When Is Karwa Chauth Vrat 2022: कब है करवा चौथ? जानें इस व्रत से जुड़ी कथा और महत्त्व
करवा चौथ एक दिवसीय हिंदू उपवास त्योहार है, जो महिलाओं द्वारा चतुर्थी तिथि के दौरान मनाया जाता है. यह दिन कृष्ण पक्ष के चौथे दिन, चंद्रमा के घटते चरण में पड़ता है. पूर्णिमांत हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक महीने में मनाया जाता है. गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी भारत के अमांता कैलेंडर के अनुसार यह अश्विन महीने में मनाया जाता है...
करवा चौथ एक दिवसीय हिंदू उपवास त्योहार है, जो महिलाओं द्वारा चतुर्थी तिथि के दौरान मनाया जाता है. यह दिन कृष्ण पक्ष के चौथे दिन, चंद्रमा के घटते चरण में पड़ता है. पूर्णिमांत हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक महीने में मनाया जाता है. गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिणी भारत के अमांता कैलेंडर के अनुसार यह अश्विन महीने में मनाया जाता है. करवा चौथ का त्यौहार उत्तर भारतीय राज्यों में अधिक लोकप्रिय है और यह विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक बहुत ही सख्त उपवास है जो सुबह से रात में चांद दिखने तक व्रत रखा जाता है. यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए करती हैं. इस व्रत की तिथि, चतुर्थी तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और अनुष्ठान के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें. यह भी पढ़ें: Indian Air Force Day 2022: विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शक्ति बनीं भारतीय वायुसेना! जानें इस दिवस का इतिहास, उद्देश्य और क्षमता
करवा चौथ 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
करवा चौथ 2022 का उपवास 13 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा. यह सभी राज्यों में एक ही दिन मनाया जाता है. यह संकष्टी चतुर्थी के साथ मेल खाता है, जिस दिन भगवान गणेश के लिए व्रत रखा जाता है. चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर को सुबह 1.59 बजे से शुरू होकर 14 अक्टूबर को सुबह 3.08 बजे समाप्त होगी. 13 अक्टूबर को करवा चौथ पूजा का मुहूर्त शाम 5.54 बजे से शाम 7.09 बजे तक है. व्रत या उपवास की अवधि सुबह 6.20 बजे से रात 8.09 बजे तक है. इस दिन रात 8.09 बजे चांद दिखाई देने की भविष्यवाणी की गई है, चांद देखने के बाद उपवास तोड़ा जा सकता है.
महिलाएं इस दिन सूर्योदय से पहले 'सरगी' खाने के लिए उठती हैं, जो इस अवसर के लिए विशेष रूप से तैयार किया जाता है. सभी महिलाएं इस दिन अपने ब्राइडल ज्वैलरी और कभी-कभी अपने ब्राइडल लहंगे में भी खूबसूरती से सजती हैं. करवा चौथ कथा सुनने के लिए महिलाएं दिन में एक-दूसरे से मिलती हैं. चंद्रोदय के बाद, वे छलनी से चांद देखने के बाद अपने पति को देखती हैं. जिसके बाद पति अपनी पत्नियों को पानी पिलाकर उपवास तुड़वाते हैं.