इस्लामाबाद: इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद चीन ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है. दरअसल पाकिस्तान साल 2013 जैसे एक बार फिर कंगाल होने की कगार पर है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान अपने विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ते घाटे से बेहाल है और चीन ने उसकी मदद करने से इनकार कर दिया है.
चीन और सऊदी अरब ने कहा कि पाकिस्तान पर आर्थिक संकट का समय है. ऐसे में हम उसको और आर्थिक सहायता नहीं दे सकते. इस्लामाबाद ने मई महीने में चीन से 1-2 अरब डॉलर यानी करीब 68-135 अरब रुपयों का कर्ज मांगा था. चीन और उसके सरकारी बैंकों द्वारा पाकिस्तान को दिया गया कर्ज इस साल जून तक 5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. इसलिए चीन कोई नया लोन लेने से कतरा रहा है.
पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की वजह से डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी मुद्रा लगातार कमजोर हो रही है. रविवार को एक डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपये की कीमत 123 तक पहुंच गई. अब हाल इस कदर तक खराब हो गया है की पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 10 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.
वहीं, अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान को तब तक नया लोन नहीं दिया जाना चाहिए, जब तक वह पुराने लोन की भरपाई न कर दे. अमेरिका भी पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद के मुड में नहीं दिखाई दे रहा. अमेरिका ने भी पाकिस्तान को नया लोन देने से मना कर दिया है. इसके अलावा अमेरिका ने चीन को भी कर्ज नहीं देने की सलाह दी है. अमेरिका ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान जब तक पुराने कर्ज की भरपाई नहीं करता तब तक उसे नया लोन नहीं दिया जाना चाहिए.
इसके अलावा पाकिस्तान द्वारा आतंकियों पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं करने पर नाराज अमेरिका ने अपनी तरफ से दिए जानेवाले वित्तीय मदद में कटौती कर दिया. इसलिए चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता और भी बढ़ रही है. चीन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के नाम पर लगातार दबदबा बढाता जा रहा है.
चीन अपनी महात्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट ऐंड रोड के तहत बनाए जा रहे चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) की आड़ में पाकिस्तान को श्रीलंका की तरह ही कर्ज के जाल में लगभग फंसा चुका है. बता दें की जनवरी में कर्ज के बोझ तले दबे श्रीलंका को अपना महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल के लिए लीज पर देना पड़ा था.