गुजरात: ध्रुव प्रजापति ने किया दो नई प्रजाति की मकड़ियों का नामकरण, सचिन तेंदुलकर पर रखा गया है पहली मकड़ी का नाम

गुजरात इकोलॉजिकल एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के एक जूनियर शोधकर्ता ध्रुव प्रजापति (Dhruv Prajapati) ने हाल ही में दो नई मकड़ियों की प्रजातियों की खोज की है. उन्होंने एक मकड़ी का नाम सचिन तेंदुलकर के नाम पर रखा है, जबकि दूसरे का नाम इंडोमारेंगो चवारापटेरा रखा गया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

अहमदाबाद: गुजरात इकोलॉजिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (GEER) (Gujarat Ecological Education & Research) फाउंडेशन के एक जूनियर शोधकर्ता ध्रुव प्रजापति (Dhruv Prajapati) ने हाल ही में दो नई मकड़ियों की प्रजातियों की खोज की है. उन्होंने कहा कि दो नई प्रजातियां एशियाई जंपिंग स्पाइडर के इंडोमारेंगो (Indomarengo) और मारेंगो जीनस (Marengo genus) की है. उनके अध्ययन के निष्कर्ष सितंबर महीने में एक रशियन जर्नल (Russian journal) आर्थ्रोपोडा सिलेक्टा (Arthropoda Selecta) के अंक में प्रकाशित हुए हैं.

उनका कहना है कि उन्होंने इन दो प्रजातियों में से पहली प्रजाति का नाम मारेंगो सचिन तेंदुलकर (Marengo sachintendulkar) रखा है. यह प्रजाति केरल, तमिलनाडु और गुजरात में पाई जाती है. उन्होंने कहा कि दूसरी मकड़ी की प्रजाति इंडोमारेंगो जीनस है जो कि एक एशियाई जंपिंग स्पाइडर थी और केरल में पाई गई थी. इस मकड़ी को इंडोमारेंगो चवारापटेरा (Indomarengo Chavarapatera) नाम दिया गया है.

ध्रुव का कहना है कि उन्होंने 2015 में मारेंगो सचिन तेंदुलकर के नमूनों को इकट्ठा किया था, लेकिन शोध और पहचान का काम साल 2017 में पूरा हुआ. प्रजापति ने मकड़ियों की दो प्रजातियों का नामकरण उन लोगों के नाम पर किया है, जिनसे उन्हें प्रेरणा मिली है. ध्रुव ने मारेंगो का नाम सचिन तेंदुलकर इसलिए रखा है, क्योंकि सचिन तेंदुलकर उनके पसंदीदा क्रिकेटर हैं. जबकि दूसरी प्रजाति इंडोमारेंगो का नाम संत कुरीकोस इलियास चवारा (Saint Kuriakose Elias Chavara) से प्रेरित है, जिन्होंने केरल में शिक्षा को लेकर जागरूकता पैदा करने का सराहनीय काम किया था.

बता दें कि इन दो फ्लैट बॉडी वाली मकड़ियों की खोज को वर्ल्ड स्पाइडर कैटलॉग में शामिल किया गया है. गुजरात यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले ध्रुव ने करीब 78 अनोखी प्रजातियों की मकड़ियों की खोज की है. वे समय-समय पर मकड़ियों की पहचान के लिए अध्ययन करते रहे हैं.

उनका कहना है कि उन्होंने इन नई प्रजातियों का अध्ययन करने के दौरान उनके पैरों, शरीर के आकार, उनके सिर पर पैटर्न, प्रजनन अंगों, उनके शरीर पर बालों और उनकी संरचनाओं का अध्ययन करने के लिए इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग किया. उनका कहना है कि दुनियाभर में पाई जाने वाली मकड़ियों की करीब 48,000 प्रजातियां हैं.

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