Anti Polio Campaign: गाजा में एंटी पोलियो अभियान का पहला चरण समाप्त, 560,000 बच्चों को लगा टीका- संयुक्त राष्ट्र
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संयुक्त राष्ट्र, 14 सितंबर : संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक यूएन और उसके साझेदारों ने गाजा पट्टी में 10 वर्ष से कम आयु के 560,000 से अधिक बच्चों को पोलियो से बचाव के टीके लगा दिए हैं. मानवीय मामलों के समन्वय हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने शुक्रवार को कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जानकारी दी है कि गाजा के उत्तरी, मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में आपातकालीन टीकाकरण अभियान का पहला दौर गुरुवार को समाप्त हो गया.

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, ओसीएचए ने कहा कि उत्तरी गाजा में पहले दौर के अंतिम चरण के दौरान, संयुक्त राष्ट्र और उसके साझेदारों ने तीन दिनों में 112,000 से अधिक बच्चों को टीका लगाया. कार्यालय ने कहा कि उसके साझेदार लगभग चार सप्ताह में टीकाकरण अभियान का दूसरा दौर शुरू करने वाले हैं. यूएन कार्यकर्ताओं ने कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा किए गए नए विश्लेषण में पाया गया कि 23 जुलाई तक गाजा में घायल हुए 22,500 लोग ऐसे हैं जिन्हें आने वाले वर्षों में पुनर्वास सेवाओं की आवश्यकता होगी. ये संख्या उस अवधि में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताई गई कुल चोट का एक चौथाई हिस्सा हैं. यह भी पढ़ें : Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ के हवलदार ने खुद को मारी गोली, मौत

ओसीएचए ने कहा कि यह रिपोर्ट गाजा में स्वास्थ्य प्रणाली के तबाह होने के बीच आई है. गाजा में 36 में से केवल 17 अस्पताल आंशिक रूप से काम कर रहे हैं, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और सामुदायिक स्तर की सेवाएं अक्सर हमलों, असुरक्षा और बार-बार निकासी के आदेशों के कारण निलंबित या दुर्गम हो जाती हैं. कार्यालय ने कहा कि उसने पश्चिमी तट के तुलकरम और तुबास में इजरायली बलों के नवीनतम दो दिवसीय अभियान से प्रभावित लोगों की जरूरतों का आकलन करने के लिए मानवीय सहायता कर्मियों को एकत्रित किया है. यह इजरायली अभियान गुरुवार को समाप्त हुआ, जिसमें लगभग एक दर्जन फिलिस्तीनी मारे गए.

ओसीएचए ने कहा कि बुधवार और गुरुवार इस ऑपरेशन के दौरान दर्जनों परिवार विस्थापित हो गए, उनके घरों को नुकसान पहुंचाया गया. इजरायल ने हवाई और जमीनी हमले किए. जमीनी हमले के दौरान फिलिस्तीनियों और इजरायली बलों के बीच गोलीबारी भी हुई. ओसीएचए ने कहा, "पश्चिमी तट के इन क्षेत्रों में घातक युद्ध जैसी रणनीति के इस्तेमाल ने अत्यधिक बल प्रयोग को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं, जो कानून प्रवर्तन मानकों से परे प्रतीत होता है."