जर्मनी ने हालिया वर्षों में देश की अहम सरकारी एजेंसियों पर हुए साइबर हमलों के तार को चीन से जुड़ा बताया है. इस मामले की खुफिया जांच कराने के बाद चीनी राजदूत को तलब किया गया है. चीन ने आरोपों को नकारा है.जर्मनी ने चीन के राजदूत को 2021 में हुए साइबर हमले के मामले में समन किया है. जर्मन अधिकारियों ने बताया चीन "सरकार के लिए काम करने वाले लोगों" के किए इस हमले का निशाना जर्मनी की सरकारी मैप एजेंसी थी. 31 जुलाई को इस नए मामले की जानकारी देते हुए सरकार ने कहा कि मानचित्र और भूगणित की संघीय एजेंसी साइबर हमले का शिकार बनी थी. अधिकारियों के मुताबिक, यह एजेंसी सरकार और प्राइवेट संस्थानों के लिए "महत्वपूर्ण काम" करती है और प्रिंट व डिजिटल मैप समेत कई डिजिटल टूल बनाती है. पश्चिमी देश बीजिंग समर्थित गुटों के राजनेताओं और लोकतांत्रिक संस्थानों को साइबर हमलों का निशाना बनाने पर लगातार चिंता जताते रहे हैं.
"साइबर हमलों से बाज आए चीन"
जर्मनी की गृह मंत्री नैंसी फेजर ने कहा है, "संघीय प्राधिकरण पर हुआ यह गंभीर साइबर हमला दिखाता है कि चीनी साइबर हमलों और जासूसी का खतरा कितना बड़ा है. हम चीन से ऐसे साइबर हमलों से बाज आने और उन्हें रोकने की मांग करते हैं, जो जर्मनी और यूरोप की डिजिटल संप्रभुता के लिए खतरा पहुंचाते हैं."
जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि खुफिया एजेंसियों की जांच में पता चला है कि इस साइबर अटैक के पीछे "चीनी सरकार के लोग" थे और यह हमला "जासूसी मकसदों" से किया गया था. जांच में पता चला कि एजेंसी के एक नेटवर्क तक सेंधमारी हो गई थी. हालांकि अब नेटवर्क की कमियों को दुरुस्त कर लिया गया है और एजेंसी में सुरक्षा उपायों को और ज्यादा मजबूत बनाया गया है.
चीन ने आरोपों से इंकार किया
जर्मनी में चीनी दूतावास ने साइबर अटैक से जुड़े सभी आरोपों को खारिज किया है. जर्मनी में चीनी दूतावास ने बयान जारी कर कहा, "जर्मनी ने सार्वजनिक तौर पर चीन के खिलाफ जर्मनी के संघीय मानचित्र दफ्तर में दखल के निराधार आरोप लगाए हैं. चीन ने इन्हें कठोरता से अस्वीकार किया है और जर्मनी के आगे गंभीरता से अपना पक्ष रखा है. चीन, जर्मनी से आग्रह करता है कि वह साइबर सुरक्षा मामलों के बहाने चीन विरोधी राजनीतिक तिकड़म ना करे और और जनता की राय को धूमिल करने का प्रयास ना करे."
दूतावास की तरफ से जारी बयान में यह भी कहा गया है, "चीन सभी तरह के हैकर हमलों का सख्त विरोध करता है, उन पर नकेल कसता है. साथ ही किसी देश या शख्स को अपनी जमीन और चीन के बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल करके अवैध काम नहीं करने देता."
जर्मनी ने साइबर हमलों के लिए रूस पर लगाए आरोप
2023 में भी हुए हमले
जर्मनी मानता है कि हालिया हमला, साइबर हमलों की उस सिलसिले का हिस्सा है जिसके मूल में चीन है. जर्मनी के आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, सरकारी नियंत्रण वाले चीनी "साइबर हमलावरों" ने 2023 में भी कंपनियों, आधिकारिक संगठनों, निजी लोगों और राजनीतिक संस्थाओं को निशाना बनाया है.
उन्होंने कहा कि हमलावर जर्मन सरकार का जर्मनी और यूरोपीय विदेश नीति पर रुख जानना चाहते थे. साथ ही यह भी कि इन सब में चीन के प्रति क्या रुख रहता है. गृह मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि "साइबर जासूसी हमलावरों" का काफी गुणात्मक और मात्रात्मक विकास हुआ है, नतीजतन अप्रत्याशित पहुंच और असर दिखा."
जर्मनी को उम्मीद है कि सरकार समर्थित जासूसी और प्रभाव डालने की कोशिशें जारी रहेंगी. जर्मनी, बढ़ते खतरे के बीच अपनी डिजिटल सिक्योरिटी मजबूत बनाना चाहता है. जुलाई महीने में ही जर्मनी ने घोषणा की थी कि वह चीनी टेलिकॉम कंपनियों- हुआवे और जेडटीई के उपकरणों का अपने 5जी नेटवर्क में इस्तेमाल खत्म कर देगा.
जर्मनी-चीन अच्छे साझेदार, फिर खटास क्यों
बर्लिन और बीजिंग के बीच अमूमन अच्छे रिश्ते रहे हैं. खासकार आर्थिक मामलों में तो दोनों करीबी साझेदार हैं. हालांकि जर्मनी को चिंता है चीन के निरंकुशवादी रवैये की, जिसके चलते बर्लिन सोच समझ कर कदम उठाने की तरफ ध्यान दे रहा है. जर्मनी की चिंताएं, उसके सहयोगियों की चिंताओं से मेल खाती हैं.
इसी साल मार्च में अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड ने चीन समर्थित साइबर गुटों पर राजनेताओं और प्रमुख लोकतांत्रिक संस्थाओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया था. एक नजर से यह चीन को जिम्मेदार ठहराने की ठोस कोशिश थी.
आरएस/एनआर (एएफपी)