क्या नए ‘ब्रेन एटलस’ से आसान हो जाएगा अल्जाइमर और मिर्गी का इलाज?

वैज्ञानिकों का कहना है कि डिमेंशिया, अल्जाइमर, मिर्गी, ऑटिज्म, मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी दिमाग से जुड़ी कई बीमारियों को सही तरह से समझने के लिए उन्हें मानव मस्तिष्क के असली ऊतकों तक बेहतर पहुंच चाहिए.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

वैज्ञानिकों का कहना है कि डिमेंशिया, अल्जाइमर, मिर्गी, ऑटिज्म, मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी दिमाग से जुड़ी कई बीमारियों को सही तरह से समझने के लिए उन्हें मानव मस्तिष्क के असली ऊतकों तक बेहतर पहुंच चाहिए.अगर वैज्ञानिक कोशिका स्तर पर यह देख पाएं कि मस्तिष्क कैसे बढ़ता है, बदलता है और कभी-कभी ठीक से काम नहीं करता, तो इससे उन्हें कई तंत्रिका संबंधी विकारों या बीमारियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है. ये बीमारियां दुनिया की एक-तिहाई आबादी के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करती हैं.

यूरोप का सबसे बड़ा ह्यूमन ब्रेन मैपिंग प्रोजेक्ट ‘ईब्रेन'

जर्मनी के यूलिष रिसर्च सेंटर की न्यूरोसाइंटिस्ट कातरीन अमुंट्स ने यूरोप का सबसे बड़ा ह्यूमन ब्रेन मैपिंग प्रोजेक्ट ‘ईब्रेन' का निरीक्षण किया है. उन्होंने ब्रेन एटलस के महत्व के बारे में बताया. वह कहती हैं, "जिस तरह मस्तिष्क शरीर का एक जटिल हिस्सा है, उसी तरह ब्रेन एटलस उसके लिए एक विस्तृत जीपीएस का काम करता है. यह जरूरी रेफरंस टूल के तौर पर काम करता है.”

नेचर पत्रिका में ब्रेन एटलस का एक नया सेट प्रकाशित हुआ है, जिससे ईब्रेन प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है. इसमें विस्तार से बताया गया है कि मानव और अन्य स्तनधारियों में मस्तिष्क कैसे विकसित होता है. शुरुआती चरण में कोशिका विभाजन होता है. समय के साथ अलग-अलग तरह की कोशिकाओं का एक जटिल समूह विकसित होता है, जो मस्तिष्क के विशेष कार्य संभालते हैं.

अमुंट्स इस नए शोध में शामिल नहीं थीं, लेकिन उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि दुनिया भर में विकसित किए जा रहे अन्य एटलस के साथ ये नए ब्रेन एटलस, अल्जाइमर या मिर्गी जैसी बीमारियों के बेहतर इलाज के तरीके उपलब्ध करा सकते हैं. इनमें से कुछ एटलस ऑटिज्म जैसी उन बीमारियों को समझने में मदद करेंगे जो तंत्रिका तंत्र के विकास के दौरान होती हैं. साथ ही, मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी ऑटोइम्यून समस्याओं (जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद पर हमला करती है) को समझने के लिए भी इनका उपयोग किया जा सकता है.

अमुंट्स ने एक ईमेल में कहा कि इन एटलस से पार्किंसंस रोग के लिए "अधिक सटीकता के साथ न्यूरोसर्जरी की योजना बनाने” और डीप ब्रेन स्टिमुलेशन जैसे सीधे लक्षित उपचारों को विकसित करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने बताया, "विभिन्न प्रजातियों में दिमाग की संरचना का एक स्पष्ट ब्लूप्रिंट देकर, ये एटलस ऐसे इलाज विकसित करने में मदद कर सकते हैं जो भविष्य में लाखों लोगों की जिंदगी बेहतर बना सकते हैं.”

हमारे दिमाग की झलक दिखाते हैं कई तरह के नक्शे

नए ब्रेन एटलस की खासियत यह है कि वे मस्तिष्क की कोशिकाओं की सिर्फ एक पल की तस्वीर नहीं दिखाते. बल्कि, ये एटलस दिखाते हैं कि कोशिकाएं समय के साथ कैसे बदलती और विकसित होती हैं. इससे विकास की पूरी प्रक्रिया को समझना संभव होता है.

अमुंट्स ने बताया, "आधिकारिक तौर पर, ये मस्तिष्क के ड्राफ्ट मैप हैं, लेकिन इनसे जो जानकारी मिलती है वह असाधारण होती है.” इन ब्रेन एटलस को तैयार करने के लिए मानव, गैर-मानव प्राइमेट और चूहों पर किए गए अध्ययनों के डेटा को शामिल किया गया है. उत्तरी अमेरिका, स्वीडन, बेल्जियम और सिंगापुर के शोध केंद्रों से प्राप्त कुल 12 अध्ययनों के निष्कर्षों को जोड़कर यह महत्वपूर्ण शोध कार्य पूरा किया गया है.

अमेरिका में एलन इंस्टीट्यूट फॉर ब्रेन साइंस के निदेशक होंगकुई जेंग ने कहा, "विचार यह है कि इन सभी तस्वीरों को अलग-अलग समय पर लिया जाए और उन्हें एक साथ जोड़कर समय के साथ हो रहे बदलावों वाला यह मैप बनाया जाए.”

जेंग के शोध समूह ने विकसित हो रही कोशिकाओं में जीन के शुरुआती संकेतों को दर्ज किया. उन्होंने यह पता लगाने के लिए नियमित निगरानी की कि चूहे के मस्तिष्क में ये संरचनाएं समय के साथ कैसे बदलती और विकसित होती हैं. इस पूरी प्रक्रिया से उन्होंने एक ‘ट्रैजेक्टरी मैप' तैयार किया.

जेंग ने कहा, "एक बार जब हमारे पास यह मैप तैयार हो जाता है, तो हम एक रोगग्रस्त ऊतक ले सकते हैं. इसके बाद फिर वही काम करते हैं. हम कोशिकाओं की प्रोफाइल बनाते हैं और उन्हें रेफरंस एटलस से मैच कराते हैं. इसके बाद हम देखते हैं कि क्या बदलाव आया है.”

उदाहरण के लिए, अल्जाइमर रोग से पीड़ित किसी मृत व्यक्ति के मस्तिष्क के ऊतक की तुलना एक हेल्दी ब्रेन मैप से की जा सकती है. यह तुलना यह जानने में मदद करेगी कि बीमारी से जुड़े बदलाव मस्तिष्क में किस स्थान पर और किस समय शुरू हुए थे.

ब्रेन एटलस को बेहतर बनाने की चुनौतियां

ब्रेन एटलस को विकसित करने में मानव मस्तिष्क के नमूने इस्तेमाल किए जा रहे हैं. इसके बावजूद, कोशिका स्तर पर चूहों के ब्रेन मैप सबसे विस्तृत हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि शोधकर्ताओं के लिए उपयुक्त और गुणवत्तापूर्ण मानव मस्तिष्क के ऊतकों को प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है.

वैज्ञानिक उपयोग के लिए मानव ऊतक तथाकथित ब्रेन बैंक से हासिल किए जाते हैं. किसी भी अंगदान की तरह, इन बैंक को दान किए गए मस्तिष्क के लिए पहले से सहमति की आवश्यकता होती है. मस्तिष्क का दान अन्य अंगों, जैसे कि लीवर या किडनी के दान की तुलना में कम प्रचलित है.

कई लोगों के लिए यह एक कठिन विषय तो है ही, लेकिन बीमार बच्चों के परिवारों द्वारा मस्तिष्क दान न करने के कारण, वैज्ञानिकों के पास उपयुक्त कोशिकीय ऊतक उपलब्ध नहीं हो पाते. यह कमी ब्रेन एटलस बनाने के लिए आवश्यक नमूनों की उपलब्धता को सीमित कर देती है.

जेंग ने कहा, "जानवरों पर किए गए शोध से मानव मस्तिष्क की पूरी समझ नहीं मिल पाती है. हम उससे अनुमान लगा सकते हैं या मॉडलिंग कर सकते हैं, लेकिन इंसानों पर सीधा अध्ययन करना जरूरी है. हमें उम्मीद है कि हम शोध के लिए मस्तिष्क दान करने की इच्छा को बढ़ावा दे पाएंगे.”

जेन बताते हैं कि इन नए ब्रेन एटलस में इस्तेमाल किए गए ज्यादातर इंसानी नमूने अमेरिका और यूरोप से लिए गए थे. दुनिया के अन्य हिस्सों में भी ब्रेन बैंक खुल रहे हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति से पता चलता है कि शोधकर्ताओं के पास मौजूद नमूनों में विविधता (यानी, विभिन्न आबादी, आयु समूह और पृष्ठभूमि के नमूनों) की कमी हो सकती है. उन्होंने कहा, "हम अलग-अलग तरह के इंसानों के एक बहुत ही सीमित हिस्से का नमूना ले रहे हैं. जानवरों की तुलना में मनुष्यों में विविधता बहुत ज्यादा है.”

जेंग ने कहा कि शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके अध्ययन को एशिया और अफ्रीका की आबादी तक बढ़ाया जा सकता है. इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि इस सूक्ष्म कोशिका स्तर पर विभिन्न आबादी के मस्तिष्क आपस में कैसे मेल खाते या भिन्न होते हैं.

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