Indian Boxers: विस्तार से जानें 2023 में भारतीय मुक्केबाजों के सामने क्या है बड़ी चुनौतियां
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कुछ युवा भारतीय मुक्केबाजों से आईएएनएस ने 2023 प्रतियोगिताओं, खासकर एशियाई खेलों की योजनाओं के बारे में बाचतीच की, जिन पर उन्होंने विस्तार से अपनी बातें कही. 2023 का खेल कैलेंडर भारत के लिए एक और चुनौतियों से भरा रहने वाला है. 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए विभिन्न क्वालीफायर के साथ, 2023 ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए क्वोलीफाई करने के इच्छुक भारतीय एथलीटों के लिए एक बड़ा वर्ष होगा. यह भी पढ़ें: महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप में मंजू रानी समेत रेलवे की 8 मुक्केबाज फाइनल में पहुंचीं

बॉक्सिंग में भारत के कार्यक्रम की बात करें तो दिल्लीवासियों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि प्रशंसक मार्च में अपने पसंदीदा मुक्केबाजों को एक्शन में देख सकते हैं.

2023 आईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 15 से 31 मार्च तक दिल्ली में होगी, क्योंकि भारत टूर्नामेंट के इतिहास में तीसरी बार द्विवार्षिक आयोजन की मेजबानी करने के लिए तैयार है.

2001 में चैंपियनशिप की शुरूआत के बाद से, प्रतिष्ठित कार्यक्रम भारत में दो बार 2006 और 2018 में, दोनों बार दिल्ली में हुआ. इसके अलावा, भारत ने गुवाहाटी में 2017 में महिला युवा विश्व चैंपियनशिप की मेजबानी भी की है.

फिर मई में, बॉक्सिंग के प्रशंसकों को उत्साहित रखने के लिए 1 से 14 मई तक ताशकंद, उज्बेकिस्तान में पुरुष विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप होगी.

बाद में सितंबर में, एशियाई खेल चीन के हांग्जो में शुरू होंगे. एकमात्र चिंताजनक घटनाक्रम चीन में कोविड-19 मामलों में उछाल है। लेकिन अगर सब ठीक रहा तो 2023 में भारतीय खेल प्रेमियों के लिए बहुत कुछ है.

बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीएफआई) के एक अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि सभी राष्ट्रीय मुक्केबाज 2023 में मेगा इवेंट के लिए कमर कस रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, "हम अगले साल को नए जोश और नई चुनौतियों के साथ देख रहे हैं. मुझे यकीन है कि हमारे पदकों की संख्या बढ़ेगी और हमारे मुक्केबाज विश्व स्तर पर चमकेंगे.

साल 2022 भारतीय मुक्केबाजों के लिए मिलाजुला साबित हुआ। भारतीय मुक्केबाजी की नई पोस्टर गर्ल निखत जरीन ने इस साल स्वर्ण पदकों की हैट्रिक लगाई. उन्होंने इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कराने के साथ वर्ष की शुरूआत की, क्योंकि वह प्रतिष्ठित स्ट्रैंड्जा मेमोरियल मीट, यूरोप के सबसे पुराने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी टूर्नामेंट में दूसरा स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय मुक्केबाज बनीं.

तेलंगाना की मुक्केबाज ने अपनी आदर्श मैरी कॉम की विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली उपलब्धि को दोहराया। यह चार वर्षों में भारत का पहला विश्व खिताब था और देश के बाहर केवल दूसरा.

26 वर्षीय मुक्केबाज ने राष्ट्रमंडल खेलों में पदक की मजबूत दावेदार के रूप में प्रवेश किया और उन्होंने 50 किग्रा का खिताब जीतकर निराश नहीं किया.

भारतीय मुक्केबाजी दल राष्ट्रमंडल खेलों 2022 से छह पदकों के साथ स्वदेश लौटा.

बर्मिघम में नीतू घनघास, निखत और अमित पंघाल ने स्वर्ण पदक जीता, जबकि सागर अहलावत ने रजत और रोहित टोकस और जेसमीन लम्बोरिया ने कांस्य पदक अपने नाम किया.

रोहतक के अमित पंघाल ने अपने 2018 सीडब्ल्यूजी गोल्ड कोस्ट सिल्वर पदल जीतक अपने प्रदर्शन में सुधार किया. पुरुष वर्ग में अनुभवी शिव थापा ने भी जलवा बिखेरा। जबकि उन्होंने सीडब्ल्यूजी के साथ 29 वर्षीय मुक्केबाज एशियाई चैंपियनशिप के इतिहास में छह पदक जीतने वाले पहले पुरुष बने.

चोट के कारण उन्हें अपने अंतिम बाउट के बीच में ही हटने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा.

इन सभी टूर्नामेंटों में बॉक्सिंग बिरादरी के लिए एक बुरी खबर थी। इस खेल को 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक के लिए शुरूआती रोस्टर से बाहर रखा गया है.