नई दिल्ली: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि मोदी सरकार ने कायर की तरह ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध को स्वीकार कर लिया है, क्योंकि वाशिंगटन के साथ रणनीतिक गठबंधन में सरकार बंधी हुई है. माकपा ने अपने मुखपत्र 'पीपुल्स डेमोक्रेसी' के संपादकीय में लिखा- "भारत को ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध को कायर की तरह स्वीकार नहीं करना चाहिए." माकपा ने कहा, "अमेरिका के पूर्व प्रतिबंध के विपरीत पहली बार एकतरफा प्रतिबंध थोपा गया है. इसके सहयोगी यूके, फ्रांस और जर्मनी ने भी प्रतिबंध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.
रूस और चीन ने प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया है." संपादकीय में तर्क दिया गया है कि अगर भारत चाहता तो वह ईरान के साथ तेल का व्यापार व अन्य व्यावसायिक निवेश सुनिश्चित करने की दिशा में इन प्रमुख देशों को सहयोग कर सकता था. माकपा ने कहा कि यह भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा का एक जरिया होता. माकपा ने कहा, "लेकिन मोदी सरकार की अधीनस्थ सहयोगी बनने की उत्कंठा के कारण भारत अमेरिका के साथ रणनीतिक गठबंधन में बंधा हुआ है."
वाम दल ने मुखपत्र में कहा, "अमेरिकी प्रतिबंध का विरोध करने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बचाने के लिए भारत को इस रणनीतिक गठबंधन को तोड़ना होगा, लेकिन मोदी सरकार इस पर नहीं सोच सकती है." यह भी पढ़ें: अमेरिका हुआ 8 देशों पर मेहरबान, ईरान से तेल का आयात जारी रखने पर जताई अपनी सहमति
संपादकीय के अनुसार, भारत ने पहले ही ईरान से तेल आयात में काफी कटौती की है. इस साल मई 2018 में जहां ईरान से तेल का आयात 6,90,000 बैरल रोजाना होता था वहां अगस्त में घटकर 4,00,000 बैरल रोजाना रह गया.