Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर तीन शुभ योगों में पित्तरों की शांति हेतु इस विधि से करें शिवजी एवं विष्णुजी की पूजा!
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Somvati Amavasya 2024: हिंदू धर्म शास्त्रों में सोमवती अमावस्या को बेहद महत्वपूर्ण दिन बताया गया है. भाद्रपद की यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन भगवान शिव एवं पित्तरों की पूजा के अलावा और पित्तरों की शांति् के लिए कर्म काण्ड किया जाता है.

गौरतलब है कि इस वर्ष 2 सितंबर 2024, को भाद्रपद अमावस्या मनायी जाएगी. ज्योतिषियों की मानें तो भाद्र अमावस्या को शिव-पार्वती एवं भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट कट जाते हैं, नकारात्मक शक्तियां कमजोर पड़ती हैं, तथा घर में सुख-शांति आती है. इस अमावस्या पर तीन विशेष ग्रहों के निर्माण के बीच भगवान शिव एवं श्रीहरि की पूजा करने के साथ कुछ विशेष उपाय करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. ये भी पढ़े :Ganesh Chaturthi 2024: मिट्टी ही नहीं, इन चीजों से बनी गणेश-प्रतिमा की करें पूजा! पर्यावरण-सुरक्षा के साथ पुण्यदायी भी होंगे साबित!

सोमवती अमावस्या का महत्व

सोमवती अथवा भौमवती अमावस्या के दिन गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान-दान को पवित्र नदी में स्नान-दान के कार्यों का बेहद महत्व है. इस दिन भगवान शिव के रुद्र अवतार हनुमान की पूजा-उपासना की जाती है. भाद्रपद अमावस्या का यह दिन बेहद शुभ और मंगलदायी माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन शिव योग, सिद्ध योग एवं मघा नक्षत्र का योग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इन अत्यंत शुभ योगों के संयोग में जातक की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिण्डदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन पूजा-पाठ और धर्म-कर्म के कार्य बेहद शुभ फलदायी माने जाते हैं.

सोमवती अमावस्या 2024 शुभ योग

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अमावस्या प्रारंभः 05.21 AM से (02 सितंबर 2024, सोमवार)

भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अमावस्या समाप्तः 07.54 AM से (03 सितंबर 2024, मंगलवार)

उदया तिथि के अनुसार 2 सितंबर 2024 को अमावस्या मनाई जाएगी.

शुभ योग

स्नान-दान का शुभ मुहूर्तः 04.29 AM से 05.15 AM

पूजा का मुहूर्तः 06.09 AM से 07.44 AM तक

शिव योग सूर्योदय से पूर्व शुरू होकर 06.20 PM

सिद्ध योगः 06.20 PM से पूरी रात्रि तक रहेगा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये दोनों बेहद शुभ होते हैं, इस काल में किये गये कार्य सफलता दिलाते हैं

पूजा-विधि

सोमवती अमावस्या को सूर्योदय से पूर्व स्नान-दान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें. सूर्य को जल का अर्घ्य दें. एक चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछाकर इस पर भगवान शिव, माता पार्वती एवं विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें. धूप दीप प्रज्वलित करें, निम्न मंत्र का जाप करते हुए पूजा प्रारंभ करें.

‘ॐ नमः शिवाय’

शिवलिंग पर कच्चे दूध, दही, शहद से महादेव का अभिषेक करें. चौमुखी घी का दीप प्रज्वलित कर दीप जलाएं, शिव चालीसा का पाठ करें. अपने पित्तरों के नाम तर्पण करें. इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा का विधान है. श्रीहरि को पीला पुष्प एवं पीला चंदन चढ़ाएं और निम्न मंत्र का जाप करें

‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’

इसके साथ ही पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करें. अंत में भगवान शिव एवं विष्णु जी की आरती उतारें, और प्रसाद का वितरण करें.