Ravi Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष के व्रत-अनुष्ठान से जातक को शारीरिक एवं मानसिक शांति मिलती है! जानें रवि प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा-विधि आदि!
हिंदी पंचांग के अनुसार हर माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस तरह माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत मुख्यतः भगवान शिव को समर्पित दिन बताया गया है.
हिंदी पंचांग के अनुसार हर माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस तरह माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत मुख्यतः भगवान शिव को समर्पित दिन बताया गया है. इस वजह से प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. ज्योतिष गणना के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानी 21 अप्रैल 2024 को प्रदोष व्रत पड़ रहा है. इस दिन रविवार होने से इसे रवि प्रदोष नाम से पूजा जाता है. इस दिन पूर्ण भक्ति-भाव से भगवान शिव की आराधना करने से सारे कष्ट कट जाते हैं, जीवन में सुख एवं शांति आती है. आइये जानते हैं रवि प्रदोष के महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा-विधि इत्यादि के बारे में...
रवि प्रदोषम् व्रत का महात्म्य
स्कंद पुराण में रवि प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि यह रविवार और प्रदोषम् की आध्यात्मिक शक्ति को जोड़ता है. यह इतना महत्वपूर्ण समय है, जब भक्त आध्यात्मिक विकास, आंतरिक शांति एवं बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान भोलेनाथ के शुभ आशीर्वाद की कामना करते हैं. शिव पुराण के अनुसार रविवार को पड़नेवाला रवि प्रदोष व्रत दीर्घायु प्रदान करता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा से पहले सूर्य उपासना से खोया हुआ मान-सम्मान वापस मिलता है, सेहत अच्छी रहती है, और दांपत्य सुख में भी वृद्धि होती है. रवि प्रदोष का संयोग कई तरह के दोषों को दूर करता है. यह भी पढ़ें : Mahavir Jayanti 2024: अपने कर्मों से ही ‘परमपद’ प्राप्त होता है! महावीर जयंती पर जानें उन्हीं के रचे ऐसे कुछ प्रेरक विचार!
रवि प्रदोष व्रत (2024) तिथि एवं पूजा मुहूर्त
चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 10.41 PM (20 अप्रैल 2024, शनिवार)
चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी समाप्त 01.11 PM (22 अप्रैल 2024, सोमवार)
प्रदोष की पूजा-अनुष्ठान संध्याकाल में होता है, इस आधार रवि प्रदोष का यह व्रत एवं पूजा 21 अप्रैल 2024 को करना होगा.
पूजा का शुभ मुहूर्तः 06.51 PM से 09.02 PM (21 अप्रैल 2024)
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 20 अप्रैल 2024 को रात 10 बजकर 41 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 22 अप्रैल 2024 को सुबह 01 बजकर 11 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार रवि प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को रखा जाएगा और इस दिन शिव पूजा समय 21 अप्रैल की शाम 06:51 से लेकर रात 09:02 तक रहेगा.
रवि प्रदोष पूजा विधि
रवि प्रदोष को प्रातः ब्रह्म बेला में उठकर स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद, प्रदोष व्रत एवं शिव-पूजन का संकल्प लें. प्रदोष व्रत में किसी भी प्रकार के नमक का सेवन वर्जित होता है. बहुत से लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं. अब मंदिर की साफ-सफाई कर धूप दीप प्रज्वलित करें, और नियमित पूजा करें. प्रदोष की पूजा सूर्यास्त के समय की जाती है. संध्याकाल के समय एक बार पुनः स्नान करने के बाद मंदिर के समक्ष उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके स्वच्छ आसन पर बैठें. सर्वप्रथम शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं. इसके पश्चात पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें. अब एक बार पुनः गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें. इस दरम्यान निम्न श्लोक का जाप करते रहें.
‘ॐ नमः शिवाय’
शिवलिंग पर बिल्व-पत्र, बेर, धतूरा, भांग पत्ता, फल तथा दूध से बनी मिठाई अर्पित करें. अगले दिन प्रातःकाल स्नानादि के पश्चात व्रत का पारण करें.