क्यों नहीं निकल रहा है.गुरुवार को विमानों की सैकड़ों उड़ानें रद्द करनी पड़ी. कोलोन, ड्यूसेलडॉर्फ और हैम्बुर्ग के एयरपोर्ट पर हड़ताल थी. गुरुवार को हैम्बर्ग से कोई विमान उड़ान नहीं भर सका जबकि सिर्फ एक तिहाई विमान ही यहां उतरे. पूरा एयरपोर्ट खाली नजर आया. केवल गुरुवार को ही यहां से 305 विमानों को उड़ान भरना था.

इसी तरह से कोलोन एयरपोर्ट से 121 विमानों के उड़ान प्रभावित हुए. ज्यादातर यात्रियों को हड़ताल की खबर मीडिया से मिल गयी थी इसलिए वो एयरपोर्ट नहीं आये. कुल मिला कर एक लाख से ज्यादा यात्री इस हड़ताल की चपेट में आये हैं.

शुक्रवार को जर्मनी की रेल सेवा के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहेंगे. सभी लंबी दूरी की ट्रेनें सुबह 3 बजे से दोपहर एक बजे तक नहीं चलेंगी. बीते महीनों में यह कई बार हो चुका है. रेल और एयरपोर्ट कर्मचारियों की हड़ताल से अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हो रहा है.

क्यों हो रही है हड़ताल

कर्मचारियों की मांग तनख्वाह बढ़ाने की है. उनका कहना है कि बीते सालों में महामारी और यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी महंगाई के चलते खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है. उनकी मांग सामान्य कार्य दिवस से अलग दिनों या अतिरिक्त समय में काम के लिए मिलने वाले भत्ते को भी बढ़ाने की है. मसलन शनिवार और रविवार, छुट्टी के दिन या तड़के सुबह या शाम और रात में काम के लिए उन्हें जो पैसा दिया जाता है, उसकी दर काफी पुरानी है और वो उसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. ओवरटाइम को लेकर भी उनकी इसी तरह की शिकायत है.

बस ट्रेन की हड़ताल से जर्मनी परेशान

बीते महीनों में कर्मचारी संघ और नियोक्ताओं की कई दौर की बैठक हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है. नियोक्ताओं का कहना है कि महामारी और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण वो पहले ही बहुत दबाव में हैं. महामारी के दिनों में जहां सेवायें ठप्प हो गयीं थी वहीं युद्ध के दौर में इन सेवाओं का खर्च बढ़ गया है. अब महामारी के बाद जैसे ही अर्थव्यवस्था ने थोड़ी रफ्तार पकड़ने की कोशिश की तो कर्मचारी हड़ताल पर चले जा रहे हैं. विमान और रेल कंपनियों को इसकी वजह से काफी नुकसान तो हो ही रहा है यात्रियों को भी काफी दिक्कत उठानी पड़ रही है.

ट्रेड यूनियन का दबाव

कर्मचारी संघों का कहना है कि पिछले दिनों की बातचीत में नियोक्ताओं की तरफ से जो प्रस्ताव दिया गया है वह नाकाफी है और स्वीकार नहीं किया जा सकता. रेल कर्मचारी संघ ईवीजी की ओर से नियोक्ताओं के साथ बातचीत में शामिल कोसिमा इंगेनशाय का कहना है, "ऐसी धारणा मजबूत हो रही है कि नियोक्ता जान बूझ कर ईवीजी के साथ इस चरण की बातचीत में टकराव चाहते हैं. वेतन वृद्धि देने के बारे में बहुत बातचीत हो रही है लेकिन सच्चाई यह है कि वो जहां तक संभव है पैसे बचाना चाहते हैं."

जर्मनी के प्रमुख मजदूर संघ वैर्डी ने हड़ताल को जायज ठहराते हुए कहा है कि बातचीत से कोई समाधान नहीं निकल रहा है. अगले दौर की बातचीत 27 और 28 अप्रैल को है. ट्रेन यूनियनों का मकसद बातचीत से पहले विमान और रेल कंपनियों के अधिकारियों पर दबाव बनाना है ताकि वे फैसले को और न टालें. जर्मनी में हर साल होने वाली वेतनमान वार्ताओं के दौरान ट्रेड यूनियन हड़ताल का सहारा लेते हैं.

एनआर/एमजे (डीपीए)