क्या चीन से भी आये थे अमेरिका के मूल निवासी
अमेरिका की खोज से लेकर वहां के मूल निवासियों तक की उत्पत्ति का मसला जब-तब उठता रहता है.
अमेरिका की खोज से लेकर वहां के मूल निवासियों तक की उत्पत्ति का मसला जब-तब उठता रहता है. वैज्ञानिकों को ऐसे जेनेटिक सबूत मिले हैं जो अमेरिकी मूल निवासियों में चीनी वंश के शामिल होने के संकेत दे रहे हैं.पृथ्वी पर मानव की बस्तियों के लिए अमेरिका आखिरी महादेश था. यहां सबसे बाद में इंसान ने अपना घर बनाया. यह सवाल हमेशा से वैज्ञानिकों को परेशान करता रहा है कि आखिर अमेरिका में सबसे पहला आदमी कहां से और कैसे आया? इस हफ्ते सेल रिपोर्ट्स में छपी एक नई रिसर्च रिपोर्ट में जेनेटिक स्टडी के आधार पर बताया गया है कि अमेरिका पहुंचे शुरुआती इंसान चीन से आये थे. रिसर्चरों का कहना है कि चीन से अमेरिका की ओर आप्रवासन दो अलग अलग समय पर हुआ. पहली बार आखिरी हिमयुग में और दूसरी बार उसके थोड़े समय बाद.
मूल निवासियों के आनुवांशिक स्रोत
रिसर्च रिपोर्ट के लेखकों में शामिल यू चुन ली ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हमारी खोज से इस बात के संकेत मिलते हैं कि अमेरिकी मूल निवासियों के आनुवांशिक स्रोत साइबेरियाई होने के बावजूद उत्तरी तटवर्ती चीन ने भी इस जीन पूल के लिए जेनेटिक भंडार के रूप में योगदान दिया है."
इसके साथ ही ली ने यह भी कहा कि दूसरे आप्रवासन के दौरान उसी वंश के लोग जापान में बस गए. अमेरिका, चीन और जापान में मिले प्रागैतिहासिक काल के तीरों और भाले में समानता भी इसकी व्याख्या में मदद कर सकती है.
पहले माना जाता था कि आधुनिक रूस और अलास्का को जोड़ने वाली बेरिंग दर्रे से हो कर अमेरिका पहुंचे प्राचीन साइबेरियाई वहां के मूलनिवासियों के अकेले पूर्वज थे. सन 2000 के बाद हुई हाल की रिसर्चों ने एशिया के और ज्यादा विविध स्रोतों को प्राचीन वंशों से जोड़ा जो पूरे बोलिविया, ब्राजील, चिली, इक्वाडोर, मेक्सिको और कैलिफोर्निया समेत अमेरिका की आबादी के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.
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डी4एच वंश
डी4एच के नाम से जाना जाने वाला यह वंश माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए में पाया गया है जो किसी बच्चे में सिर्फ उसकी मां के जरिये पहुंचता है. मां से जुड़े वंश का पता लगाने के लिए इसका इस्तेमाल होता है.
कुनमिंग इंस्टीट्यूट ऑफ जूलॉजी की टीम डी4एच की खोज में 10 साल तक जुटी रही. यूरेशिया के एक लाख आधुनिक और 15000 प्राचीन नमूनों को परखने के बाद आखिरकार उन्हें 216 समकालीन और 39 प्राचीन लोग मिले जो उस प्राचीन वंश के थे.
समय-समय पर हुए बदलावों का विश्लेषण करने, नमूनों की भौगिलिक स्थिति को देखने और कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल करने के बाद वह डी4एच वंश की उत्पत्ति और विस्तार के इतिहास की संरचना दोबारा तैयार करने में सफल हुए.
कब हुआ और कैसे हुआ आप्रवासन
इन नतीजों से आप्रवासन की दो घटनाओं का पता चला. पहली घटना 19,500 से 26,000 साल पहले लास्ट ग्लेशियल मैक्सिम के दौरान हुई थी. यह वो समय था जब धरती पर बर्फ की चादर अपने विशालतम रूप में थी और उत्तरी चीन में जलवायु की स्थिति जीवों के रहने लायक नहीं थी.
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दूसरी घटना 19, 000 से 11,500 साल पहले के बीच हुई थी. इस कालखंड में इंसानों की आबादी बढ़ने के कारण शायद आप्रवासन हुआ.
दोनों मामलों में, वैज्ञानिकों को लगता है कि यात्री समुद्र के रास्ते अमेरिका पहुंचे और उन्होंने प्रशांत तटों के किनारे नावों से यात्रा की. इसकी वजह यह है कि दोनों इलाकों के बीच घास वाला रास्ता तब तक खुला नहीं था जो आधुनिक कनाडा में है. इसे इनलैंड आइस फ्री कॉरिडोर कहा जाता है.
दूसरे आप्रवासन में एक समूह उत्तरी तटवर्ती चीन से जापान गया. इसने जापानी लोगों की आबादी में योगदान दिया. खासतौर से स्थानीय आईनू की आबादी में. इस स्टडी ने अमेरिका, चीन और जापान के प्राचीन लोगों में पुरातात्विक समानताएं ढूंढी हैं.
ली का कहना है कि खोजे गये नमूने इस रिसर्च की ताकत हैं. इसके साथ ही वाई क्रोमोसोम वाले डीएनए ये दिखा रहे हैं कि उत्तरी चिली में रहने वाले अमेरिकी मूल निवासियों के पुरुष पूर्वजों का भी वही समय है जो महिला पूर्वजों का. इससे उन्हें अपनी खोज पर यकीन पक्का हुआ है.
ली ने यह भी कहा, "हालांकि हम नहीं जानते कि उत्तरी तटवर्ती चीन के किस खास जगह पर यह विस्तार हुआ और वो कौन सी घटनाएं थीं जिनकी वजह से आप्रवासन हुए. इन सवालों के जवाब के लिए ज्यादा सबूतों खासतौर से प्राचीन जीनोम की जरूरत होगी."
एनआर/आरएस (एएफपी)