Chaitra Navratri 2019: माता सती के 4 अज्ञात शक्तिपीठ, जिनको लेकर आज भी रहस्य है बरकरार

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जिस-जिस स्थान पर माता सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र और आभूषण गिरे थे, वहां, वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आए. मुख्य तौर पर देवी सती के 51 शक्तिपीठ ही माने गए हैं, लेकिन इनमें भी 4 शक्तिपीठ ऐसे हैं जो अज्ञात हैं और उन पर रहस्य बरकरार है.

मां दुर्गा के नौ स्वरूप (Photo Credits: Instagram, mehul_1609)

Chaitra Navratri 2019: नवरात्रि (Navratri) का पावन पर्व मां दुर्गा (Godess Durga) की आराधना का पर्व है. नवरात्रि के दौरान कुल नौ दिनों तक मां भगवती के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. देवी पुराण के अनुसार, एक साल में 4 बार नवरात्रि का पर्व आता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि अन्य दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. मां भगवती की भक्ति और आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) 6 अप्रैल से शुरु हो रहा है. इस दौरान प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरुप की पूजा की जाएगी.

हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार, जिस-जिस स्थान पर माता सती के अंग के टुकड़े, वस्त्र और आभूषण गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठ (Shaktipeeth) अस्तित्व में आए. देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है तो वहीं देवी भागवत में 108 शक्तिपीठ बताए जाते हैं. जबकि देवी गीता में 72 और तंत्रचूड़ामणि में 52 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है. मुख्य तौर पर देवी सती के 51 शक्तिपीठ ही माने गए हैं, लेकिन उनमें भी 4 शक्तिपीठ ऐसे हैं जो अज्ञात हैं और उन पर रहस्य बरकरार है. यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2019: 6 अप्रैल से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, जानें किस दिन करनी चाहिए किस शक्ति की पूजा

1- पंचसागर शक्तिपीठ

देवी सती के 51 शक्तिपीठों में पंचसागर शक्तिपीठ को लेकर आज भी रहस्य बरकरार है. मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर माता सती का निचला जबड़ा गिरा था. शास्त्रों में भी इस शक्तिपीठ का जिक्र मिलता है, लेकिन यह स्थान वास्तव में कहां है, इसके बारे में कोई नहीं जानता.

2- रत्नावली शक्तिपीठ

देवी सती के शक्तिपीठों में रत्नावली शक्तिपीठ को लेकर कहा जाता है कि यहां उनका कंधा गिरा था. मान्यताओं के अनुसार, उनका यह अंग तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है, लेकिन इसकी सही स्थिति को लेकर अब भी रहस्य बरकरार है.

3- कालमाधव शक्तिपीठ

माता सती के 51 शक्तिपीठों में कालमाधव शक्तिपीठ को लेकर कहा जाता है कि यहां उनके बाएं कूल्हे गिरे थे. बताया जाता है कि यहां देवी सती कालमाधव और भगवान शिव असितानंद नाम से विराजमान हैं. हालांकि यह स्थान आज भी अज्ञात है.

4- लंका शक्तिपीठ

मान्यताओं के अनुसार लंका शक्तिपीठ में देवी सती के अंग का कोई आभूषण गिरा था. इस शक्तिपीठ में सती को इंद्राक्षी और शिव को रक्षेश्वर कहा जाता है. शास्त्रों में इस शक्तिपीठ का उल्लेख मिलता है, लेकिन श्रीलंका में इसकी वास्तविक स्थिति आज भी रहस्य के समान है. यह भी पढ़ें: Gudi Padwa 2019: गुड़ी पाड़वा को क्यों माना जाता है साल का सर्वश्रेष्ठ दिन, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने सती और शिव को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया था. माता सती बिना आमंत्रण के ही यज्ञ में शामिल होने के लिए चली गईं. उन्हें देखकर राजा दक्ष ने शिवजी के बारे में अपमानजनक बातें कहीं, जो सती बर्दाश्त नहीं कर पाईं और सशरीर यज्ञ की अग्नि में खुद को समर्पित कर दिया.

इसके बाद शिव ने सती के शरीर को उठाकर तांडव नृत्य आरंभ कर दिया, जिसे रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया और सती के देह के टुकड़े कर दिए. जहां-जहां माता सती के शरीर के अंग, आभूषण और वस्त्र गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आए.

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