UK: ये महिला नहीं कर पा रही है अपने ओर्गेज्म को कंट्रोल, हो जाती है स्पीड ब्रेकर और गड्ढों से उत्तेजित, जानिए कारण
जब ओर्गेज्म की बात आती है तब सेक्स के सामान भी ओर्गेज्म तक पहुंचने में मदद नहीं कर सकते. ड्यूरेक्स सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं 'Big O' यानी बड़े ओर्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती हैं. तो वहीं दूसरी ओर जो महिलाएं थोड़ी सी भी ट्रिगर पर सेक्स के लिए तैयार हो जाती है.
ड्यूरेक्स सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं 'Big O' यानी बड़े ओर्गेज्म तक नहीं पहुंच पाती हैं. तो वहीं दूसरी ओर जो महिलाएं थोड़ी सी भी ट्रिगर पर सेक्स के लिए तैयार हो जाती है. जैसे सड़क पर गड्ढों के उतार चढ़ाव में, यह बिलकुल भी मजेदार नहीं है बल्कि एक सीरियस मुद्दा है. जो महिलाएं स्पीड ब्रेकर पर उतार चढ़ाव और एस्केलेटर पर चढ़ने के दौरान सेक्स के लिए उत्तेजित हो जाती हैं वो पीजीएडी (पर्सेंटाइल जेनिटल ऑरल डिसऑर्डर) से पीड़ित हो सकती हैं.
61 वर्षीय यूके की रहनेवाली मारिया को पीजीएडी (PGAD) है. उन्होंने बताया कि वो अपने ओर्गेज्म को कंट्रोल नहीं कर पाती, जब वह कोई यौन इच्छा महसूस नहीं करती है तब भी उनका ओर्गेज्म उन चीजों से ट्रिगर हो जाता है जो लोग अपनी डेली लाइफ में काम करते हैं, उदाहरण के लिए अगर वो गड्ढे पर या स्पीड ब्रेकर पर ड्राइव करती हैं या एस्केलेटर पर चढ़ती हैं. ज्यादातर टाइम मुझे ऐसा लगता है कि मैं एक चींटी के घोंसले पर बैठी हूं. पूरे दिन में कई बार यह गुदगुदी होती है और मैं पूरी तरह से ओर्गेज्म तक पहुंच जाती हूं.गड्ढों पर ड्राइव करना, एयरक्राफ्ट टर्बुलेंस, एस्केलेटर, वायलिन से कंपन से उन्हें ओर्गेज्म मिला. यहीं नहीं कितनी महिलाओं ने कहा कि वे शानिया ट्वेन कॉन्सर्ट में गईं और इस कॉन्सर्ट ने उन्हें ऑर्गेज्म दिया. "
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पीजीएडी (परसिस्टेंट जेनिटल अर्सल डिसऑर्डर) क्या है?
PGAD लगातार जननांग उत्तेजना विकार के लिए एक संक्षिप्त नाम है. यह महिलाओं के यौन स्वास्थ्य से जुड़ी एक बीमारी है जिसे ज्यादातर लोग अब तक समझ नहीं पाए हैं. पीजीएडी बीमारी से पीड़ित महिलाएं आमतौर पर अचानक और अक्सर जननांग उत्तेजना की शिकायत करती हैं और यह सेक्शुअल अराउजल से बिलकुल अलग है. यह सेक्शुअल इच्छा या व्यक्तिगत सेक्स डिजायर की तरह नहीं है. अध्ययन के अनुसार पीजीएडी बीमारी में महिलाओं को अचानक से उत्तेजना का अनुभव होता है. ये उत्तेजना सेक्स और गैर-उत्तेजनात्मक चीजों से उत्पन्न होता है, जो तनाव को कम करता है." जननांग उत्तेजना आमतौर पर सहज है और ये डिजायर नहीं है. ये पुरुषों को भी हो सकती है. इस बात का ध्यान रखें कि व्यक्ति की ये उत्तेजना सेक्स डिजायर से जुड़ी नहीं है और यहां तक कि इसमें हस्तमैथुन और कामोत्तेजना भी राहत नहीं देती है.
पीजीएडी (लगातार जननांग अराउजल विकार) के लक्षण
लोगों के लिए शुरू में इस समस्या को समझना मुश्किल है. इसलिए समझ न आने की वजह से इस बीमारी के इलाज में देरी हो जाती है. हालांकि इस बीमारी का पहला लक्षण है जनांगों के पास कलकलाहट होना. इस बीमारी में पेल्विक एरिया, जननांग, क्लिटोरिस, लेबिया, पेरिनेयम और एनस के पास अनइजी फील होता है. इस बेचैनी को डाइस्थेसिया (dysesthesias) कहा जाता है.
लक्षण:
दबाव
गीलापन महसूस होना
असहज खुजली
जलन की अनुभूति
पीन और सुइ की चुभन होना
आमतौर पर यह दीर्घकालिक लक्षण हैं जो व्यक्ति को तत्काल लक्षणों से अधिक प्रभावित करते हैं. इसमें आमतौर पर मनोवैज्ञानिक समस्याएं शामिल होती हैं जैसे कि टेंशन, डिप्रेशन, तनाव, पैनिक अटैक , फ्रस्ट्रेशन, गिल्ट आदि इसके लक्षण हैं. पीजीएडी को अक्सर प्रैपिज्म, पीएसएएस (PSAS) और कभी-कभी हाइपरसेक्सुअलिटी के बीच कन्फ्यूजन हो जाती है. यह समझना जरुरी है कि लगातार यौन उत्तेजना सिंड्रोम किसी भी तरह से यौन इच्छा से जुड़ा नहीं है. हाइपरसेक्सुअलिटी का मतलब है ज्यादा जननांग उत्तेजना है जो सेक्स डिजायर नहीं है.
दूसरी ओर पीएसएडी में लगातार जननांग उत्तेजना होती है जो सेक्स डिजायर नहीं है. जबकि PSAS पुरुषों में लगातार जननांग उत्तेजना का एक प्रकार है, जिसमें यौन इच्छा के बिना ही पेनिस खड़ी हो जाती है. पीजीएडी बीमारी में संतुष्टि के लिए सेक्स की जरुरत नहीं है, अगर ऐसा महिलाओं या पुरुषों में है तो इसे महिलाओं में निमोनोमेनिया (nymphomania) और पुरुषों में satyriasis के रूप में जाना जाता है.
एक अध्ययन के अनुसार, "इस स्थिति को पहले लगातार यौन उत्तेजना सिंड्रोम (PSAS) के रूप में जाना जाता था, लेकिन इसका नाम बदलकर PGAD कर दिया गया क्योंकि PSAS सक्रिय यौन इच्छा है"
PGAD बीमारी में लक्षणों का पता लगाना सबसे कठिन हिस्सा है. इस बीमारी में महिला की जिंदगी पर बुरा प्रभाव पड़ता है. जहां वो शर्मिंदा होने के डर से बाहर जाना बंद कर देती है. जो महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं वो कभी भी ज्यादा बात नहीं करती हैं और अपनी जिंदगी खुलकर नहीं जी पाती हैं.