Vishwa Sanskrit Diwas 2021: क्या है संस्कृत का इतिहास एवं उद्देश्य? जानें देवों की भाषा कही जाने वाली संस्कृत के कुछ चौंकाने वाले तथ्य!
भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार संस्कृत देववाणी की भाषा है, इसे संसार की सभी भाषाओं की जननी माना जाता है. यही नहीं बल्कि संस्कृत को भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का संवाहक भी बताया जाता है. लेकिन दुर्भाग्यवश जिस देश से संस्कृत का पादुर्भाव हुआ, उसी भारत की नई पीढ़ी के लोगों में संस्कृत के प्रति रुझान लगभग खत्म होता जा रहा है.
भारतीय धर्म शास्त्रों के अनुसार संस्कृत देववाणी की भाषा है, इसे संसार की सभी भाषाओं की जननी माना जाता है. यही नहीं बल्कि संस्कृत को भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का संवाहक भी बताया जाता है. लेकिन दुर्भाग्यवश जिस देश से संस्कृत का पादुर्भाव हुआ, उसी भारत की नई पीढ़ी के लोगों में संस्कृत के प्रति रुझान लगभग खत्म होता जा रहा है. इसके विपरीत दुनिया भर के तमाम देशों में संस्कृत शिद्दत से अपनी गहरी पैठ बना रही है, परदेश में रहने वाले लोग इसी संस्कृत भाषा को बड़े प्यार और सम्मान से स्वीकार और सम्मान दे रहे हैं. संस्कृति को सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है.
विश्व संस्कृत दिवस को ‘विश्व संस्कृतदिनम्’ के नाम से भी जाना जाता है. यह दिवस श्रावण पूर्णिमा के दिन सेलीब्रेट किया जाता है, सौभाग्य से इसी दिन हम रक्षाबंधन का पर्व भी मनाते हैं, इस तरह ये दोनों पर्व एक दूसरे के पूरक बन जातै हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार संस्कृत दिवस 22 अगस्त को मनाया जायेगा. हिंदी माह के अनुरूप मनाये जाने के कारण अंग्रेजी कैलेडर में प्रत्येक वर्ष इस दिवस की तिथि बदल जाती है.
विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास:
भारत में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति लगभग 4 हजार साल पहले हुई. हिंदू धर्मग्रंथों में संस्कृत के मंत्रों को उपयोग हजारों वर्षों से किया जा रहा है. भारत में सर्वप्रथम वेदों की रचना 1000 से 500 ईसा पूर्व की अवधि में हुई थी. वैदिक संस्कृति में ऋग्वेद, पुराणों और उपनिषदों का अत्यधिक महत्व है. वेद चार खंडों में विभाजित है, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद. इसी तरह कई कई पुराण, महापुराण और उपनिषद भी संस्कृत से संबद्ध हैं. संस्कृत की महत्ता एवं इसे ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय बनाने के लिए साल 1969 श्रावण पूर्णिमा के दिन पहली बार विश्व संस्कृत दिवस मनाया गया था. विश्व संस्कृत दिवस पहली बार 1969 में मनाया गया था. यह भारत की समृद्धशाली संस्कृति को दर्शाता है. जैसा कि हम जानते हैं, हिंदू संस्कृति में पूजा एवं मंत्रों का उच्चारण संस्कृत में किया जाता है. इसीलिए इसे देवों की भाषा कही जाती है.
विश्व संस्कृत दिवस मनाने का मकसद:
विभिन्न स्त्रोतों के अनुसार संस्कृत भाषा की खोज दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व की गई थी, जब ऋग्वेद में भजनों का एक संग्रह लिखा गया था. इस दिवस विशेष को मनाने का मुख्य मकसद इसके अस्तित्व को बचाये रखते हुए इसका पुनरुद्धार (Restoration) करना है. आम लोगों में संस्कृत के महत्व का प्रचार-प्रसार करना और आम आदमी एवं युवाओं को संस्कृत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपरा से अवगत कराना है. संस्कृत ऐसी अकेली भाषा है जो लोगों को मूल वेदों के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण ग्रंथों को मूल देवनागरी या संस्कृत भाषा में पढ़ने का अवसर दे सकती है, जिसमें यह लिखा गया है. यह सबसे पुरानी इंडो-यूरोपीय भाषाओं में से एक है. कम लोगों को पता है कि संस्कृत भाषा में करीब 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्दों की विश्व में सबसे बड़ी शब्दावली है, और संस्कृत सबसे अधिक कम्प्यूटर के अनुकूल भाषा है.