चाकू हमलों से निपटने के लिए जर्मन सरकार लाई बिल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी की गठबंधन सरकार ने देश में बढ़ते चाकू हमलों से निपटने के लिए प्रत्यर्पण तेज करने समेत कई उपाय लागू करने की योजना पेश की है. 23 अगस्त को जोलिंगन शहर में चाकू हमले के बाद से देश की आप्रवासन नीति पर बहस तेज हो गई है.जोलिंगन में चाकू से किए हमले में तीन लोगों की मौत हुई थी. इसमें संदिग्ध के तौर पर 26 साल के एक सीरियाई युवाक को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में चाकू से हमले की कई घटनाएं हुईं, जिनमें संदिग्धों को गोली मारने तक की नौबत आई. अब सरकार इनसे बचने के लिए कुछ उपाय लाई है. इनमें निर्वासन को आसान बनाने से लेकर चाकू पर प्रतिबंध जैसे कदम शामिल हैं.

शनिवार को जर्मनी के आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "हम इस्लामिक आतंक के खिलाफ ज्यादा सुरक्षा, हिंसा करने वालों का सख्त प्रत्यर्पण, चाकू पर प्रतिबंध और अपराधियों के चेहरे की पहचान जैसे उपाय मुहैया करा रहे हैं." हालांकि इन उपायों की सफलता को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं.

संसद में जल्द होगी उपायों पर चर्चा

इससे पहले न्याय मंत्री मार्को बुशमान ने कहा था कि चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व वाला गठबंधन सुरक्षा बढ़ाने के उपायों के ब्यौरे पर सहमत हो गया है. इसके लिए ड्राफ्ट बिल गठबंधन के संसदीय समूहों के विचार के लिए दे दिया गया है. इसके साथ ही बुशमान ने यह भी कहा कि इस पर अगले हफ्ते ही चर्चा हो सकती है. इस प्रस्ताव में शामिल उपायों की विस्तृत रूपरेखा पिछले महीने पेश की गई थी. इसमें सार्वजनिक जगहों पर चाकू लेकर जाने पर पाबंदी, तेजी से प्रत्यर्पण, शरण मांगने वालों की सुविधाएं सीमित करना और संदिग्ध इस्लामिक खतरों से निपटने के लिए पुलिस को ज्यादा अधिकार देना शामिल है. बुशमान का कहना है, "अब यह संसद के हाथ में है कि वह इन सबको तेजी से आगे बढ़ाए."

हालांकि यह उपाय विपक्षी रुढ़िवादी सीडीयू/सीएसयू के लिए पर्याप्त नहीं हैं. सीडीयू और उसकी बवेरियाई सहयोगी पार्टी सीएसयू देश में शरण मांगने के लिए आने वाले लोगों की संख्या सीमित करने की मांग कर रहे हैं. सत्ताधारी गठबंधन की तीनों पार्टियां और रुढ़िवादी विपक्ष जर्मनी के 16 राज्यों के नेताओं से मंगलवार को चर्चा करने के लिए मिलेंगे और फिर इस मुद्दे पर एक राय बनाई जाएगी.

विपक्षी दल की शर्त

इस मुलाकात से पहले विपक्षी नेता फ्रीडरीष मेर्त्स ने कहा है कि वह बातचीत करने के लिए तैयार हैं बशर्ते बिना दस्तावेज के रह रहे आप्रवासियों को तुरंत जर्मनी की सीमा से बाहर भेजा जाए. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स का कहना है कि गठबंधन सरकार कई पार्टियों की इस बातचीत को सफल बनाने के लिए अपनी भूमिका निभाएगी. बर्लिन के पास ब्रांडनबुर्ग में अपने निर्वाचन क्षेत्र टेल्टो में एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "अगर यह काम नहीं करता है तो ऐसा हमारी गलती की वजह से नहीं होगा. मुझे उम्मीद है कि यह काम करेगा क्योंकि यह समाज और शांति के लिए अच्छा होगा." जर्मन राष्ट्रपति ने भी इस मुद्दे पर सभी पार्टियों को एकजुट होने की अपील की है.

जर्मनी में पिछले दिनों चाकू से हमले की कई घटनाएं हुई हैं जिसके बाद लोगों में चिंता बढ़ी है. इन हमलों में आप्रवासियों की भूमिका को लेकर ज्यादा चिंता है क्योंकि जर्मनी में आप्रवासियों और शरणार्थियों को लेकर पहले से ही राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. धुर-दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) इन्हीं आप्रवासियों का मुद्दा उठा कर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने में सफल हो रही है.

एनआर/आरएस (डीपीए)