हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन देश भर में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. अमूमन नागपंचमी की तिथि हरियाली तीज के दो दिन बाद पड़ता है. नाग पंचमी के दिन घर की महिला सदस्य नाग देवता की पूजा करती हैं, और परंपराओं के अनुसार सांपों को दूध पिलाती हैं. साथ ही अपने भाइयों एवं परिवार की सुरक्षा की कामनाएं भी करती हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 9 अगस्त 2024 को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाएगा. आइये बात करते हैं, नागपंचमी के पूजा-मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि आदि के बारे में..
नाग पंचमी का महत्व
बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत में कृष्ण पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी का पर्व पूरे श्रद्धाभाव से मनाया जाता है. हिंदू शास्त्रों एवं पुराणों के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नागदेव हैं और इन दिनों सांपों की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी, तथा घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. इस दिन विभिन्न नामों से विख्यात 10 नाग देवताओं की पूजा करने से कुंडली में मौजूद राहु व केतु से संबंधित दोष मिटते हैं, साथ ही कालसर्प दोष की भी पूजा इस दिन करवाई जाती है. पंचमी के दिन इनकी पूजा करने से सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं और मनुष्य को सर्प-भय मुक्ति मिलती है. यह भी पढ़ें : Gatari Amavasya 2024 Messages in Marathi: गटारी अमावस्येच्या शुभेच्छा! इन मराठी WhatsApp Wishes, Quotes, Facebook Greetings को भेजकर दें बधाई
नाग पंचमी तिथि एवं पूजा का शुभ मुहूर्त
श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी प्रारंभः 12.36 AM (09 अगस्त 2024)
श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी समाप्तः 03.14 AM (10 अगस्त 2024)
उदया तिथि के अनुसार नाग पंचमी का पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा
नाग पंचमी पूजा मुहूर्तः प्रातः 05:59 AM से 08.30 AM तक
कुल अवधिः 02 घंटे 32 मिनट
नाग पंचमी की पूजा-विधि
श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान शिव का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. घर के आंगन में चौक बनाकर इस पर कच्ची मिट्टी से नाग देवता की प्रतिमा बनाएं. इस प्रतिमा को चौक के बीचो-बीच स्थापित करें. हिंदू धर्म शास्त्रों में दस विशेष नागों (अनंत, वासुकी, शेषनाग, पद्मा, कंबाला, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया नाग, तक्षक नाग और पिंगला) की पूजा का विधान है. पूजा शुरू करने से पूर्व इनके नाम लेते हुए इनसे अपने और अपने परिवार के लिए सुरक्षा, समृद्धि और शांति की कामना करें. नाग की प्रतिमा पर रोली, फूल, चावल, हल्दी और दूध चढ़ाएं. निम्न मंत्र का जाप करते हुए पूजा जारी रखें.
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
अब पूजा स्थल पर फल, मिठाई, शक्कर चढ़ाएं. शिवजी का ध्यान कर उनका निम्न शक्तिशाली मंत्र का 108 बार जाप करें.
ॐ नमः शिवाय
पूजा के समापन में नाग पंचमी व्रत कथा सुनें और शिवजी की आरती उतारें.
नाग पंचमी व्रत कथा
महाभारत काल में शमीक मुनि के शाप की से तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डस लिया. पिता की मृत्यु का बदला लेने हेतु परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सभी सर्पों का नाश करने के लिए सर्पेष्टि यज्ञ का आयोजन किया. इस यज्ञ के प्रभाव से संसार के समस्त नाग-नागित स्वयं अग्निकुंड की ओर खींचे चले जा रहे थे. भारी तादाद में सर्प भस्म होने लगे, तो नागों ने अपने संरक्षण के लिए ऋषि आस्तिक मुनि से प्रार्थना की. जिसके बाद आस्तिक मुनि ने इस यज्ञ को समाप्त कर नागों के प्राण बचाए. आस्तिक मुनि ने सर्पो से वचन लिया कि वह उस जगह पर कभी प्रवेश नहीं करेंगे जहां आस्तिक मुनि का नाम लिखा होगा. इसी परंपरा के चलते कई लोग अपने घरों के बाहर आज भी आस्तिक मुनि का नाम लिखते हैं.