Vastu Tips: घर में होते हैं अगर झगड़े? वास्तु-दोष हो सकती है एक वजह, इसे तत्काल हटाएं, अन्यथा हो सकता है अनर्थ!

महावास्तु नामक एक पुस्तक के अनुसार आपके अंदर जो भी भावना या रिएक्शन (नकारात्मक अथवा सकारात्मक) उत्पन्न होता है, उसकी एक वजह घर के 16 दिशाओं से उत्सर्जित ऊर्जा हो सकती है. ये सभी दिशाएं पंच तत्वों पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश द्वारा शासित होते हैं.

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महावास्तु नामक एक पुस्तक के अनुसार आपके अंदर जो भी भावना या रिएक्शन (नकारात्मक अथवा सकारात्मक) उत्पन्न होता है, उसकी एक वजह घर के 16 दिशाओं से उत्सर्जित ऊर्जा हो सकती है. ये सभी दिशाएं पंच तत्वों पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश द्वारा शासित होते हैं. मान्यता है कि ये तत्व एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हो सकते हैं, जो हमारे आसपास की हर चीजों को प्रभावित करते हैं. जब ये तत्व जरूरत से ज्यादा हो जाते हैं, तो वे नकारात्मक शक्तियों को सकारात्मक शक्तियों पर हावी करने लगते हैं. ऐसी स्थिति में आपके घर-परिवार के बीच सामंजस्य का अभाव, रिश्तों में खटास आदि दिखने लगते हैं, जो कभी-कभी बड़े झगड़े का रूप ले सकते हैं. ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर आपके रिश्तों के फलने-फूलने के लिए एक सकारात्मक ब्रह्मांडीय क्षेत्र की उपस्थिति आवश्यक हो जाती है. वास्तु शास्त्री संजय शुक्ला यहां इस समस्या के समाधान हेतु कुछ टिप्स बता रहे हैं.

दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र

यह दिशा रिश्तों, विवाह, पारिवारिक सद्भाव और जीवन में स्थिरता लाने वाला क्षेत्र है. अगर इस क्षेत्र में बाथरूम आदि होता है, तो यह पारिवारिक संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है. आप पायेंगे घर-परिवार के बीच आये दिन विवाद, झगड़े एवं मनमुटाव होते हैं. इसके अलावा, यह क्षेत्र पूर्वजों (पितृ) को भी नियंत्रित करता है. मान्यता है कि रिश्ते पूर्वजों द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में बाथरूम होने से बच्चे की जन्म कुंडली में पितृ-दोष हो सकता है. इस क्षेत्र में लाल और नीले रंग के प्रयोग से भी बचें. यह भी पढ़ें : Veer Savarkar Jayanti 2024 Quotes: महान क्रांतिकारी वीर सावरकर की जयंती पर शेयर करें उनके ये 10 अनमोल विचार

दक्षिण से दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र का मध्य

यह अपशिष्ट एवं निपटान का क्षेत्र है. इस क्षेत्र में शौचालय/स्नानघर बनाना अगर मजबूरी है, तो आपको इसे नजरअंदाज करना होगा. इसे लेकर परेशान होने के बजाय आप अपने या पार्टनर किसी की कमियों को नजरअंदाज करना होगा. इससे आपके भीतर सकारात्मक सोच की भावना उत्पन्न होगी, जो आपके दाम्पत्य जीवन को खुशहाल बना सकता है.

उत्तर-पूर्व क्षेत्र

उत्तर-पूर्व की दिशा ईश्वर की मानी जाती है, क्योंकि मान्यताओं के अनुसार यह दैवीय ऊर्जा से भरपूर क्षेत्र होता है. आपको इस क्षेत्र का उपयोग केवल मंदिर आदि के लिए करना चाहिए, क्योंकि यह स्थान आपको स्पष्टता और ग्रहणशीलता प्रदान करता है. इस स्थान पर भूलकर भी रसोई, टॉयलेट नहीं बनवाना चाहिए. ऐसा करने से घर परिवार में विवाद, आक्रामकता आती है, जिससे रिश्ते प्रभावित होते हैं.

पूर्व से उत्तर-पूर्व क्षेत्र का मध्य

घर का क्षेत्र मनोरंजन और खुशी का माना जाता है. ऐसे में यहां गलती से भी टॉयलेट या बाथरूम बनवाना पारिवारिक रिश्तों में कलह, तनाव आदि पैदा कर सकता है. इस क्षेत्र में ड्राइंग रूम या बैठक बनवा सकते हैं,

उत्तर से उत्तर-पश्चिम के मध्य का क्षेत्र

उत्तर से उत्तर-पश्चिम दिशा का यह क्षेत्र रति क्रीड़ा का माना जाता है, जिसका अर्थ है कामुक आनंद और तृप्ति की भावना. इस क्षेत्र में न्यू कपल्स के लिए बेडरूम का होना चाहिए, ताकि उनके बीच के रिश्ते मधुर बने रहें, उनका दांपत्य जीवन दीर्घकाल तक मधुर बना रहेगा.

यह क्षेत्र वैवाहिक आनंद का प्रतीक है, जो आमतौर पर आकर्षण पर आधारित होता है. इसलिए, इस क्षेत्र में कोई शौचालय या अग्नि तत्व नहीं होना चाहिए क्योंकि आग आकर्षण को जला देगी और अंततः पति-पत्नी के रिश्ते को प्रभावित करेगी.

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