Vaping (E-Cigarettes) 2023: वेपिंग (ई-सिगरेट) की बढ़ती लत! दिल और फेफड़ों को कर सकती है क्षतिग्रस्त!
स्मोकिंग छोड़ने के लिए अकसर टीनएजर्स नई-नई युक्तियां इस्तेमाल करते हैं, इसी में एक है वेपिंग, जिसे साधारण भाषा में ई सिगरेट कह सकते हैं, पाश्चात्य देशों का यह चलन अब भारत में भी तेजी से फैल रहा है. पिछले दिनों अमेरिका के कुछ शोध में पाया गया कि किस तरह वेपिंग की लत युवाओं के ह्रदय और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
स्मोकिंग छोड़ने के लिए अकसर टीनएजर्स नई-नई युक्तियां इस्तेमाल करते हैं, इसी में एक है वेपिंग, जिसे साधारण भाषा में ई सिगरेट कह सकते हैं, पाश्चात्य देशों का यह चलन अब भारत में भी तेजी से फैल रहा है. पिछले दिनों अमेरिका के कुछ शोध में पाया गया कि किस तरह वेपिंग की लत युवाओं के ह्रदय और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. पिछले दिनों न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट में बताया गया कि ड्रैवन हैटफील्ड नामक टीन एजर जो प्रतिदिन तीन से चार पैकेट सिगरेट पीता था, इस लत से मुक्ति के लिए उसने वेपिंग को सुरक्षित मानते हुए उसने सप्ताह में दो या तीन बार डिस्पोजल वेप पेन इस्तेमाल करना शुरू किया. शीघ्र ही उसे सीने में दर्द एवं अकड़न की शिकायत होने लगी. उसे अस्पताल ले जाया गया. जांच के बाद उसके फेफड़े में विकार पाया गया, जिसे चिकित्सा की भाषा में स्पॉन्टेनियस नीमोथोरेक्स कहते हैं. यह तब होता है, जब फेफड़ों और सीने की दीवार के बीच वायु फंस जाती है.
क्या है वेपिंग?
वेपिंग धूम्रपान का विकल्प है. ई-सिगरेट की कई किस्में हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जिनमें वेप्स, वेप पेन, स्टिक एवं ई-हुक्का शामिल हैं. बैटरी से चलने वाले ये वैप डिवाइस एयरोसोल बनाने के लिए डिवाइस में मौजूद तरल को गर्म करता है. यह जलवाष्प की तरह दिखता है, इसमें निकोटीन, फ्लेवरिंग और 30 से अधिक अन्य रसायन होते हैं. एरोसोल फेफड़ों में जाता है, जहां निकोटीन और रसायन रक्त प्रवाह में शामिल हो जाते हैं. प्रारंभ में यह डिवाइस सिगरेट की तरह दिखते थे, जबकि नये मॉडल का यूएसबी फ्लैश ड्राइव या छोटे पॉड की तरह दिखते हैं. यह भी पढ़ें : Immunity Develops: बार-बार एक ही विषाणु की चपेट में आने के बाद विकसित होती है इम्यूनिटी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
कैसे प्रभावित करता है ह्रदय को?
प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि वेपिंग स्वस्थ हृदय में विकार पैदा करता है. दरअसल ई-तरल एरोसोल में कण, ऑक्सीकरण वाहक, एल्डिहाइड और निकोटीन होते हैं. साँस लेने पर, ये एरोसोल हृदय और संचार प्रणाली को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं. एक रिपोर्ट में मिले प्रमाण के अनुसार निकोटीन ई-सिगरेट से कश लेने से ह्रदय गति में वृद्धि होती है, रक्तचाप बढ़ जाता है. इसका ज्यादा सेवन हृदय को कमजोर करता है. 2019 के एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि ई-सिगरेट का उपयोग स्ट्रोक, दिल का दौरा, एनजाइना और हृदय रोग के बढ़ते जोखिम से जुड़ा था. ये विभिन्न फलों के स्वाद में होने के कारण युवा वर्ग बहुत जल्दी इसका शिकार बनता है.
फेफड़े के लिए भी घातक है!
कुछ वर्ष पूर्व चूहों और मानव के फेफड़े की कोशिकाओं पर शोध स्वरूप सुगंधित ई-रस के प्रभावों की जांच की गई थी. शोधकर्ताओं ने दोनों की कोशिकाओं में विषाक्तता, ऑक्सीकरण और सूजन पाई. ऐसे कई प्रमाण पाये गये कि ई-सिगरेट के संपर्क में आने से श्वसन प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, यद्यपि इसे और अच्छी तरह से समझने के लिए अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है कि वेपिंग श्वसन रोगों में किस हद तक प्रभावित करता है.
भारत में युवाओं को वेप्स बेचना गैरकानूनी!
18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को कोई भी वेप बेचना गैरकानूनी है, लेकिन बहुत सारे लोग सोशल मीडिया के जरिये दोस्तों अथवा संपर्कों से वेप्स खरीदते हैं. किसी को भी निकोटीन वेप्स बेचना गैर कानूनी है, जब तक किसी रोगी विशेष को स्मोकिंग करने से रोकने के लिए चिकित्सक द्वारा प्रिस्क्रिपशन के माध्यम से फार्मेसी से प्राप्त नहीं किया गया हो. अगर कहीं ये वेप्स बेचे जा रहे हैं तो NSW Health की वेबसाइट के माध्यम से सूचित किया जा सकता है.