बस कंडक्टर की बेटी अपनी मेहनत से बनी IPS अधिकारी, नाम से ही कांप उठते है अपराधी

हिमाचल के ऊना के दूरदराज गांव ठठ्ठल की आईपीएस अधिकारी शालिनी अग्निहोत्री एक ऐसा नाम है जो ना केवल सभी के लिए एक मिसाल है बल्कि अपराधियों का काल भी है. इनके काम करने का ढंग ऐसा है की नाम से ही नशे के कारोबारी घबराते हैं.

आईपीएस शालिनी अग्निहोत्री (Photo Credit: Facebook)

हिमाचल के ऊना के दूरदराज गांव ठठ्ठल की आईपीएस अधिकारी शालिनी अग्निहोत्री एक ऐसा नाम है जो ना केवल सभी के लिए एक मिसाल है बल्कि अपराधियों का काल भी है. इनके काम करने का ढंग ऐसा है की नाम से ही नशे के कारोबारी घबराते हैं. बहुत ही साधारण परिवार में पली बढ़ी शालिनी ने कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल किया है. कुल्लू में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने नशे के सौदागरों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया था.

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शालिनी एक मामूली बस कंडक्टर की बेटी हैं. शालिनी के पिता रमेश कुमार अग्निहोत्री धर्मशाला में एचआरटीसी में कंडक्टर हैं, जबकि माता शुभलता गृहिणी हैं.

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उनका बचपन धर्मशाला में किराये के मकान में गुजरा. प्राथमिक शिक्षा धर्मशाला से पूरी करने के बाद उन्होंने ग्रेजुएशन श्रवण कुमार कृषि विवि से और पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना से एमएसई किया.

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शालिनी अपनी मेहनत और लगन के दम पर ना केवल आईपीएस अधिकारी बनी बल्कि ट्रेनिंग (65वां बैच) के दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ ट्रेनी का खिताब से भी नवाजा गया.

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सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर ट्रेनी आफिसर होने के कारण उन्हें देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित भी किया गया. अपनी उपलब्धियों के चलते वह राष्ट्रपति की मौजूदगी में हुए पासिंग आउट परेड में आकर्षण का केन्द्र रहीं.

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ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें उनकी पहली पोस्टिंग हिमाचल में हुई. जब उन्होंने कुल्लू में पुलिस अधीक्षक का पदभार संभाला तो अपराधियों में दहशत हो गई.

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शालिनी को बचपन से पुलिस अधिकारी बनने का शौक था. शालिनी का कहना है कि बेटियों को खूब पढ़ाओ-लिखाओ. अब लड़कियां लड़कों से किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. लड़कियां लड़कों से आगे निकल रही हैं.

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शालिनी ने बताया कि हम दो बहनें और एक भाई हैं. बड़ी बहन डॉक्टर है, जबकि छोटा भाई इंडियन आर्मी में है. बस्ती जिले के एसपी संकल्प शर्मा से बीते पांच मार्च को शालिनी की शादी हुई. शालिनी ने एक बार कहा था कि मेरे पापा भले ही बस कंडक्टर थे, लेकिन मेरी मम्मी घर के कामों के साथ हमारा पूरा ध्यान रखती थी.

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शालिनी ने 18 महीने की तैयारी के बाद मई 2011 में यूपीएससी की परीक्षा दी. ट्रेनिंग के दौरान 148 के बैच में शालिनी को अव्वल स्थान मिला. वह यूपीएससी में सफलता हासिल करने के लिए रात को तीन बजे तक पढ़ती थी.

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