भूत-प्रेत, शनि की साढ़ेसाती, असाध्य बीमारी और मंगल दोष की शांति के लिए लाभकारी है मंगल का व्रत
कुछ ज्योतिषि मंगलवार के व्रत को मंगल ग्रहों से भी जोड़ कर देखते हैं. मंगल सौरमंडल के नवग्रहों में से एक है जिसे अंगारक कहते हैं. ज्योतिषियों का मानना होता है कि, जिनकी कुंडली में मंगल दोष है या मंगल कमजोर या नीच स्थिति में होता है, उन्हें मंगलवार का व्रत आवश्यक रूप से रखना चाहिए.
हिंदू धर्म में हर दिन का अपना-अपना महत्व होता है. अलग-अलग दिनों के व्रत के अलग विधान अलग परिणाम देने वाले होते हैं. हिंदु धर्म में सबसे लोकप्रिय व्रत मंगलवार का होता है. छात्र-छात्राएं अच्छे परीक्षा परिणामों के लिए तो दंपति पुत्र या संतान के साथ घर की शांति और समृद्धि के लिए मंगलवार का व्रत रखते हैं. लेकिन कई लोग परिस्थितिवश भी मंगल का व्रत रखते हैं. मंगल दोष से पीड़ित अथवा शनि की साढ़े साती या ढैय्या की शांति के लिए भी पुरोहितों अथवा ज्योतिषि के सुझाव पर मंगलवार का व्रत रखते हैं. इसके अलावा असाध्य बीमारी से मुक्ति पाने के लिए भी अकसर विद्वान मंगल का उपवास रखने का सुझाव देते हैं.
कुछ ज्योतिषि मंगलवार के व्रत को मंगल ग्रहों से भी जोड़ कर देखते हैं. मंगल सौरमंडल के नवग्रहों में से एक है जिसे अंगारक कहते हैं. ज्योतिषियों का मानना होता है कि, जिनकी कुंडली में मंगल दोष है या मंगल कमजोर या नीच स्थिति में होता है, उन्हें मंगलवार का व्रत आवश्यक रूप से रखना चाहिए. ज्योतिष और पुरोहित सभी का मानना है कि मंगलवार का व्रत रखने से मंगल ग्रह मजबूत होता है और नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से व्रती को दूर और सुरक्षित ऱखता है. मंगल ग्रह बुरा हो तो परिवार में कष्ट और अशांति होती है. इसके अलावा भूत-प्रेत और काले सायों जैसी बाधाओं से मुक्ति दिलाने में भी मंगल का व्रत मदद करता है.
कितने मंगल करें व्रत
मंगलवार का व्रत शुरु करने से पहले संकल्प लिया जाता है कि कितने मंगलवार का व्रत रखना है. अधिकांश लोग 21 दिन का व्रत रखते हैं. कुछ लोग 21 दिन के बाद भी मंगल का व्रत जारी रखते हैं. अमूमन ऐसा वही लोग करते हैं, जिन्हें व्रत का अच्छा फल प्राप्त होता है. कभी-कभी पुरोहित अथवा ज्योतिष कुंडली के अनुसार मंगलवार के व्रतों की संख्या निर्धारित करते हैं. निश्चित संख्या में व्रत पूरा होने के पश्चात पुरोहित पूरे विधि विधान से व्रत का पारन करवाते हैं. यह इस बात का संकेत होता है कि इसके पश्चात उपवासी के लिए उपवास करना जरूरी नहीं रहता.
व्रत की विधि
मंगलवार का व्रत बहुत शुद्ध विचारों और सकारात्मक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए करना चाहिए. इस दिन प्रातः उठकर स्नान ध्यान के पश्चात लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूरे विधि विधान से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करना चाहिए. हनुमान जी का प्रिय भोग लड्डू होता है, अतः प्रसाद में लड्डू अथवा खीर चढ़ाया जाता है. हनुमान जी को लाल फूल, सिंदूर और अक्षत अर्पित करना चाहिए. इसके पश्चात हनुमान चालीसा अथवा सुंदरकांड का पाठ पढकर हनुमान जी की आरती गाकर पूजा सम्पन्न करना चाहिए. मंगलवार के व्रत में नमक का प्रयोग वर्जित है.