नई दिल्ली, 5 नवंबर : विश्लेषकों का मानना है कि 8 नवंबर को अमेरिका में हो रहे मध्यावधि चुनाव के नतीजे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं. काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस इन जापान टाइम्स में दक्षिण पूर्व एशिया के वरिष्ठ लेखक जोशुआ कुर्लांटजि़क लिखते हैं यदि डेमोक्रेटिक पार्टी सदन और सीनेट को बचाने में सफल रहती है तो एशिया में अमेरिकी सरकार की नीति में निरंतरता बनी रहेगी. हालांकि एशिया पर अपनी नीति के बारे में डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर भी बहस है, लेकिन अधिकांश सांसद अपने राष्ट्रपति की विदेश नीति की खुले तौर पर आलोचना करना नहीं चाहते. कुर्लांटजि़क लिखते हैं अगर डेमोक्रेट्स ने कांग्रेस पर नियंत्रण बरकरार रखा, तो इसका मतलब अमेरिका अपनी औद्योगिक नीति के माध्यम से चीन पर एक मुखर नीति को जारी रखेगा. इसका नतीजा यह होगा कि अमेरिका म्यांमार समेत दक्षिण पूर्व एशिया की अनदेखी करना जारी रखेगा. डीडब्ल्यू ने बताया कि अमेरिका में मध्यावधि चुनाव वैश्विक लोकतंत्र के लिए एक परीक्षा भी हो सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव के प्रति अमेरिकी मतदाताओं के व्यवहार का प्रभाव दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों पर पड़ेगा. वैश्विक लोकतंत्र के स्तर का विश्लोषण करने वाले गोथबर्ग विश्वविद्यालय में वी-डेम इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर और निदेशक स्टीफन लिंडबर्ग कहते कहते हैं, यूनाइटेड स्टेट्स का बहुत अधिक महत्व है. संस्था की नवीनतम डेमोक्रेसी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लोकतंत्र 1989 के स्तर तक गिर गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां लोकतंत्र में गिरावट आ रही है, वहीं निरंकुश शासन के अधीन रहने वालों का अनुपात एक दशक में 49 से बढ़कर 70 फीसदी हो गया है. यह भी पढ़ें : Pakistan: शहबाज के चीन दौरे के बाद पाकिस्तान की नजर 13 अरब डॉलर के पैकेज पर
लिंडबर्ग इस बात से आश्वस्त हैं कि अगर अमेरिकी लोकतंत्र इन मध्यावधि चुनावों के दौरान और उसके बाद भी मजबूत रहता है तो यह दुनिया भर के निरंकुश लोगों के लिए एक संदेश होगा. वित्तीय सेवाओं की प्रमुख कंपनी आईएनजी ने एक शोध नोट में कहा कि पिछले 22 मध्यावधि चुनावों में से केवल तीन (1934 में फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के राष्ट्रपति पद पर वापस जाने पर) ने मौजूदा राष्ट्रपति की पार्टी को प्रतिनिधि सभा (नौ सीटों) में बढ़त हासिल करते देखा है. 1934 में रूजवेल्ट के लिए नौ सीटों, 1998 में क्लिंटन के लिए पांच सीटों और 2002 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश के लिए आठ सीटों की बढ़त मिली .
रिपब्लिकन को सदन पर नियंत्रण हासिल करने के लिए छह सीटों का लाभ 1934 के बाद से 17 मौकों पर और पिछले चार मध्यावधि में से प्रत्येक में हासिल किया गया है. 1934 से मौजूदा पार्टी के लिए सदन की सीटों का औसत नुकसान 28 का रहा है. सीनेट में मौजूदा राष्ट्रपति की पार्टी ने छह मौकों पर सीटें हासिल की हैं और 1934 के बाद से 15 बार सीटें गंवाई हैं. पिछले 21 मौकों में औसत पांच सीटों का नुकसान रहा है. इस बार रिपब्लिकन को सीनेट को नियंत्रित करने के लिए सिर्फ एक सीट हासिल करने की जरूरत है.
आईएनजी ने कहा 8 नवंबर के मध्यावधि चुनाव का परिणाम यह तय करेगा कि वह अपने जो बिडेन अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दूसरे भाग में कितना हासिल कर सकते हैं और सरकार मंदी के बढ़ते जोखिमों का जवाब कैसे दे सकती है. यह चुनाव रिपब्लिकन पार्टी के लिए एक बैरोमीटर भी होगा और क्या डोनाल्ड ट्रम्प 2024 में बिडेन के खिलाफ मुकाबला कर पाएंगे. सोनेंशाइन टफ्ट्स विश्वविद्यालय में फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी में सार्वजनिक कूटनीति में अभ्यास के प्रोफेसर एडवर्ड आर मुरो कहते हैं आगामी मध्यावधि चुनावों के परिणाम सामने आने पर अमेरिका के अंदर कुछ चीजें बदल सकती हैं, और उन परिवर्तनों से स्पष्ट होगा कि अमेरिका को दुनिया भर में कैसे देखा जाता है.
तारा डी सोनेंशाइन ने कहा कि उदाहरण के लिए यूक्रेन में युद्ध को ही लें. पहले से ही हम देख रहे हैं कि रूस और यूक्रेन के लिए बिडेन प्रशासन के दुष्टिकोण पर अमेरिकी मतदाताओं के भीतर पक्षपातपूर्ण विभाजन सामने आ रहा है. ट्रम्प समर्थकों के लिए एक मजबूत मध्यावधि प्रदर्शन अमेरिका फस्र्ट दृष्टिकोण को फिर से मजबूत कर सकता है जिसे पूर्व राष्ट्रपति ने व्यक्त किया था. जब युद्ध शक्तियों की बात आती है तो कांग्रेस की एक मजबूत आवाज होती है, जिसका अर्थ है कि सदन और सीनेट के तरीके से यह निर्धारित होता है कि यूक्रेन में तथाकथित गंदे बम के उपयोग सहित रूस का जवाब देने के लिए कितना समर्थन है.
विकासशील देशों में कोविड के टीकाकरण से लेकर रूस पर प्रतिबंधों तक हर चीज पर कांग्रेस का खर्च अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बदल सकता है. मध्यावधि चुनाव में सीनेट और सदन दोनों में रिपब्लिकन की जीत का यूरोप और नाटो के देशोंे पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा. सोनेंसाइन ने कहा, अंत में इस चुनाव में नैतिक प्रश्न भी दांव पर लगे हैं. अमेरिका को दुनिया भर में लोकतंत्र के प्रतीक के रूप में आंका जाता है. लेकिन यह धारणा खतरे में है. सोनेंशाइन ने कहा कि मध्यावधि चुनाव से संदेश मिलेगा कि अमेरिकी क्या महत्व रखते हैं. एक सिद्धांत व व्यवहार के रूप में क्या अमेरिका लोकतंत्र पर अपने स्वामित्व का दावा कर सकता है.