Sankashti Chaturthi 2023: संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की कृपा पाने के लिए ये कार्य करें और इन कार्यों से बचें!

गणेशजी आदिकाल से प्रथम देव के रूप में पूजनीय रहे हैं. शिवपुराण, स्कंद पुराण, अग्नि पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि में गणेशजी के संबंध में अनेक लीला कथाएं तथा पूजा-पद्धतियां उल्लेखित हैं. यहां तक कि उनके नाम से गणेश पुराण भी सुलभ है. गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए तमाम पूजा-व्रत के निर्देश विधि-सम्मत हैं, जिन्हें करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है.

Chaitra Sankashti Chaturthi 2023

गणेशजी आदिकाल से प्रथम देव के रूप में पूजनीय रहे हैं. शिवपुराण, स्कंद पुराण, अग्नि पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि में गणेशजी के संबंध में अनेक लीला कथाएं तथा पूजा-पद्धतियां उल्लेखित हैं. यहां तक कि उनके नाम से गणेश पुराण भी सुलभ है. गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए तमाम पूजा-व्रत के निर्देश विधि-सम्मत हैं, जिन्हें करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है. ये तिथियां हैं माह की दोनों चतुर्थी (संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी). अगर आप किसी चतुर्थी को व्रत एवं पूजा करते हैं तो ध्यान रहे आपको केवल संकष्टी चतुर्थी की रात ही चंद्र-पूजा करना चाहिए. विनायक चतुर्थी में नहीं. ऐसे कई कार्य हैं, जिन्हें करके गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है, साथ ही कुछ ऐसे भी कार्य हैं, जो गणेश-पूजा के दिन वर्जित होते हैं. आपको दोनों बातों का ज्ञान होना चाहिए. यहां कुछ ऐसे ही कार्य को करने या ना करने की नसीहत दी गई है.

संकष्टी चतुर्थी के दिन ये कार्य जरूर करें

* गणेशजी की पूजा करते वक्त ध्यान से उनके अगल-बगल में रिद्धी-सिद्धी को अवश्य रखना चाहिए. भले ही रिद्धी-सिद्धी को सुपारी के स्वरूप में प्रतीक-चिह्न के तौर पर ही रखा जाए.

* संकष्टी चतुर्थी की पूजा में गणेश जी को मोदक, लड्डू, पान तथा लाल फूल एवं फल अवश्य चढ़ाना चाहिए. चूंकि उन्हें मोदक बहुत प्रिय है, इसलिए मोदक की व्यवस्था पहले से कर लें. अगर यह संभव नहीं हो रहा है तो बेसन का लड्डू भी चढ़ा सकते हैं.

* संकष्टी चतुर्थी की पूजा के बाद माता-पिता का चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए. अगर वे जीवित नहीं हैं तो किसी भी बुजुर्ग का चरण स्पर्श अवश्य करना चाहिए.

* भगवान श्री गणेश जी की पूजा सदैव उत्तर दिशा की ओर मुंह करके करना चाहिए.

* गणेश संकष्टी की पूजा शाम के समय ही करना चाहिए.

* चतुर्थी तिथि की दिशा नैऋत्य है, तथा चतुर्थी खला तिथि हैं. तिथि 'रिक्ता संज्ञक' कहलाती है. इसलिए इस समय शुभ व मांगलिक कार्य प्रतिबंधित होते हैं

संकष्टी चतुर्थी के दिन ये कार्य हर्गिज नहीं करें

*  संकष्टी चतुर्थी के दिन माता-पिता अथवा किसी भी वृद्ध व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए. क्योंकि गणेश जी अपने माता-पिता को बहुत प्यार करते हैं.

* गणेशजी की पूजा अनुष्ठान में किसी भी प्रकार का तिल का दान नहीं करना चाहिए.

* गणेश जी की छोटी या बड़ी किसी भी पूजा में काले रंग का वस्त्र नहीं पहनना चाहिए.

* संकष्टी चतुर्थी के दिन मांस-मदिरा आदि का सेवन हर्गिज नहीं करना चाहिए.

* संकष्टी चतुर्थी के दिन लहसुन तथा प्याज से बनी किसी भी वस्तु का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.

* संकष्टी चतुर्थी के व्रत के समय जमीन के भीतर उगने वाले कंद मूल, गाजर, चुकंदर इत्यादि का सेवन भी नहीं करना चाहिए.

* संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा के समय तुलसी हर्गिज ना चढ़ाएं. क्योंकि कहा जाता है कि देवी तुलसी ने एक बार गणेश जी को श्राप दिया था. इसलिए तुलसी चढ़ाने से गणेश जी नाराज हो सकते हैं.

* संकष्टी के दिन किसी से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए. मान्यता है कि झूठ बोलने वालों पूजा का कोई प्रतिफल नहीं मिलता.

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