Sexual Consent क्या है? जानिए सेक्स के लिए पार्टनर की सहमति को क्यों माना जाता है महत्वपूर्ण
बलात्कार या यौन हिंसा जैसे शब्दों का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब किसी व्यक्ति को उसकी सहमति या अनुमति के बिना यौन गतिविधि में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है. जब तक विवाहित या अविवाहित महिला और पुरुष अपनी इच्छा से सेक्स क्रिया में शामिल नहीं होते हैं, इसे सहमति से किया गया सेक्स नहीं कहा जा सकता है.
सेक्स (Sex) सही मायने में सेक्स तभी होता है, जब पार्टनर एक-दूसरे की सहमति से संबंध बनाते हैं. सेक्स के दौरान पार्टनर की सहमति को बेहद जरूरी माना जाता है. सेक्सुअसल कंसेंट यानी यौन सहमति (Sexual consent) एक ऐसी चीज है, जिस पर वास्तव में पहले चर्चा या बहस नहीं की जाती थी. ऐसा इसलिए, क्योंकि न तो महिलाएं और न ही पुरुष इस विषय को लेकर इतना जागरूक थे, जितना कि आज हैं. पिछले कुछ सालों में हमारे देश में बलात्कार (Rape) और अन्य यौन अपराधों (Sexual Assault) में लगातार बढ़ोत्तरी देखी गई है. देश में बढ़ती इन वारदातों की वजह से इस विषय पर चर्चा करना बेहद जरूरी है कि यौन सहमति (Sexual consent) क्या है और सेक्स के लिए इसे कितना महत्वपूर्ण माना जाता है.
सेक्सुअल कंसेंट क्या है?
बलात्कार या यौन हिंसा जैसे शब्दों का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब किसी व्यक्ति को उसकी सहमति या अनुमति के बिना यौन गतिविधि में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है. जब तक विवाहित या अविवाहित महिला और पुरुष अपनी इच्छा से सेक्स क्रिया में शामिल नहीं होते हैं, इसे सहमति से किया गया सेक्स नहीं कहा जा सकता है. जब सहमति के साथ महिला और पुरुष शारीरिक संबंध बनाते हैं तो इसे गलत नहीं माना जाता है, लेकिन जब दोनों में से किसी एक ने भी सेक्स के लिए इनकार कर दिया तो दूसरे व्यक्ति को उसका सम्मान करना चाहिए और उस पर सेक्स के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए. यह भी पढ़ें: Sex Myths: पुरुषों के पेनिस साइज से लेकर महिलाओं के हाइमन तक, जानें सेक्स से जुड़े इन मिथकों की सच्चाई
पार्टनर की सहमति है जरूरी
ऐसे कई कारक हैं जो यह निर्धारित करते हैं कि कोई व्यक्ति आपके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए सहमत होगा या नहीं. कुछ मामलों में कई लोग किसी व्यक्ति के साथ डेट पर जाते हैं और उनके साथ कुछ हसीन पल बिताते हैं. इस दौरान कुछ कपल आपसी सहमति से इंटीमेट होते हैं, जबकि कुछ इसके लिए सहमत नहीं होते हैं. अगर एक पार्टनर सेक्स के लिए सहमत नहीं है तो उनके साथ जबरन इंटीमेट होने की बजाय उनकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए.
ऐसे कई मामले सुनने या देखने को मिले हैं जब बच्चों पर यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डाला जाता है. खासकर, 18 साल से कम उम्र के नाबालिगों पर किसी अधिक उम्र के व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने का दबाव डालना अपराध है.
एक अन्य सामान्य उदाहरण के अनुसार, जब दो व्यक्तियों में से एक नशे में होता है तो दूसरे को लगता है कि ऐसी स्थिति में सेक्स के लिए उसके पार्टनर की सहमति जरूरी नहीं है. दरअसल, जब भी कोई व्यक्ति नशे में होता है, तो वो होश में नहीं होता है. ऐसे में उसके साथ जो कुछ भी हो रहा होता है, उस पर उसका नियंत्रण नहीं होता है. हालांकि ऐसी स्थिति किसी भी व्यक्ति को यौन उत्पीड़न का अधिकार नहीं देता है. यह भी पढ़ें: सर्दियों में अपनाएं ये 5 सेक्स टिप्स, आपकी महिला पार्टनर होगी नियंत्रण से बाहर
बनाए गए हैं सख्त कानून
बलात्कार, यौन उत्पीड़न और यौन हिंसा के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं. हालांकि आज के दौर में अधिकांश महिलाएं और पुरुष शिक्षित हैं और सेक्स को लेकर वो इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि इंटीमेट होने के लिए सेक्सुअल कंसेंट कितना जरूरी है.
बावजूद इसके यौन हमलावरों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है या वो यह नहीं जानते हैं कि यौन सहमति का क्या मतलब है. ऐसे में बलात्कार, यौन हिंसा जैसे अपराधों को अंजाम देने वाले आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिल सके, इसके लिए इससे जुड़े कानून और अधिकारों की जानकारी होना हर किसी के लिए आवश्यक है.