शादी के बाद विदेशी पार्टनर की एंट्री रोकता जर्मनी

जर्मनी की लिंडा और सेनेगल के मोरो की लव स्टोरी, किसी रोमांटिक फिल्म की तरह शुरू होती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी की लिंडा और सेनेगल के मोरो की लव स्टोरी, किसी रोमांटिक फिल्म की तरह शुरू होती है. लेकिन शादी के बाद पति पत्नी अंतहीन भटकाव में खो जाते हैं. जर्मनी में हजारों लोग लिंडा और मोरो जैसी जिंदगी काट रहे हैं.लिंडा वेंट और मोरो डियोप पति पत्नी हैं. लेकिन उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में 4,755 किलोमीटर का फासला है. ये जर्मनी और सेनेगल के बीच की दूरी है. मोरो कहते हैं, "लंबी दूरी के रिश्ते बहुत ही मुश्किल होते हैं. मैं सुबह, दोपहर और रात, हर वक्त अपनी पत्नी को मिस करता हूं. "

2020 में लिंडा पश्चिमी सेनेगल में छुट्टियां बिताने गई. इस दौरान वह और मोरो संपर्क में आए और दोनों मुहब्बत में डूब गए. लिंडा जब तक स्टूडेंट थीं, तब तक उन्होंने सेनेगल के कई चक्कर लगाए. लिंडा ने इंटर्नशिप और सेमेस्टर ब्रेक भी सेनेगल में किए. 2022 में मोरो के शहर म्बौर में दोनों ने शादी कर ली. शादी में दोनों के परिवार शामिल हुए और कई मेहमान भी.

बिना हैप्पी एंडिंग वाली शादी

जर्मनी में अपने पार्टनर के साथ रहने के लिए जर्मन भाषा की बेसिक समझ जरूरी है. बेसिक समझ का मतलब है कि जर्मन सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने की क्षमता. भाषा ज्ञान के यूरोपीय पैमाने में इसे A1 लेवल कहा जाता है. लिंडा के पति मोरो फ्रेंच बोलते हैं. 2022 में अपना काम धाम छोड़कर मोरो सेनेगल की राजधानी डकार गए. वहां जर्मन भाषा सीखने के लिए उन्होंने कई महीने गोएथे इंस्टीट्यूट में लैंग्वेज कोर्स किया.

पढ़ाई के साथ साथ नौकरी करने वाली लिंडा ने डकार में मोरो की पढ़ाई, रहने, खाने पीने, इंटरनेट और निजी ट्यूशन का खर्चा बांटा. इस दौरान लिंडा और मोरो, अपने खाने पीने का खर्च कम करते रहे. लिंडा ने जब जर्मन सीखने के खर्च का कैलकुलेशन किया तो रकम करीब 6,000 यूरो आई.

मोरो बीते 14 महीने से जर्मन पढ़ रहे हैं. वह तीन बार A1 टेस्ट में फेल हो चुके हैं. टेस्ट पास करने के लिए 60 अंक चाहिए. मोरो का स्कोर अब तक 27, 37 और 40 रहा है. लिंडा के मुताबिक मोरो के लिए जर्मन एक्जाम बहुत ही तनावपूर्ण होता है. मोरो के पिता बीमार हैं. मोरो पर अपने माता पिता और भाई बहनों की जिम्मेदारी भी है. मोरो के अंकल कहते हैं कि उन्हें अपनी गोरी पत्नी से अलग हो जाना चाहिए. पत्नी, मोरो का फायदा उठा रही है. इन परिस्थितियों के बीच मोरो की पढ़ाई जारी है.

क्या भाषा में बदलाव से आ सकती है लैंगिक समानता?

गोएथे इंस्टीट्यूट के मुताबिक A1 लेवल पास करने के लिए: "एक लिखित परीक्षा में आप रोजमर्रा की बातचीत, निजी टेलीफोन मैसेज या लाउडस्पीकर के पब्लिक एनाउंसमेंट का एक अंश सुनेंगे...आपको इससे जुड़ी एक्सरसाइज पूरी करनी होगी...आपको एक सिंपल फॉर्म भरना होगा और रोजमर्रा के हालात पर एक छोटा निजी निबंध लिखना होगा."

लेकिन अगर कोई जर्मनी में न रहता हो और रोजमर्रा की जर्मन लाइफस्टाइल से वाकिफ न हो तो, उसके लिए ऐसे उत्तर देना आसान नहीं. 2021 में सेनेगल के गोएथे इंस्टीट्यूट में A1 लैंग्वेज टेस्ट देने वाले एक तिहाई परीक्षार्थी फेल हो गए. 2022 में फेल होने वालों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा थी.

नो लैंग्वेज, नो वीजा

हर साल विदेशों में रहने वाले 10,000 से ज्यादा लोग जर्मन टेस्ट में फेल होते हैं और इस तरह वे जर्मनी आकर अपने पार्टनर के साथ रहने से वंचित रह जाते हैं. यही वजह है कि विपक्षी लेफ्ट पार्टी ने 2022 में एक ड्राफ्ट विधेयक पेश किया. विधेयक में कहा गया है कि पार्टनर का जर्मन टेस्ट, जर्मनी में आने के बाद होना चाहिए.

जर्मनी में जिन 30 देशों से सबसे ज्यादा लोग आते हैं, वहां 2022 में A1 टेस्ट में फेल होने वालों का प्रतिशत 33 फीसदी से ज्यादा था. लैंग्वेज टेस्ट न देने का मतलब है कि पार्टनर के साथ रहने की अनुमति देने वाला वीजा भी नहीं मिलेगा. जर्मन विदेश मंत्रालय ने डीडब्ल्यू को बताया कि बीते बरसों में हर साल, स्पाउस रियूनिफिकेशन के 8,000 से 10,000 आवेदन या तो रद्द कर दिए जाते हैं या वापस ले लिए जाते हैं.

दिसंबर 2022 में जर्मन सरकार ने नियमों में थोड़ी ढील देने का फैसला किया. लेकिन यह ढील सिर्फ कुशल कामगारों तक ही सीमित है. अब उनके पार्टनर बिना लैंग्वेज टेस्ट के जर्मनी आ सकते हैं.

परिवारों को फेल कर रहे हैं जर्मन भाषा के टेस्ट

गुलिस्तान युकसेल, जर्मन सरकार की मुख्य पार्टी, सोशल डेमोक्रैट्स (एसपीडी) की सांसद है. युकसेल लंबे समय से परिवार मिलन (फैमिली रियूनिफिकेशन) के लिए अभियान चला रही है. उन्होंने संसद को बताया है कि पार्टनर के जर्मनी आने संबंधी नियमों को आने वाले विधेयकों में लचीला बनाया जाएगा. संसद में युकसेल ने कहा, "कई साल से, मुझे ऐसे लोगों के खत मिलते रहते हैं जो भाषा अनिवार्यता के कारण अपने पति या अपनी पत्नी से अलग रहने को मजबूर हैं, कुछ मामलों में तो कई साल तक. मुझे लगता है कि इस सदन में बैठा कोई भी व्यक्ति खुद इस तरह के अनुभव से गुजरना नहीं चाहेगा."

स्वेन्या गेरहार्ड, एक वकील हैं और वह एसोसिएशन फॉर द बायनेशनल फैमिलीज एंड पार्टनरशिप की कंसल्टेंट भी है. ऐसे कई परिवार के बारे में वह कहती हैं, "इसकी वजह से कुछ रिश्ते बिखर जाते हैं, कुछ लोग टूट जाते हैं." गेरहार्ड की एसोसिएशन, इस प्री-एंट्री लैंग्वेज टेस्ट को रद्द करने की मांग कर रही है.

लैंग्वेज टेस्ट पर राजनीतिक दलों की राय

लिंडा वेंट ने अपने अनुभवों पर जर्मन भाषा में एक किताब भी लिखी है. "दो दुनियाओं के बीच में" हिंदी में किताब के नाम का यही अनुवाद होगा. लिंडा लिखती हैं कि उन्होंने जर्मनी के 20 से ज्यादा सांसदों को अपनी कहानी बताई. ये सभी सांसद, सत्ताधारी गठबंधन की पार्टियों के थे. एसपीडी और ग्रीन पार्टी के कई सांसदों ने लिंडा के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और बदलाव का वादा किया.

"लेकिन कुछ नहीं हुआ" लिंडा निराशा के साथ कहती हैं. हाल ही में एक सांसद ने लिंडा को लिखा कि फैमिली रियूनिफिकेशन समेत कई कानूनों को फिर से लिखने की प्रक्रिया 2023 की दूसरी छमाही तक टाल दी गई है.

खुद को नवउदार मानने वाली जर्मनी की फ्री डेमोक्रैट्स पार्टी (एफडीपी) भी जर्मन सरकार में शामिल है. फैमिली कमेटी में शामिल एफडीपी के नेता मार्टिन गासनेर-हेर्त्स ने लिंडा को जवाब दिया. उन्होंने कहा कि लैंग्वेज टेस्ट का मकसद "जबरन शादी, लाभ पाने के लिए विवाह और अरेंज्ड मैरिज" को रोकना है. 2007 में सरकार में शामिल रुढ़िवादी पार्टियों, सीडीयू और सीएसयू ने भी 16 बरस पहले यही दलील दी थी. इस दलील के मुताबिक, विदेश से जर्मनी आने वाले पार्टनर को अपने पार्टनर की मदद के बिना, स्वतंत्र रूप से प्रशासन से संवाद करने लायक होना चाहिए.

हालांकि 2015 में 16 राज्यों के प्रतिनिधित्व वाले जर्मन संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट ने एलान किया कि: इसके कोई सबूत नहीं मिले हैं कि जर्मनी आने से पहले लैंग्वेज सर्टिफिकेट की जरूरत ने जबरन शादियों को टाला हो, "इस कानून को रद्द कर देना चाहिए."

कुछ को खास रियायतें

अगर लिंडा वेंट, ग्रीस या रोमानिया की नागरिक होतीं या फिर वे ब्राजील, अल सल्वाडोर या कोरिया से आतीं तो उनके पति A1 लैंग्वेज टेस्ट पास किए बिना जर्मनी आ सकते थे. यूरोपीय संघ के सदस्य देशों और कुछ अन्य देशों से पार्टनर बिना भाषाई दक्षता के जर्मनी आ सकते हैं. यही नियम रिफ्यूजी, रिसर्चर, सेल्फ इंप्लॉएड और उच्च प्रशिक्षित, कुशल कामगारों के पार्टनरों पर भी लागू होता है. कई मामलों में तो दोनों को ही जर्मन नहीं आती है.

वकील स्वेन्या गेरहार्ड के मुताबिक यह एक तरह का "घरेलू भेदभाव" है. प्रशासनिक कानून हर मामले को एकल केस के रूप में देखता है, "इसीलिए हर जोड़े को फैमिली रियूनिफिकेशन की लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है."

लिंडा वेंट कहती हैं, "मुझे सरकार पर बहुत ज्यादा गुस्सा आता है. जर्मनी में एक संस्थान के तौर पर शादी को बहुत ही ऊपर रखा जाता है और फिर मुझे इसेसे दूर रखा गया है." जर्मन संविधान में बेसिक लॉ का आर्टिकल 6 कहता है, "शादी और परिवार सरकार के तहत विशेष सुरक्षा के दायरे में आते हैं." लिंडा के मुताबिक ऐसे प्रावधान के बावजूद शादी के खातिर जर्मनों को विदेश में रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

दुश्वार माहौल की शर्त

2012 में जर्मनी की संघीय प्रशासनिक अदालत के जजों ने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि, अपने पार्टनर को ज्वाइन करने के लिए जर्मनी आने वाले उन लोगों पर भाषा दक्षता लागू नहीं होती, जिनके पास भाषा सीखने के जरूरी साधन न हों, या फिर सीखने की कोशिश सालभर के भीतर नाकाम हो गई हो. हालांकि फैसले में हर मामले को एकल केस की तरह देखने का जिक्र किया गया. बीमारी, विकलांगता और भाषा सीखने के लिए जरूरी मौकों के अभाव को कोर्ट ने वाजिब कारण माना.

वकली गेरहार्ड के मुताबिक, "ज्यादातर मामलों में शादीशुदा जोड़े ऐसी दुश्वारियों को साबित करने में नाकाम हो जाते हैं."

लिंडा के पति मोरो, सेनेगल में पूरी मेहनत से जर्मन सीखने में लगे हैं. वह चौथी बार टेस्ट देंगे. अगर इस बार भी नाकामी हाथ लगी तो वे दुश्वारी के आधार पर जर्मनी आने की कोशिश करेंगे. डकार में जर्मन दूतावास को जब ऐसी एप्लीकेशन मिलेगी तो वह जर्मनी में आप्रवासन अधिकारियों से संपर्क करेगा. लिंडा और मोरो, जर्मनी में साथ रह पाएंगे या नहीं, इसका निर्णय इन्हीं प्रशासनिक फैसलों के बाद होगा.

रिपोर्ट: आंद्रेया ग्रुनाउ, आने ले तौस/ओएसजे

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