भारतीय इतिहास के पन्नों में जब-जब शौर्य, साहस और त्याग की बात होगी, महाराणा प्रताप की चर्चा अवश्य होगी. महाराणा प्रताप अपने मुट्ठी भर सैनिकों के दम पर हजारों सशस्त्र मुगल सैनिकों से लोहा लेते थे, और उन्हें मात देते थे. महाराणा प्रताप के शौर्य की गाथा केवल भारत तक नहीं बल्कि दुनिया भर जानी और सराही जाती है. महाराणा प्रताप की जयंती (09 मई) के अवसर पर ऐसा ही एक उदाहरण प्रस्तुत है.
1969 में अमेरिका और वियतनाम के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा. 20 साल तक चले युद्ध में वियतनाम ने दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति अमेरिका पर जीत दर्ज की. वियतनाम की जीत पर एक पत्रकार ने जब वियतनामी राष्ट्रपति से पूछा कि यह जीत कैसी लग रही है? उनका जवाब दिया कोई शख्स नहीं बता रहा है कि किसकी हार हुई. पत्रकार ने अगला प्रश्न राष्ट्रपति से पूछा इस जीत की प्रेरणा आप किसे देते हैं? वियतनामी राष्ट्रपति ने सगर्व बताया कि उन्होंने एक भारतीय राजा का इतिहास पढ़ा था. उन्हीं के जीवन से प्रेरित होकर हमने सैन्य नैतिकता और प्रयोगों से सफलता हासिल की. राजा का नाम पूछने पर एक बार फिर वियतानामी राष्ट्रपति ने सगर्व कहा, वह मेवाड़ (राजस्थान) के महाराणा प्रताप सिंह हैं. अगर हमारे देश में महाराणा प्रताप सिंह जैसा एक भी व्यक्ति होता तो हमने दुनिया जीत ली होती. कालांतर में वियतनामी राष्ट्रपति की मृत्यु के पश्चात उनकी समाधि पर लिखा गया कि वह महाराणा प्रताप के शिष्य थे. कुछ साल पहले वियतनाम के विदेश मंत्री ने भारत का दौरा किया. तो परंपरा वश उन्हें सर्वप्रथम महात्मा गांधी की समाधि पर ले जाया गया, इसके बाद लाल किला ले जाया गया. वियतनामी विदेश मंत्री से रहा नहीं गया, उन्होंने पूछा, महाराणा प्रताप की समाधि कहां है?
वियतनामी विदेश मंत्री उदयपुर गये, महाराणा प्रताप की समाधि पर पुष्प अर्पित करने के पश्चात वहां से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर अपनी थैली में रख ली. भारतीय अधिकारी ने जब कौतूहलवश उनसे पूछा, सर यह मिट्टी किस लिए लिया है आपने? मंत्री का जवाब था, यह मिट्टी मैं अपने देश ले जा रहा हूं, और वहां की मिट्टी में मिला दूंगा, ताकि वहां की मिट्टी से भी महाराणा प्रताप जैसे सपूत जन्म ले सकें. महाराणा प्रताप ऐसे महान योद्धा हैं, जिन पर भारत को ही नहीं दुनिया को गर्व होना चाहिए. यह भी पढ़ें : Rabindranath Tagore Jayanti 2024 Quotes: रवींद्रनाथ टैगोर जयंती पर दें उन्हें श्रद्धांजलि, अपनों संग शेयर करें उनके ये 10 अनमोल विचार
विशालकाय व्यक्तित्व वाले महाराणा प्रताप
राजपूत नायक महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कम्बल (राजस्थान) में हुआ था. महाराणा प्रताप ने 1568 में मेवाड़ के शासक के रूप में कार्यभार संभाला और 1597 तक शासन किया. उस समय दिल्ली की गद्दी पर आसीन मुगल बादशाह अकबर एक महान सम्राट के रूप में लोकप्रिय था, लेकिन राणा प्रताप ने स्वतंत्रता और स्वाभिमान के लिए मुगलों से न कभी लड़ना छोड़ा, और ना ही कभी हार मानी. एक बार अकबर ने महाराणा प्रताप के सामने प्रस्ताव रखा कि वह आत्मसमर्पण कर दें, तो उन्हें आधे हिंदुस्तान का राजा बना दिया जायेगा. लेकिन महाराणा प्रताप ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया.
राणा प्रताप के हाथी को भी नहीं झुका सका था अकबर
7 फुट लंबे महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो, कवच कुंडल 80 किलो और तलवारों का वजन 207 किलो था. ये सभी वस्तुएं आज भी उदयपुर संग्रहालय में रखी हैं. लेखक अल बरौनी ने अपनी पुस्तक में महाराणा के सर्वाधिक रामप्रसाद नामक हाथी का जिक्र करते हुए लिखा है कि अकबर ने अपने सेनापतियों से कहा था कि महाराणा के साथ उनके हाथी रामप्रसाद को भी पकड़ना, तभी मेवाड़ जीत सकेंगे. कहते हैं कि रामप्रसाद ने मुगल सेना के 13 हाथियों को मार डाला था. एक बार अकबर ने षड़यंत्र रचकर रामप्रसाद को पकड़वा लिया. उसने उसका नाम पीर प्रसाद रखा, रामप्रसाद को यह पसंद नहीं आया. अकबर की कैद में बिना खाये-पीये 19वें दिन जान दे दी. अकबर ने माना. कि जब मैं महाराणा की हाथी को नहीं झुका सका. तो महाराणा को कैसे झुका सकता हूं.