भारत के इस गांव में होती हैं चमगादड़ों की पूजा...
बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई नामक गांव में लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं. इस गांव और इसके आसपास के क्षेत्रों में करीब 50 हजार से ज्यादा चमगादड़ों का रहते हैं
नई दिल्ली. चमगादड़ नाम सुनते ही मन में अपने आप मन में चुड़ैलों, भूत, खंडहर और पुरानी हवेलियों का ख्याल अपने आप आने लगता है. वैसे कई लोगों के मन में यह भी भ्रांति होती है कि चमगादड़ इंसान का खून चूस लेते हैं. इन्हें लेकर कई अलग -अलग मान्यता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की भारत में एक ऐसी जगह भी है जहां पर लोग बड़ी आस्था के इन चमगादड़ों की पूजा करते हैं.
बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई नामक गांव में लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं. इस गांव और इसके आसपास के क्षेत्रों में करीब 50 हजार से ज्यादा चमगादड़ों का रहते हैं. ग्रामीणों का तो दावा है कि इन चमगादड़ों में कई का वजन पांच-पांच किलोग्राम तक है. इस गांव में चमगादड़ों को मारना अपराध माना जाता है लोग उनकी रक्षा करते हैं. यहां के लोगो की मान्यता है कि चमगादड़ों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती.
प्राचीन मान्यता
लोगों की मान्यता है जब कुछ दशक पहले जब प्लेग और हैजा जैसी बीमारी महामारी का रूप ले ली थी, लेकिन इस गांव में यह बीमारी नहीं पहुंच सकी थी. तब यह माना गया था कि इन चमगादड़ों के वास के कारण ही इस गांव में बीमारियां नहीं पहुंच पाई. चमगादड़ यहां 15 वीं शताब्दी में तिरहुत के एक राजा शिव सिंह सिंह द्वारा निर्मित तालाब के आसपास के सेमर, पीपल आदि पेड़ों पर निवास करते हैं. उन्होंने बताया कि ग्रामीण चमगादड़ों के लिए तालाब सूखने की स्थिति में न केवल उनमें जल का प्रबंध करते हैं, बल्कि आसपास के फलदार वृक्षों से फल तोड़कर उनके खाने का भी प्रबंध करते हैं. ( इनपुट आईएएनएस)