डीडीसीए की शीर्ष परिषद ने रजत शर्मा पर दिये लोकपाल के आदेश को खारिज किया
रजत शर्मा (Image Credit: Facebook/Rajat Sharma)

नई दिल्ली. दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की शीर्ष परिषद ने लोकपाल न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बीडी अहमद के उस फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने पत्रकार रजत शर्मा को डीडीसीए का अध्यक्ष बने रहने की स्वीकृति दी थी. शर्मा ने शनिवार को अपना इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह संस्था में चल रही ‘खींचतान और दबावों’ में पद पर बने रहने में असमर्थ हैं. लोकपाल ने हालांकि शर्मा का इस्तीफा नामंजूर कर दिया था और उन्हें अगली सुनवाई तक अपने पद पर बने रहने को कहा था। इसके साथ ही उन्होंने सुनवायी के लिए 27 नवंबर की तारीख तय की थी.

लोकपाल का यह फैसला शीर्ष परिषद को पसंद नहीं आया जिसके 16 में से नौ सदस्यों ने संवाददाता सम्मेलन करके लोकपाल के फैसले को खारिज कर दिया और डीडीसीए में खेल के संचालन को प्रभावित करने वाले मुद्दों को भी उठाया. शीर्ष परिषद ने शर्मा को लिखे पत्र में कहा, ‘‘ शीर्ष परिषद के निम्नलिखित सदस्यों की राय यह है कि आप डीडीसीए के अध्यक्ष के रूप दोबारा पदभार ग्रहण नहीं कर सकते हैं और आपको फिर से पद ग्रहण करने का जो ईमेल भेजा गया था उसे निरस्त माना जाएगा.’’ यह भी पढ़े-JNU Protest: जेएनयू के छात्रों ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री का आश्वासन मिलने के बाद धरना किया खत्म

उन्होंने कहा, ‘‘ कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 168 (1) में यह स्पष्ट है कि निदेशक का इस्तीफा कंपनी को मिलने के बाद से ही प्रभावी होगा। कंपनी अधिनियम में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि कंपनी को इस्तीफा सौंपने के बाद उसे वापस लिया जा सकता है.’’परिषद के लोकपाल के कार्यकाल पर भी सवाल उठाया. पत्र में कहा गया कि, ‘‘ लोकपाल का कार्यकाल एक साल का था जो 30 जून 2018 से 29 जून 2019 तक प्रभावी था और संघ के नियम के अनुसार उनके कार्यकाल को सिर्फ एजीएम में बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में माननीय लोकपाल के द्वारा 30 जून 2019 के बाद लिया गया हर फैसला निरस्त माना जाएगा.’’

शर्मा के इस्तीफे के बाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि चोपड़ा और दो सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार समिति में शामिल सुनील वाल्सन और यशपाल शर्मा ने भी इस्तीफा दे दिया था. परिषद के मुताबिक लोकपाल के निर्देश पर चोपड़ा सोमवार को फिर से अपने पद से जुड़ गये. शीर्ष परिषद के निदेशकों में शामिल संजय भारद्वाज ने कहा, ‘‘ लोकपाल के आदेश के अनुसार सब कुछ वैसे ही बरकरार रहेगा जैसा 12 नवंबर से पहले था. सीईओ ने चार नवंबर को इस्तीफा दिया था और उसे अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया था लेकिन अब लोकपाल के आदेश के बाद सीईओ फिर से अपने कार्यालय से जुड़ रहे हैं जिसका हमने विरोध किया.’’

शीर्ष परिषद के इन सदस्यों में छह निदेशक हैं जिसमें एस एन शर्मा, रेणु खन्ना, संजय भारद्वाज, आलोक मित्तल, अपूर्व जैन, नितिन गुप्ता, उपाध्यक्ष राकेश बंसा, सचिव विनोद तिहाड़ा और संयुक्त सचिव रंजन मनचंदा शामिल हैं. डीडीसीए के सलाहकार समिति के सदस्य रविंदर मनचंदा भी इस बैठक में शामिल थे.