Celestial Event: आज होगी अद्भुत खगोलीय घटना, सुबह 11.30 बजे पृथ्वी के सबसे करीब आएगा शनि ग्रह, नग्न आंखों से कर सकेंगे दीदार

शनि एक ऐसा ग्रह है जिसके रहस्य हर कोई जानना चाहता है. इस बार नक्षत्र में शनि से संबंधित कोई खगोलीय घटना होने जा रही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक आज सुबह साढ़े 11 बजे शनि पृथ्वी के सबसे करीब आ जाएगा. ओडिशा के सामंत तारामंडल के उप निदेशक सुवेंदु पटनायक ने कहा कि 2 अगस्त को सुबह 11.30 बजे शनि और पृथ्वी एक दूसरे के सबसे करीब होंगे....

प्रतीकात्मक तस्वीर, (Photo Credits: Pixabay)

भुबनेश्वर, 2 अगस्त: शनि एक ऐसा ग्रह है जिसके रहस्य हर कोई जानना चाहता है. इस बार नक्षत्र में शनि से संबंधित कोई खगोलीय घटना होने जा रही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक आज सुबह साढ़े 11 बजे शनि पृथ्वी के सबसे करीब आ जाएगा. ओडिशा के सामंत तारामंडल के उप निदेशक सुवेंदु पटनायक ने कहा कि 2 अगस्त को सुबह 11.30 बजे शनि और पृथ्वी एक दूसरे के सबसे करीब होंगे. उस समय भारत में दिन होगा लेकिन दुनिया में जहां भी रात होगी उन लोगों को उज्जवल शनि दिखाई देगा. दुनिया भर के लोग शनि को खुली आंखों से देख सकते हैं. उन्होंने बताया कि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 365 दिन लगते हैं जबकि शनि को सूर्य की एक पूर्ण परिक्रमा पूरी करने में लगभग 29.5 वर्ष लगते हैं. यह भी पढ़ें: Asteroid to Pass Close to Earth: इस दिन पृथ्वी से टकरा सकता है स्टेडियम जितना विशाल क्षुद्रग्रह, जानिए कितना खतरनाक है ये स्टेरॉयड

हर साल एक बार पृथ्वी और शनि अपने कक्षीय पथ में घूमते हुए एक दूसरे के करीब आते हैं. 1 साल 13 दिनों के अंतराल में वे एक-दूसरे के सबसे करीब आ जाते हैं. इससे पहले, वे 20 जुलाई, 2020 को करीब आए थे और 14 अगस्त, 2022 को फिर से ऐसा करेंगे, "वरिष्ठ तारामंडल अधिकारी ने कहा. उन्होंने आगे कहा, "जब वे एक-दूसरे के बहुत करीब होंगे, तो औसत दूरी लगभग 120 करोड़ किलोमीटर होगी, जो उनके बीच की अधिकतम दूरी की तुलना में 50 करोड़ किलोमीटर कम है, जो कि 6 महीने के बाद होता है, जब शनि पृथ्वी के दूसरी तरफ इस पार होगा.

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उनके अनुसार, शनि नग्न आंखों से भी चमकीला दिखाई देगा और इसे अगस्त के पूरे महीने में रात भर देखा जा सकता है. उन्होंने कहा, "शनि के कुछ उपग्रहों को एक छोटी दूरबीन से भी देखा जा सकता है." इसके बाद बृहस्पति आकाश का सबसे चमकीला ग्रह होगा और शनि की स्थिति बृहस्पति के पश्चिम में होगी. इस दौरान आकाश में यह खगोलीय घटना घटेगी. मौसम भी इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है. इसके कारण बादलों और बारिश से आसमान साफ ​​होने की उम्मीद कम है.

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