World Population Day 2023: भारत में बढ़ती जनसंख्या के क्या है कारण? जानें इसका इतिहास एवं कुछ रोचक फैक्ट?

आंकड़े बताते हैं, कि वर्तमान में विश्व की कुल जनसंख्या 8 अरब की सीमा रेखा को पार कर गई है, जबकि संसाधन सीमित हैं. विश्व की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देशों में चीन (143 करोड़) प्रथम, भारत (138 करोड़) दूसरे, अमेरिका तीसरे, इंडोनेशिया चौथे स्थान पर है.

World Population Day (Photo Credit : Twitter)

World Population Day 2023: ताजे आंकड़ों (2023) के अनुसार विश्व की कुल जनसंख्या 8 अरब से ज्यादा बताई जा रही है. विश्व की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देशों में चीन (143 करोड़) प्रथम, भारत (138 करोड़) दूसरे, अमेरिका तीसरे, इंडोनेशिया चौथे और पाकिस्तान पांचवें स्थान पर है. यह जनसंख्या तब विस्फोटक हो जाती है, जब संसाधन और भूमि सीमित हों, मोटे तौर पर कहा जाए कि अमुक देश की जनसंख्या जितनी ज्यादा होगी, प्राकृतिक संसाधनों और स्रोतों की जरूरत भी उसी के अनुरूप होनी चाहिए. जिस देश में ऐसा नहीं हो पाता है. उस देश की सरकार को जनता और संसाधनों के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है. चीन ने कुछ दशक पूर्व जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश के लिए एक से अधिक बच्चे पर दण्ड निर्धारित किया था, जिसका बेहतर प्रतिफल मिला, लेकिन भारतीय राजनीति के दुराग्रह के कारण यहां स्थिति विस्फोटक होती जा रही है, जिस पर समय रहते नियंत्रण पाना बहुत जरूरी है. ये भी पढ़ें- Population Increase Scheme: भारत के इस राज्य में बच्चा पैदा करने पर बढ़ेगा वेतन, सरकार देगी ये सुविधाएं

विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास

 पृथ्वी पर जनसंख्या का बोझ तेजी से बढ़ रहा है, जिसका नकारात्मक प्रभाव पर्यावरण पर तो पड़ ही रहा है, साथ ही अमुक देश का विकास भी कुंद हो रहा है. हालिया आंकड़े बताते हैं, कि वर्तमान में विश्व की कुल जनसंख्या 8 अरब की सीमा रेखा को पार कर गई है, जबकि संसाधन सीमित हैं. जुलाई 1987 में जब विश्व की जनसंख्या पांच अरब पहुंच गई, और जनसंख्या एवं संसाधनों के बीच बढ़ते असंतुलन पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने कई देशों के समर्थन के साथ पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला किया. इसके दो साल बाद यानी 11 जुलाई 1989 से निरंतर विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जा रहा है.

विश्व जनसंख्या दिवस के कुछ रोचक फैक्ट

भारत में अनियंत्रित होती जनसंख्या की वजहें

विवाह की अनिवार्यताः- भारत में विवाह एक आवश्यक प्रक्रिया मानी जाती है. विवाह की इस अनिवार्यता के कारण भी देश में तेजी से जनसंख्या बढ़ती है.

बाल विवाह प्रथाः- भारत में विवाह की आयु कम है. इस वजह से संतान उत्पत्ति की अवधि भी लंबी होती है, साथ ही कम उम्र में विवाह होने से परिपक्वता के अभाव में दम्पति समझदारी भरा फैसला नहीं ले पाते.

जन्म की तुलना में मृत्यु दर में कमी होनाः- पिछले कुछ वर्षों से भारत में जन्म-दर की अपेक्षा मृत्यु दर कम हुई है. वर्तमान में भारत में मृत्यु दर एक तिहाई आंकी गई है.

धार्मिक भावनाएंः- हिंदू धर्म में जहां पुत्र-प्राप्ति को मोक्ष का मार्ग माना जाता है, जिसकी वजह से दूधों नहाओ पूतो फलो की कहावत प्रचलित हुई, वहीं मुस्लिम धर्म में संतानोत्पति ईश्वर की कृपा मानी जाती है. हालांकि हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्म में ऐसे दंपतियों की कमी नहीं उन्होंने एक संतान तक ही खुद को सीमित रखा. 

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