Smartphone Users in India 2030: 2030 तक भारत में 120 करोड़ हो जाएगी स्मार्टफोन यूजर की संख्या; रिपोर्ट

भारत में 2030 तक स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 100 करोड़ का आंकड़ा पार करने जा रही है. एक नई रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2030 तक 120 करोड़ स्मार्टफोन कनेक्शन होने का अनुमान है, जिनमें से आधे यूजर्स 5जी स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे होंगे.

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नई दिल्ली, 18 अक्टूबर : भारत में 2030 तक स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 100 करोड़ का आंकड़ा पार करने जा रही है. एक नई रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2030 तक 120 करोड़ स्मार्टफोन कनेक्शन होने का अनुमान है, जिनमें से आधे यूजर्स 5जी स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे होंगे. वैश्विक मोबाइल नेटवर्क बॉडी जीएसएमए के अनुसार, देश में 2030 तक 64.1 करोड़ से अधिक 5जी सब्सक्राइबर्स होने का अनुमान है, जिनकी संख्या 49 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. जीएसएमए इंटेलिजेंस के अनुमानों के अनुसार, "भारत में अगले छह वर्षों में 5जी मोबाइल सब्सक्राइबर्स की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी और डेटा का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ेगा"

5जी सब्सक्राइबर्स की संख्या में इस जबरदस्त उछाल से डेटा खपत में भी भारी वृद्धि होगी, जिससे भारतीय दूरसंचार कम्पनियां बड़े निवेश करने के लिए प्रेरित होंगी. भारत में प्रति ग्राहक डेटा खपत 2023 -2029 के बीच 15 प्रतिशत की सीएजीआर (कंपाउड इंटरेस्ट ग्रोथ रेट) से बढ़कर 68 जीबी प्रति माह तक पहुंचने की संभावना है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में, भारत और इंडोनेशिया आर्थिक लचीलेपन, रोजगार सृजन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डिजिटलीकरण का लाभ उठाने की बेहतर स्थिति में हैं. यह भी पढ़ें : We are Hiring: वित्त वर्ष 2025 में जीसीसी में 40 प्रतिशत बढ़ेंगे फ्रेशर्स के लिए नौकरियों के अवसर

संगठन ने कहा, "नवीनतम 'जीएसएमए मोबाइल इकोनॉमी एशिया पैसिफिक 2024 रिपोर्ट' के अनुसार, भारत में 2030 तक 120 करोड़ स्मार्टफोन कनेक्शन होने का अनुमान है, जबकि इंडोनेशिया के 2030 तक 38.7 करोड़ कनेक्शन तक पहुंचने की उम्मीद है." इसके अलावा, मोबाइल टेक्नोलॉजी और सेवाओं से 2023 में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद का 5.3 प्रतिशत उत्पन्न हुआ, जिससे आर्थिक मूल्य में 88,000 करोड़ डॉलर का योगदान मिला. इससे पूरे क्षेत्र में लगभग 1.3 करोड़ नौकरियों के अवसर पैदा हुए.

जीएसएमए के महानिदेशक मैट्स ग्रैनरीड ने कहा, "भारत और इंडोनेशिया न केवल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हैं, बल्कि वे इस क्षेत्र के लिए डिजिटल और आर्थिक विकास के भविष्य का इंजन भी हैं. साझेदारी और सहयोग को बढ़ावा देकर, हम दोनों देशों के लिए अधिक लचीले और टिकाऊ डिजिटल भविष्य की नींव रख रहे हैं."

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