Virat Kohli Birthday: कप्तान विराट कोहली की सोच ने भारतीय टेस्ट क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल दिया
Virat Kohli(Photo Credits: X/ @ICC)

नई दिल्ली, 5 नवंबर : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) बुधवार को अपना 37वां जन्मदिन मना रहे हैं. विराट कोहली को 'किंग कोहली', 'रन मशीन' और 'चेज मास्टर' कहा जाता है. टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों ही फॉर्मेट में बल्लेबाज कोहली का कोई मुकाबला नहीं है. उनके रिकॉर्ड उनकी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं. महान बल्लेबाज होने के साथ-साथ विराट कोहली एक बेहतरीन नेतृत्वकर्ता रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट में विराट का बतौर कप्तान असाधारण प्रभाव रहा है.

विराट कोहली 9 दिसंबर 2014 को भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान बने थे. 2014 में एमएस धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया गई थी. सीरीज के बीच में ही धोनी ने टेस्ट फॉर्मेट को अलविदा कह दिया. ऐसी स्थिति में विराट को अचानक टेस्ट की कप्तानी मिली. विराट कोहली ने जनवरी 2022 में टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ दी थी. लगभग 8 साल की कप्तानी में विराट कोहली ने भारतीय टीम के टेस्ट खेलने के नजरिए और तरीके को पूरी तरह बदल दिया. विराट की कप्तानी में भारतीय टेस्ट क्रिकेट अपने स्वर्णिम दौर से गुजरा. आइए विराट के 37वें जन्मदिन पर जानते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में बतौर कप्तान वे क्या बदलाव लेकर आए जिसका परिणाम भारतीय टेस्ट क्रिकेट के लिए सुखद रहा. यह भी पढ़ें : New Zealand vs West Indies, 1st T20I Match Scorecard: पहले टी20 में वेस्टइंडीज ने न्यूजीलैंड के सामने रखा 165 रनों का टारगेट, शाई होप ने खेली आतिशी पारी; यहां देखें पहली पारी का स्कोरकार्ड

विराट कोहली बतौर कप्तान टेस्ट क्रिकेट में ऊर्जा, गति और लक्ष्य लेकर आए, जिसने भारतीय टेस्ट क्रिकेट को बदल दिया. टेस्ट क्रिकेट को अपने धीमेपन के लिए जाना जाता है. इस फॉर्मेट में ऊर्जा और जोश कम दिखता है. ऊर्जा और जोश के लिए खिलाड़ियों का फिट होना जरूरी है. विराट ने फिटनेस को प्राथमिकता दी. इसके लिए यो-यो टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया. यो-यो टेस्ट की अनिवार्यता ने भारतीय खिलाड़ियों की फिटनेस दुनिया के किसी भी दूसरे देश के खिलाड़ियों से बेहतर कर दी, जिसका असर क्षेत्ररक्षण और विकेटों के बीच दौड़ में देखने को मिलता है.

टेस्ट क्रिकेट में खासकर भारत में स्पिनरों को प्राथमिकता दी जाती है. विराट ने स्पिन की जगह गति को प्राथमिकता दी और तेज गेंदबाजों को ज्यादा मौके दिए. इसका परिणाम विदेशों में भारत की जीत में नजर आया. जीत या हार के साथ टेस्ट क्रिकेट में ड्रॉ की संभावना सबसे ज्यादा होती है. विराट बतौर कप्तान टेस्ट में जीत के लक्ष्य के साथ उतरते थे. देश हो या विदेश, विराट ने हर जगह अपनी कप्तानी में विपक्षी टीमों को धूल चटाई.

बतौर कप्तान विराट कोहली के बदलावों ने भारतीय टेस्ट टीम की दिशा और दशा बदल दी. कोहली के विराट नेतृत्व में भारतीय टीम 2016 से 2021 के बीच टेस्ट की नंबर वन टीम रही. 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया को उसकी धरती पर पहली बार बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में हराया. भारत पहली विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला. भारत में विराट की कप्तानी में खेले 11 टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम विजेता रही.

टेस्ट क्रिकेट में किए गए बदलावों की वजह से ही विराट भारत के सफलतम और विश्व क्रिकेट में जीत के प्रतिशत के आधार पर रिकी पोंटिंग के बाद दूसरे सफल कप्तान हैं. विराट ने 2014 से 2022 के बीच 68 टेस्ट मैचों में कप्तानी की. भारत ने 40 मैच जीते और 17 गंवाए. सिर्फ 11 मैच ड्रॉ रहे.