PR Agency Ban For Cricketer: 'भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए PR एजेंसियां बैन! BCCI के सख्त नियम पर हरशा भोगले की सलाह

बीसीसीआई ने भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए नए कड़े नियम लागू किए हैं, जिसमें पीआर एजेंसी पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है. हरशा भोगले ने इस बदलाव का समर्थन करते हुए इसे क्रिकेटर्स की छवि पर निगरानी रखने की आवश्यकता बताई. इसके अलावा, बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के परिवारों की यात्रा और टीम यात्रा के नियमों में भी बदलाव किए हैं.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने हाल ही में भारतीय क्रिकेटरों के लिए कड़े नियमों की घोषणा की, जिसके बाद प्रमुख खेल प्रसारक हरशा भोगले ने भारतीय क्रिकेट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भोगले ने एक महत्वपूर्ण बदलाव का सुझाव देते हुए कहा कि सभी क्रिकेट खिलाड़ियों को पीआर एजेंसियों से दूर रखा जाना चाहिए.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "बीसीसीआई द्वारा भारतीय टीम के लिए सुझाए गए बदलावों को पढ़ते हुए मुझे यकीन नहीं हो रहा कि इनमें से कितनी बातें सच हैं, लेकिन अगर मुझे एक नियम चुनने का मौका मिले, तो मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि टीम के सदस्य पीआर एजेंसियों से दूर रहें."

बीसीसीआई के नए नियमों के प्रमुख बदलाव

बीसीसीआई की हाल ही में हुई वार्षिक आम बैठक (AGM) में कई महत्वपूर्ण बदलावों पर चर्चा की गई, जिनका उद्देश्य भारतीय टीम के प्रदर्शन को सुधारना और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को फिर से मजबूत करना है. इनमें से एक प्रमुख निर्णय यह था कि खिलाड़ियों के परिवारों को विदेश दौरे के दौरान केवल 14 दिनों तक ही साथ रहने की अनुमति होगी, यदि दौरा 45 दिन या उससे अधिक का हो. यह बदलाव खासतौर पर विराट कोहली और केएल राहुल जैसे खिलाड़ियों की पत्नियों की लंबे समय तक उपस्थिति के बाद लिया गया.

इसके अतिरिक्त, बीसीसीआई ने यह भी तय किया कि सभी खिलाड़ी अब टीम बस से ही यात्रा करेंगे, जैसा कि हाल ही में विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों को अलग-अलग यात्रा करते हुए देखा गया था. इसका उद्देश्य टीम के बीच एकता और सामूहिक भावना को बढ़ावा देना है.

पीआर एजेंसियों पर बैन की आवश्यकता

पीआर एजेंसियों को लेकर कई बार यह आरोप लगाए गए हैं कि वे खिलाड़ियों के बारे में झूठी खबरें फैलाती हैं और सेलिब्रिटीज की मदद से किसी खास क्रिकेटर को मशहूर करने का प्रयास करती हैं. विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे प्रमुख क्रिकेटर्स प्रसिद्ध पीआर एजेंसियों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं, जो अपने क्लाइंट्स की छवि को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं.

हरशा भोगले का मानना ​​है कि खिलाड़ियों के लिए एक ऐसी नीति होनी चाहिए, जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाए रखे. पीआर एजेंसियों का कद बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर इसका असर भी पड़ता है, जिससे उनका ध्यान खेल पर कम और छवि बनाने पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है.

बीसीसीआई के नए नियमों के बावजूद, यह सवाल बना हुआ है कि क्या ये कदम भारतीय क्रिकेट की टीम के लिए सुधारक साबित होंगे या इनका असर केवल खिलाड़ियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर पड़ेगा.

यह बदलाव निश्चित रूप से भारतीय क्रिकेट में नए दौर की शुरुआत का प्रतीक हो सकता है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इन नियमों को कितना सफलतापूर्वक लागू किया जाता है और इसका खिलाड़ी के प्रदर्शन पर क्या असर पड़ता है.

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