Sleeping position 2021: दक्षिण दिशा में पैर करके सोना क्यों है मना? जानें क्या कहता है विज्ञान और आध्यात्म?

किसी भी व्यक्ति के लिए पर्याप्त नींद लेना सेहत की दृष्टि से आवश्यक माना जाता है. मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी एवं पेड़-पौधे भी नियमित शयन करके ही स्वस्थ रहते हैं. हांलाकि सभी के सोने के अपने-अपने तरीके होते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

किसी भी व्यक्ति के लिए पर्याप्त नींद लेना सेहत की दृष्टि से आवश्यक माना जाता है. मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी एवं पेड़-पौधे भी नियमित शयन करके ही स्वस्थ रहते हैं. हांलाकि सभी के सोने के अपने-अपने तरीके होते हैं. जहां तक मानव जगत की बात है तो आध्यात्म एवं विज्ञान दोनों ही इस बात की पुष्टि करते हैं कि गलत दशा और दिशा में सोना सेहत के लिए हानिकारक ही नहीं प्रतिबंधित भी होते हैं. इस संदर्भ में तमाम तरह की बातें प्रचलित हैं. लेकिन सबसे चर्चास्पद यह है दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए. यहां हम दक्षिण दिशा के आध्यात्मिक और साइंटिफिक दोनों पहलुओं पर बात करेंगे.

आध्यात्मिक तथ्य:

पद्म पुराण एवं सृष्टि पुराण के मुताबिक दक्षिण की ओर पैर करके सोने से उम्र कम होती है, मान्यता है कि दक्षिण दिशा में यमलोक (यम की दिशा) और पाताल लोक (नर्क क्षेत्र) का मिलन होता है. इस वजह से दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से व्यक्ति विशेष में रज एवं तम तरंगों की ओर आकर्षण होता है. इन तरंगों के कारण व्यक्ति के शरीर से ऊर्जा ऊपर की दिशा में प्रवाहित होती है. इसे ईश्वर प्राप्ति का संकेत बताया जाता है. इसीलिए इंसान के मृत शरीर का पैर दक्षिण दिशा में और सिर उत्तर दिशा की ओर रखा जाता है. दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से यमलोक और पाताल लोक के तरंगों का मिलन होता है, परिणाम स्वरूप व्यक्ति केवल अनिष्ट शक्तियों को ही आकर्षित करता है. लिहाजा प्रयाप्त एवं गहरी नींद नहीं आती, बुरे सपने आते हैं, घबराहट एवं भय से नींद टूट जाती है, इसलिए दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए.

यह भी पढ़ें- विदेश की खबरें | नींद पूरी न हो तो मन भटकता है और ध्यान की कमी होती है

वैज्ञानिक तथ्य:

विज्ञानियों के अनुसार उत्तर और दक्षिण ध्रूव यानी पृथ्वी की दोनों तरफ चुंबकीय प्रवाह होता है. उत्तरी ध्रूव पर धनात्मक प्रवाह एवं दक्षिण ध्रुव पर ऋणात्मक प्रवाह होता है. ठीक इसी तरह मानव शरीर के सिर में धनात्मक एवं पैरों में ऋणात्मक प्रवाह होता है. हमारा विज्ञान हमें बताता है कि दो धनात्मक प्रवाह एवं दो ऋणात्मक प्रवाह जब आपस में मिलते हैं, तो एक दूसरे से विपरीत जाते हैं, इसलिए यदि आप दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोते हैं तो यह अवस्था आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती है.

इसके विपरीत दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना विज्ञान सम्मत प्रक्रिया मानी गयी है, जो व्यक्ति को अनेक रोगों से दूर रखती है. वस्तुतः सौर जगत ध्रुवों पर केंद्रित है. दो ध्रुव के आकर्षण से दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर प्रगतिशील विद्युत प्रवाह व्यक्ति के सिर में प्रवेश करता है और पैरों के रास्ते निकल जाता है. ऐसा करने से भोजन आसानी से पच जाता है. सुबह-सवेरे उठने पर मस्तिष्क विशुद्ध वैद्युत परमाणुओं के कारण स्वस्थ रहता है. इसीलिए सोते समय दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने से मना किया जाता है.

यह भी पढ़ें- Tips For Good Sleep: सुकून भरी नींद से कहीं आप महरूम तो नहीं, निजात पाने के लिए आजमाएं ये 5 कारगर उपाय

दक्षिण-पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम की ओर भी पैर करके न सोयें:

दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से भी बचना चाहिए. क्योंकि पूर्व-पश्चिम दिशाओं में प्रवाहित तरंगों की दिशा ऊपर की ओर होती है, इस वजह से इन तरंगों के माध्यम से ग्रहण की गई सात्त्विकता का झुकाव निर्गुण की ओर अधिक होता है. (भौतिक रूप से) और दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशाओं से आत्मसात करने की तुलना में लंबे समय तक चलने वाला होता है. जबकि पूर्व-पश्चिम दिशाओं में घूमने वाली तरंगों में पंचतत्व का स्तर दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशाओं की तुलना में बेहतर होने से व्यक्ति को सोने से प्राप्त होने वाला लाभ दीर्घकालीन होता है, इसीलिए वास्तु शास्त्र में भी, पूर्व-पश्चिम दिशा में सोने की सलाह दी जाती है.

Share Now

\