मार्स रोवर ने मंगल पर खोजे प्राचीन झील के सबूत

मंगल पर काम कर रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रोवर पर्सीवरेंस ने ऐसे आंकड़े जुटाए हैं जिनसे साबित होता है कि मंगल ग्रह पर कभी पानी हुआ करता था.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

मंगल पर काम कर रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रोवर पर्सीवरेंस ने ऐसे आंकड़े जुटाए हैं जिनसे साबित होता है कि मंगल ग्रह पर कभी पानी हुआ करता था.नासा के मार्स रोवर पर्सीविरेंस ने जजेरो क्रेटर में तलछट खोजी है. हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि पर्सीविरेंस के भेजे आंकड़ों से यह साबित होता है कि इस क्रेटर में कभी एक विशाल झील हुआ करती थी, जिसकी तलछट अभी वहां पाई गई है.

पर्सीवरेंस ने अपने रेडार की मदद से जमीन के नीचे की जांच की. इस जांच से उस आकलन की पुष्टि हुई है, जो उपग्रीय तस्वीरों पर आधारित था. इन तस्वीरों में दिखा था कि कभी क्रेटर में झील हुआ करती थी, जिसके अवशेष बाकी हैं.

अब तक वैज्ञानिक मानते रहे हैं कि मंगल ग्रह पर एक विशाल झील थी और वहां सूक्ष्म जीव मौजूद हो सकते हैं. लॉस एंजेल्स स्थित कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी और नॉर्वे स्थित ओस्लो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के एक दल ने पर्सीविरेंस के भेजे आंकड़ों का अध्ययन और आकलन किया है.

इस अध्ययन में बताया गया है कि कार के आकार के छह पहियों वाले मार्स रोवर ने 2022 में कई महीनों तक जजेरो क्रेटर के धरातल के नीचे की सतह की जांच की. इसके लिए रोवर मंगल ग्रह पर क्रेटर में एक ऐसी जगह पहुंचा जो उपग्रह से ली गई तस्वीरों में किसी नदी के डेल्टा जैसा नजर आता है.

कभी रहने लायक रहा होगा मंगल

रोवर के रिमफैक्स रेडार इंस्ट्रूमेंट के जरिए वैज्ञानिक 20 मीटर की गहराई तक देख पाए. मुख्य शोधकर्ता कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी के ग्रह-वैज्ञानिक डेविड पेज कहते हैं कि इस गहराई में देखना सड़क में किसी दरार में देखने जैसा था.

पेज के मुताबिक इस दरार की परतें इस बात का पक्का सबूत हैं कि जमीन में मौजूद तलछट पानी की वजह से था, जो जजेरो क्रेटर की ओर बहती किसी नदी ने छोड़ा होगा. यह वैसा ही है जैसा धरती पर नदी डेल्टा में बनी झीलों में होता है.

पहले भी वैज्ञानिक कह चुके हैं कि आज जो सूखा, ठंडा और जीवन-रहित ग्रह है, वही मंगल कभी गर्म, गीला और शायद रहने लायक रहा होगा. नई खोज ने उस विचार की पुष्टि की है. अब वैज्ञानिक जजेरो के तलछट का करीबी से अध्ययन करना चाहते हैं. रोवर ने इसके नमूने जमा किए हैं, जिन्हें धरती पर भेजा जाएगा. माना जाता है कि यह क्रेटर तीन अरब साल पहले बना होगा.

ज्वालामुखी या झील?

इससे पहले रोवर ने फरवरी 2021 में चार जगहों पर खुदाई की थी और नमूने जुटाए थे. उन नमूनों के अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने कहा था कि वहां कभी ज्वालामुखी रहा होगा.

इन दोनों अध्ययनों को नतीजों को वैज्ञानिक विरोधाभासी नहीं मानते बल्कि ये एक दूसरे की पुष्टि ही करते हैं. उनके मुताबिक ज्वालामुखीय चट्टानों में भी पानी के संपर्क के संकेत मिले थे. अगस्त 2022 में प्रकाशित हुए उस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कहा था कि संभवतया तलछट क्षरित हो चुकी है.

पिछले हफ्ते प्रकाशित रिमफैक्स की जांच में भी क्षरण के संकेत मिले हैं. पेज कहते हैं कि यह मंगल ग्रह की जटिल भोगौलिक इतिहास के बारे में बताता है.

उन्होंने कहा, "हम जहां उतरे थे, वहां ज्वालामुखीय चट्टानें थीं. यहां असली खबर ये है कि अब हम (रोवर) डेल्टा तक पहुंच गए हैं और और झील की तलछट के सबूत देख पा रहे हैं. हमारे उस जगह जाने के मकसदों में से यह प्रमुख था. इसलिए उस लिहाज से यह खुशी की बात है.”

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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