अक्सर एलियंस और अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स (UFO) पर चर्चे और दावे किये जाते हैं. विश्व के कई देशों में आम से खास लोगों ने एलियन और यूएफओ को देखने के साथ- साथ तस्वीरें लेने की बातें करते रहे हैं. इसके बावजूद यह संशय बना हुआ है कि क्या ब्रह्मांड के किसी भी कोने में एलियन अथवा उन जैसे किसी जीव का अस्तित्व है? क्योंकि सालों से इस पर गहन शोध करने वाले वैज्ञानिक की तरफ से ऐसे किसी भी दावे अथवा पुष्टि की खबर नहीं मिली है. इस दिशा में ज्यादा से ज्यादा जागरुकता लाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 2 जुलाई को विश्व यूएफओ दिवस मनाया जाता है. यह दिवस उन लोगों के लिए और भी खास हो जाता है, जो मानते हैं कि इस ब्रह्माण्ड के किसी ग्रह पर ऐसे एलियन का अस्तित्व है, और वे पृथ्वी के किसी ना किसी हिस्से में आते रहते हैं. आइए जानते हैं, इसके इतिहास, महत्व आदि के बारे में, और यह भी जानेंगे कि क्या भारत में भी कहीं ये दिखे हैं तो कहां..?
विश्व यूएफओ दिवस का ण्ी
पहली बार विश्व यूएफओ दिवस 02 जुलाई 2001 में मनाया गया था, क्योंकि इस दिन साल 1947 में रोसवेल घटना हुई थी. गौरतलब है कि साल 1947 में न्यू मैक्सिको के रोसवेल में एक अज्ञात वस्तु के गिरने की घटना ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया था, क्योंकि यह अंतरिक्ष यान आदि का मलबा नहीं था, बल्कि इसे यूएफओ से जोड़ कर देखा जा रहा था. इस वजह से यूएफओ अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिक इसे भिन्न-भिन्न नजरिये से देख पड़ताल कर रहे थे. बताया जाता है कि मैक्सिको के अलावा और भी विश्व के कई देशों में एलियन यानि यूएफओ देखे गए.
विश्व यूएफओ दिवस का महत्व
इस दिवस विशेष का मुख्य उद्देश्य आम लोगों को यूएफओ अथवा एलियंस के बारे में जागरूक करना है, ताकि अनापेक्षित वस्तु अथवा जीवों के दिखने पर परेशान हुए बिना पुलिस के संज्ञान में बात लाएं. यह दिवस विशेष विज्ञान, खगोल विज्ञान और यूएफओ अनुसंधान में रुचि बढ़ाने का भी काम करता है, तथा यूएफओ अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों को अपने निष्कर्ष साझा करने और नई खोजों पर चर्चा करने का मौका देता है. इससे यूएफओ और अंतरिक्ष में जीवन के अस्तित्व पर गहन अध्ययन को प्रोत्साहन मिलता है.
भारत में भी देखा गया एलियन?
कुछ सूचनाओं के अनुसार लगभग 17 साल पहले 2007 में कोलकाता (भारत) में भोर यानि सुबह साढ़े तीन बजे से साढ़े छह बजे के दरमियान आकाश में एक हिलता-डुलता सा चेहरा कुछ लोगों द्वारा देखा गया. कुछ लोगों ने उसकी फोटो भी खींची. अमुक चेहरा धीरे-धीरे गोल से तिकोना और अंततः सीधी-पतली रेखा में बदलते हुए अदृश्य हो गया.
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