National Vaccination Day 2020: कोरोना वायरस के प्रकोप ने समझाई ‘टीकाकरण’ की अहमियत! जानें कब हुई शुरुआत! कैसे करते हैं सेलीब्रेट!
शैशवकाल से 6 से 7 साल तक के बच्चों को भविष्य की खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए अलग-अलग किस्म के टीके लगाये जाते हैं. इस प्रक्रिया को ही टीकाकरण (Vaccination) कहा जाता है. टीकाकरण के जरिए बच्चों के शरीर को संक्रामक बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है.
आज कोरोना वायरस (Covid 19) के कारण भले ही दुनिया भर में दहशत मची हुई हो, और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे 'महामारी’ घोषित कर दिया है, लेकिन अपने अस्तित्व को लेकर हम हमेशा से बहुत सजग और सतर्क रहे हैं. जनहित को ध्यान में रखते हुए जब-जब किसी संकट ने दस्तक दी, हमारे वैज्ञानिकों ने तत्काल शोध-सर्वे कर शीघ्र से शीघ्र समस्याओं का समाधान निकाला और संकट-मोचक साबित हुए.
आज जब हम राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मना रहे हैं, वहीं हमारे वैज्ञानिकों को पुनः कोरोना वायरस जैसी महामारी के लिए नये टीका के इजाद करने की चुनौती मिली है, और हम एक बार फिर उम्मीद कर सकते हैं कि हमारे वैज्ञानिक ‘राष्ट्रीय टीका दिवस’ पर पूरी दुनिया को सरप्राइज देंगे.
क्या है टीकाकरण
शैशवकाल से 6 से 7 साल तक के बच्चों को भविष्य की खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए अलग-अलग किस्म के टीके लगाये जाते हैं. इस प्रक्रिया को ही टीकाकरण (Vaccination) कहा जाता है. टीकाकरण के जरिए बच्चों के शरीर को संक्रामक बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है. जिन बच्चों को समय-समय पर टीकाकरण दिया जाता है, उन्हें किसी भी तरह के संक्रामक रोग की संभावना नहीं रहती. अगर सही समय पर बच्चे को टीका नहीं लगवाया जाये तो उन्हें तरह-तरह की बीमारियां हो सकती हैं.
16 मार्च को ही क्यों मनाते हैं
साल 1995 में पहली बार भारत में टीकाकरण दिवस मनाया गया था. दरअसल इसी साल 16 मार्च के दिन भारत सरकार ने संपूर्ण देश में ‘पल्स पोलियों अभियान’ का श्रीगणेश किया था. सरकार ने इस योजना के जरिए देश से पोलियो को खत्म करने का लक्ष्य रखा था. इसके बाद हर साल पूरे देश में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस इस दिन यानी 15 मार्च को मनाया जाने लगा. इस दिवस विशेष पर छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को टीके लगाए जाते हैं और लोगों को टीकाकरण के फायदों के बारे में बताया जाता है.
अथक मशक्कत से तैयार होते हैं टीके
टीकाकरण के कारण ही आज शिशु एवं मातृ मृत्यु-दर में काफी हद तक नियंत्रण पा सके हैं. यही नहीं बल्कि कालांतर में भी कई महामारियों का नामोनिशां इन्हीं टीकों के बूते मिटाया गया. लेकिन हम इसे हमेशा हलके से लेते रहे हैं, और हमेशा यही दलील देते रहे कि पहले कौन-सा टीका हुआ करता था. लेकिन आज जब कोरोना वायरस के खौफ से सारी दुनिया दहशत में है. जिसका कोई इलाज नहीं है, दुनिया भर के वैज्ञानिक इस महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए नया टीका ईजाद करने में मशगूल हैं. आज हम टीके की अहमियत को शिद्दत से महसूस कर रहे हैं. लेकिन वैज्ञानिक ही जानते हैं कि अथक परिश्रम और मशक्कत के बाद ही टीके तैयार हो पाते हैं.
टीकाकरणः जरूरत है जागरुकता की
आज से पहले भी ऐसी कई नई-नई बीमारियों का प्रकोप सामने आया, जिनका टीकाकरण अगर सही समय पर नहीं किया जाता, तो वे घातक महामारी का रूप ले सकती थीं. जहां तक भारत की बात है तो यहां आज भी टीकाकरण के प्रति जागरूकता में कमी है. कई बच्चे और गर्भवती महिलाएं समय पर टीकाकरण नहीं करवा पाते, जो आगे जाकर इनकी सेहत के लिए जानलेवा साबित होता है. यही वजह है आज भी भारत में शिशु-मृत्यु दर कई देशों की तुलना में कहीं ज्यादा हैं. टीकाकरण के जरिए प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को खतरनाक बीमारियों से लड़ने की मजबूती मिलती है. इसलिए हर बच्चे के माता पिता को उनके बच्चों का टीकाकरण करवाने की सलाह डॉक्टरों द्वारा दी जाती है. क्योंकि छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है.
कैसे मनाते हैं राष्ट्रीय टीकाकरण
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दिन तरह-तरह की हेल्थ संबंधित योजनाएं चलाई जाती हैं. लोगों को मुफ्त वैक्सीनेशन दी जाती है. सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण से जुड़े तमाम कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. टीकाकरण के संदर्भ में सेमिनारों का आयोजन होता है. इन कार्यक्रमों के जरिए लोगों को टीकाकरण की विशेषताएं बताई जाती हैं. सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जाती है.