भारतीय क्रिकेट टीम जब ‘फिटनेस संस्कृति’ विकसित करने की सोच रही थी तब शंकर बासु (Basu Shanker) टीम से जुड़े और उन्होंने इस संतुष्टि के साथ अपना कार्यकाल समाप्त किया कि अब चाहकर भी कोई खिलाड़ी फिटनेस को कम करके नहीं आंक सकता. इस 50 वर्षीय फिटनेस कोच का चार साल का कार्यकाल विश्व कप के साथ ही समाप्त हो गया. कोहली तो फिटनेस के प्रति भी जुनूनी है और पिछले दो वर्षों में उन्होंने एक दिन भी बहाना नहीं बनाया लेकिन बासु को सबसे अधिक संतुष्टि तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी के फिटनेस स्तर पर आमूलचूल बदलाव को देखकर हुई.
भारतीय टीम के साथ अपना अनुबंध 30 जुलाई को समाप्त करने वाले बासु ने पीटीआई से कहा, ‘‘जब मैंने शुरुआत की तो संस्कृति को बदलना चुनौती थी और अब 90 प्रतिशत टीम पेशेवर तरीके से ट्रेनिंग करती है. प्रत्येक टीम में एक या दो ऐसे होते हैं जिन पर अतिरिक्त ध्यान देना होता है.’’ उन्होंने केएल राहुल, हार्दिक पंड्या, इशांत शर्मा, दिनेश कार्तिक और रविचंद्रन अश्विन के साथ भी काफी काम किया. उनकी नजर में रविंद्र जडेजा नैसर्गिक एथलीट है जो अपने शरीर के बारे में जानता है और संभवत: अभी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक है.
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बासु ने कहा, ‘‘मैं सही समय पर टीम से जुड़ा. भारतीय टीम बदलाव चाहती थी और यह जिम्मेदारी मुझे सौंपी गयी कि मैं फिटनेस संस्कृति विकसित करूं. मैंने इसके लिये कड़ी मेहनत की. मैं भाग्यशाली रहा कि मैंने ऐसे कोचिंग और सहयोगी स्टाफ के साथ काम किया जिसने मुझे ट्रेनिंग के संबंध में स्वतंत्र फैसले करने की छूट दी. ’’ कोहली जैसे कप्तान की मौजूदगी से वह अपने काम को अधिक प्रभावशाली तरीके से कर पाए.