Mahavir Jayanti 2022: कब है महावीर जयंती? जानें इस पर्व का महत्व एवं क्यों और कैसे मनाते हैं यह पर्व?

हिंदू पंचांग के अनुसार महावीर जयंती चैत्र माह में शुक्लपक्ष की त्रयोदशी के दिन मनायी जाती है. मान्यता है कि इसी तिथि को उनका जन्म हुआ था. जैन समुदाय का यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. कहते हैं कि इनके द्वारा ही जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की स्थापना की गई थी.

महावीर जयंती 2022 (Photo Credits: File Image)

हिंदू पंचांग के अनुसार महावीर जयंती चैत्र माह में शुक्लपक्ष की त्रयोदशी के दिन मनायी जाती है. मान्यता है कि इसी तिथि को उनका जन्म हुआ था. जैन समुदाय का यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. कहते हैं कि इनके द्वारा ही जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की स्थापना की गई थी. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 14 अप्रैल 2022 गुरुवार के दिन महावीर जयंती मनाई जायेगी.

महावीर जयंती का इतिहास

महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुंडलपुर के राजा सिद्धार्थ की पत्नी त्रिशला के गर्भ से हुआ था. उस समय उनका नाम वर्धमान था. यह कथा प्रचलित है कि त्रिशला ने महावीर के जन्म से पूर्व सपने में देख लिया था कि उनकी पैदा होनेवाली संतान राजपाट से दूर रहकर आध्यात्मिक राह में चलते हुए आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर 24वां तीर्थंकर बनेगी. वर्धमान जब 30 वर्ष के हुए तो रानी त्रिशला का सपना सच साबित हुआ. इसी छोटी सी उम्र में वर्धमान राजपाट छोड़ अध्यात्म की खोज में निकल गये. 12 वर्ष तक कठोर तपस्या के बाद उन्हें अभीष्ठ ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, और 24वें तीर्थंकर बने, तथा महावीर कहलाये. यद्यपि कड़ी तपस्या करते हुए उन्हें काफी शारीरिक यातनाएं झेलनी पड़ी थी. 72 वर्ष की आयु में पावापुरी में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.

महावीर जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी प्रारंभ 04.49 AM (14 अप्रैल गुरुवार, 2022) से

त्रयोदशी समाप्त 03.55 AM (15 अप्रैल शुक्रवार, 2022) तक

महावीर जयंती सेलिब्रेशन

जैन धर्म को मानने वाले महावीर जयंती को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन प्रातःकाल महावीर जी की प्रतिमा को जल और सुगंधित तेलों से स्नान करवाते हैं. इसे वे भगवान महावीर जी की शुद्धि का प्रतीक मानते हैं. इसके पश्चात एक रथ को सजाकर उसमें भगवान महावीर की प्रतिमा स्थापित कर शांति के साथ पूरे शहर में इनकी शोभायात्रा निकाली जाती है. इस शोभा-यात्रा में जैन भिक्षु से लेकर उनके अनुयायियों की भारी भीड़ रहती है. इस दिन जैन मुनि लोगों को महावीर जी के बताये मार्गों एवं उनके सिद्धांतों पर चलने का उपदेश देते हैं. यह भी पढ़ें : Baisakhi 2022: ऐसे पड़ा सिखों के नववर्ष का नाम बैसाखी! जानें इसे मनाये जाने का कारण और सेलीब्रेशन के साथ अन्य जानकारियां!

महावीर जयंती का महात्म्य

भगवान महावीर को मानने वाले उनके अनुयायी समस्त संसार में होते हैं. महावीर जी की जयंती के दिन दुनिया भर से जैन समाज भारत के प्रतिष्ठित जैन मंदिरों में उनका दर्शन करने और उनकी जयंती मनाने के लिए आता है. इस दौरान भारत स्थित जैन धर्म से संबंधित प्राचीनतम स्थानों पर भी उनका दर्शन करने के लिए उपस्थित होते हैं. इन स्थलों में जो सबसे ज्यादा चर्चित हैं, वे हैं गोमतेश्वर, दिलवाड़ा, रणकपुर, सोनागिरि और शिखरजी इत्यादि.

भगवान महावीर का जन्म उस युग में हुआ था, जिस वक्त हिंसा, पशु बलि, जातिगत भेदभाव आदि चरम पर था. उन्होंने सत्य और अहिंसा की शिक्षा के द्वारा दुनिया को सत्य का मार्ग दिखाने का प्रयास किया. उन्होंने अपने प्रवचनों से मनुष्यों का उचित मार्गदर्शन किया.

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