World Malaria Day 2022: कब है विश्व मलेरिया दिवस? जानें इसका रोचक इतिहास! इसके लक्षण एवं घरेलू उपचार!

सारी दुनिया जानती है कि एक छोटे से मच्छर के काटने से होने वाला रोग मलेरिया कभी-कभी लो ब्लड शुगर, डेंग्यू, किडनी के फेल होने अथवा हार्ट अटैक, एनीमिया जैसी घातक बीमारियों का कारण भी बन जाता है, जिसकी वजह से मरीज की जान भी जा सकती है.

World Malaria Day 2022 (Photo Credits: File Image)

सारी दुनिया जानती है कि एक छोटे से मच्छर के काटने से होने वाला रोग मलेरिया कभी-कभी लो ब्लड शुगर, डेंग्यू, किडनी के फेल होने अथवा हार्ट अटैक, एनीमिया जैसी घातक बीमारियों का कारण भी बन जाता है, जिसकी वजह से मरीज की जान भी जा सकती है. इसकी घातकता एवं संक्रमण को देखते हुए इस पर रोकथाम, प्रचुर इलाज एवं इसके प्रति आम लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व भर में 25 अप्रैल को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाया जाता है. आज विश्व मलेरिया दिवस पर हम बात करेंगे इसके इतिहास एवं उद्देश्यों के साथ मलेरिया की घातकता, इसके लक्षण एवं उससे उत्पन्न अन्य बीमारियों की घातकता पर बात करेंगे.

विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास

साल 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा के 60 वें अधिवेशन में विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्णय लेनेवाले निकाय के जरिये स्थापित किया गया था. 25 अप्रैल का दिन विश्व मलेरिया दिवस के रूप में लोगों को शिक्षित करने और उन्हें इस संक्रामक बीमारी को तह तक समझने, इससे बचने के लिए प्रेरित करने के लिए शुरु किया गया था. गौरतलब है कि इससे पहले इसी दिन को व्यापक रूप से अफ्रीकी मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता था, क्योंकि विश्व में सबसे ज्यादा मलेरिया के मरीज अफ्रीका में पाये जाते थे. 2007 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया को वैश्विक बीमारी के रूप में मान्यता देते हुए विश्व मलेरिया दिवस मनाने का फैसला किया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार मलेरिया लाइलाज बीमारी है. आज इस पर नियंत्रण पाने एवं उपचार की तमान सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद मलेरिया का विनाशकारी प्रकोप अभी भी थम नहीं रहा है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में लगभग 85 देशों में मलेरिया के 241 मिलियन नये केस सामने आए, जिसमें 6 लाख 27 हजार मरीजों को अपनी जान गंवाना पड़ा.

मलेरिया के लक्षण!

गुड़गांव के फीजिशियन डॉ अमित कुमार के अनुसार मलेरिया मच्छरों द्वारा संक्रमित रोग है, जो प्लाज्मोडियम विवेक्स नामक वायरस से संक्रमित होता है. यह वायरस मादा मच्छर द्वारा व्यक्ति के शरीर में काटने से होता है. मच्छर के काटने के बाद 7 से 18 दिनों के भीतर व्यक्ति के लीवर एवं रक्त कोशिकाओं को संक्रमित कर व्यक्ति को मलेरिया ग्रस्त कर देता है. मलेरिया के प्रारंभिक लक्षणों में कंपकंपी के साथ तेज बुखार, ठंड लगना, दस्त, सिर-दर्द, मांसपेशियों में दर्द, खांसी, सीने एवं पेट में असहनीय दर्द, पसीना आना, उल्टी एवं मल से रक्त आना इत्यादि शामिल हैं.

मलेरिया के घरेलू उपचार

अदरक का काढ़ाः मलेरिया के मरीज के लिए अदरक का काढ़ा रामबाण दवा हो सकता है. अदरक में उपस्थित जिंजरोल एवं हाइड्रोकार्बन शरीर में एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गतिविधियों को सक्रिय करते हैं.

दालचीनीः मलेरिया के प्रारंभिक लक्षणों बुखार, सिर दर्द, उल्टी और दस्त आदि से मुक्ति दिलाने में दालचीनी एक संपूर्ण औषधि की तरह कार्य करती है. दालचीनी में एक शक्तिशाली तत्व सिनामाल्डिहाइड उपस्थित होता है, जिसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मलेरिया को समुचित इलाज करने में सक्षम होते हैं. इनका उपयोग विशेषकर काढ़ा के रूप में करना ज्यादा लाभकारी होगा.

खट्टे फलः खट्टे फल मलेरिया के मरीजों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकते हैं. नींबू, या नारंगी के रस को पानी में मिलाकर पीने से मलेरिया के संक्रमण पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

तुलसीः तुलसी में युजीनाल नामक बेहद महत्वपूर्ण तत्व निहित होता है, जो बैक्टीरियल संक्रमण को समाप्त करता है, और मलेरिया की घातकता को कम करता है. तुलसी का उपयोग काढ़ा या चाय के अलावा काली मिर्च एवं एक बतासे के साथ भी किया जा सकता है.

मेथीः मलेरिया के मरीज शारीरिक रूप से कभी कमजोरी महसूस करते हैं, क्योंकि उनकी इम्युनिटी काफी कमजोर हो जाती है. मेथी के बीज को रात्रि में पानी में भिगोकर सुबह खाया जा सकता है, इसके अलावा मेथी को उबालकर उसके पानी का सेवन भी मलेरिया के मरीजों के लाभप्रद साबित हो सकता है.

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