Buddha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा पर ही क्यों मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा? जानें इस पर्व का महत्व, इतिहास एवं सेलिब्रेशन!

हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इसी कड़ी में 23 मई को वैशाख पूर्णिमा है. इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इस तरह प्रत्येक वर्ष वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की जाती है.

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हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इसी कड़ी में 23 मई को वैशाख पूर्णिमा है. इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इस तरह प्रत्येक वर्ष वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान और निर्वाण प्राप्त हुआ था. इस दिन श्रद्धालु गंगा अथवा किसी अन्य पवित्र नदी में डुबकियां लगाते हैं, पूजा-पाठ तथा दान-पुण्य करते हैं

बुद्ध पूर्णिमा महत्व!

गौतम बुद्ध का मूल नाम सिद्धार्थ गौतम था, की जन्म-तिथि को लेकर इतिहासकारों में संशय है. मान्यताओं के अनुसार लगभग 2500 साल पूर्व उनका जन्म लुंबिनी में हुआ था. कुछ इतिहासकारों के अनुसार गौतम बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाएं - उनका जन्म, गया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञानोदय एवं मोक्ष अर्थात मृत्यु एक ही तिथि में होने से इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इसलिए इस दिन को बौद्ध धर्म के अनुयायी खूब धूमधाम के साथ मनाते है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने अपना 9वां अवतार बुद्ध के रूप में लिया था. यह भी पढ़े :Sita Navami 2024 Messages: हैप्पी सीता नवमी! इन हिंदी WhatsApp Wishes, Quote, GIF Greetings, Photo SMS को भेजकर दें बधाई

बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास

भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी (नेपाल) में राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में हुआ था. राजकुमार सिद्धार्थ ने जीवन के पहले 20 साल बड़े विलासिता पूर्ण जीवन को जिया था. एक दिन बुढ़ापे और मृत्यु को साक्षात देख वे इतने द्रवित हुए कि घर-बार छोड़ मानव जीवन के सच की तलाश में निकल पड़े. वे वन-वन भटकते रहे, एक दिन बोध गया में एक बोधि वृक्ष के नीचे वह इस दृढ़ता के साथ ध्यान लगाकर बैठ गए, कि जब तक उन्हें ज्ञान प्राप्त नहीं हो जाता, वे नहीं उठेंगे. उन्होंने तमाम कष्ट सहे, लेकिन अपने निश्चय पर अडिग बने रहे. अंतत गहन अनुभूति के एक क्षण में, सिद्धार्थ ने अहंकार के भ्रम को पार कर उस अनंत आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया, जिसके लिए उन्होंने राजपाट त्याग दिया था. इस तरह राजकुमार सिद्धार्थ ने अपने कठिन तप से बुद्धत्व को प्राप्त कर बुद्ध बने. गौतम बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) उन्होंने अंतिम सांस ली.

अंततः 35 वर्ष की आयु में उन्हें अपने प्रश्नों का जवाब मिला, और राजकुमार सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के रूप में प्रखर हुए. अपने शेष जीवन में उन्होंने अन्य लोगों को आत्मज्ञान के मार्ग पर ले जाने के लिए धर्म का प्रचार किया.

बुद्ध पूर्णिमा मूल तिथि एवं मुहूर्त

बुद्ध पूर्णिमा प्रारंभः 06.47 PM (22 मई 2024, बुधवार)

बुद्ध पूर्णिमा प्रारंभः 07.22 PM (23 मई 2024, गुरुवार)

उदया तिथि के नियमों के अनुसार 23 मई 2024 को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी.

बुद्ध पूर्णिमा सेलिब्रेशन

भारत के साथ कई देशों में बुद्ध जयंती बड़े धूमधाम के साथ मनाई जाती है, विशेष रूप से भारत के बोधगया, सारनाथ और वाराणसी में इस पर्व की धूम देखते बनती है. इस पर्व को विभिन्न तरीकों से मनाई जाती है.

पूजा और ध्यानः बौद्ध धर्म के अनुयायी बौद्ध मंदिरों में जाकर बौद्ध मूर्तियों की पूजा करते हैं, और ध्यान करते हैं.

संगति में संवादः इस दिन लोग अपने धार्मिक संवादों और अनुभवों को बांटते हैं, बौद्ध धर्म के सिद्धांतों पर विचार करते हैं और अपने आत्मिक विकास की दिशा में गुरुओं से सीखते हैं.

दान-धर्म: बुद्ध जयंती पर लोग दान-धर्म करते हैं. वे गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और जरूरत की अन्य सामग्री वितरित करते हैं.

बौद्ध धर्म का उपदेश: इस दिन लोग बुद्ध के उपदेशों को सुनते हैं और उसे अपने जीवन में लागू करने का प्रयास करते हैं.

बौद्ध पर्वार्थों का आयोजन: बौद्ध धर्म के समाज में बौद्ध पर्वार्थों का आयोजन किया जाता है, जिसमें ध्यान, पूजा, और बौद्ध साधुओं के साथ संगति की भागीदारी होती है.

 

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