कंगाल पाकिस्तान के समर्थन में आया चीन, POK पर भारत के दावों को किया ख़ारिज

भारत ने बुधवार को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के तहत पीओके होते हुए दो देशों के बीच प्रस्तावित बस सेवा को लेकर चीन और पाकिस्तान के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया था.

इमरान खान और पीएम मोदी (Photo Credit-IANS)

इस्लामाबाद/बीजिंग: पाकिस्तान ने महत्त्वाकांक्षी सीपीईसी परियोजना के तहत ‘‘पीओके’’ होते हुए पाकिस्तान और चीन के बीच प्रस्तावित बस सेवा के खिलाफ भारत के विरोध को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया. वहीं, दूसरी ओर चीन ने प्रस्तावित बस सेवा का बचाव करते हुए कहा कि इस्लामाबाद के साथ उसके सहयोग का क्षेत्रीय विवाद से कोई लेना देना नहीं है और कश्मीर मुद्दे पर हमारे सैद्धांतिक रूख में कोई बदलाव नहीं होगा. खबरों के अनुसार पाकिस्तान के लाहौर और चीन के काशगर के बीच यह नई बस सेवा तीन नवम्बर से शुरू होगी. यह बस पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरेगी.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (एफओ) ने कहा,‘‘हम चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के जरिये बस सेवा के संबंध में भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) के कथित विरोध को खारिज करते हैं.’’ भारत ने बुधवार को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के तहत पीओके होते हुए दो देशों के बीच प्रस्तावित बस सेवा को लेकर चीन और पाकिस्तान के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया था.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि बस सेवा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन होगी. मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर को लेकर भारत के दावों से न तो इतिहास के तथ्य बदल सकते है और न ही कश्मीर विवाद की वैधता. इस बीच, चीन ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) होते हुए पाक के साथ प्रस्तावित बस सेवा का बचाव करते हुए कहा कि इस्लामाबाद के साथ उसके सहयोग का क्षेत्रीय विवाद से कोई लेना देना नहीं है और कश्मीर मुद्दे पर हमारे सैद्धांतिक रुख में कोई बदलाव नहीं होगा.

भारत के विरोध के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि उन्हें भारत के राजनयिक विरोध के बारे में जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा,‘‘लेकिन कश्मीर के मुद्दे पर, चीन की स्थिति स्पष्ट है। हमने इसे कई बार स्पष्ट किया है.’’

उन्होंने कहा,‘‘चीन और पाकिस्तान के बीच सहयोग का क्षेत्रीय विवाद से कोई लेना देना नहीं है और कश्मीर मुद्दे पर हमारे सैद्धांतिक रुख पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.’’ चीन ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को वार्ता और विचार-विमर्श के जरिये भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय ढंग से सुलझाया जाना चाहिए. उन्होंने सीपीईसी का बचाव करते हुए कहा कि यह चीन और पाकिस्तान के बीच एक आर्थिक सहयोग परियोजना है. उन्होंने कहा,‘‘यह किसी तीसरे देश के खिलाफ लक्षित नहीं है.’’

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